सर्दियां आते ही मौसम का मिज़ाज कुछ यूं हो जाता है कि बिस्तर से बाहर निकलने का मन नहीं करता. कुछ लोग इसी वजह से इस सीज़न से नफ़रत करते हैं. पर मैं उनमें से हूं जो इस मौसम का इंतज़ार बड़ी ही बेसब्री से करता हूं. वजह है इस सीज़न में मिलने वाला सरसों का साग और मक्के की रोटी.

सर्दियों के मौसम में एक सरसों का साग और मक्के की रोटी ही वो डिश होती है, जो हमें गर्मी का एहसास दिलाती है. ऊपर से अगर उसमें ढेर सारा मक्खन हो तो फिर क्या कहना. मैं सरसों के साग का सबसे बड़ा फ़ैन कैसे बना इसकी भी एक मज़ेदार स्टोरी है.

दरअसल, बचपन में जब मेरे पिताजी का ट्रांसफ़र दिल्ली में हुआ तो हम भी उनके साथ इस नए शहर में चले आए. हम ठहरे यूपी वाले हमारे घर में भी वही खाना बनता था जो आम नॉर्थ इंडियन घरों में बनता है. लेकिन हमारे पड़ोस में एक पंजाबी परिवार रहता था. प्यार से लोग उन्हें पंजाबन ऑन्टी कहकर बुलाते थे. उनके घर हमारा आना जाना लगा रहता था. एक दिन उनके घर से खाने की ऐसा ख़ुशबू आ रही थी कि मैं उसका पीछा करते उनके घर चला गया.

उनके घर जाकर देखा कि वो सरसों के साग में छौंक लगा रही थीं. मैं वहीं खड़ा हो गया. फिर उन्होंने मुझे से प्यार बुलाया और सरसों का साग-मक्के की रोटी खाने को दी. ये पहली बार था जब मैं इस पंजाबी डिश को चखने वाला था. उसकी ख़ूशबू पहले ही मेरा दिल जीत चुकी थी, अब उसे टेस्ट किए बिना मैं भी नहीं रह पा रहा था. उन्होंने जैसे ही ऑफ़र किया मैं उन्हें न नहीं कह पाया. गर्मा-गर्म मक्के की रोटियों पर वो पिघलता हुआ मक्खन देख कर शायद कोई दूसरा भी होता तो फिसल जाता.

उस दिन के बाद से मैं तो सरसों के साग और मक्के की रोटी का दीवाना बन गया. इतना कि मैंने उन ऑन्टी से इसे बनाना भी सीख लिया. अब तो मैं सर्दियों का इंतज़ार सिर्फ़ और सिर्फ़ मक्के की रोटी और सरसों का साग खाने के लिए करता हूं. बना भी ठीक-ठाक लेता हूं और ख़ुद तो खाता ही हूं अपने दोस्तों को भी खिलाता हूं.

ये स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है. इसे खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और वज़न कम करने में भी ये मदद करता है. इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे खाकर आप कड़ाके की ठंड से भी बच सकते हैं.
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