Haunted Place Of Kanpur: अकसर बड़ों को कहते सुना है कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता. ये सब अफ़वाह और मन का भ्रम होता है, शायद ऐसा होता है, लेकिन इस दुनिया में एक अलग शक्ति भी है, जिसे हम भूत-प्रेत और आत्मा की कैटेगरी में रखते हैं. इसीलिए तो हर जगह के अपने कुछ हॉन्टेड प्लेस होते हैं, जहां जाने से लोग घबराते हैं. कानपुर के ऐसे ही कुछ हॉन्टेड प्लेस हैं, जो इतने डरावने हैं कि वहां जाने से लोग घबराते हैं. अब ये बातें कितनी सच्ची हैं कितनी झूठी इन्हें साबित करना तो मुश्किल है, लेकिन हां, ये जगहें कानपुर की सबसे ऐतिहासिक और हॉन्टेड (Haunted Place Of Kanpur) जगहें हैं. एतिहासिक शहर होने की वजह से यहां पर कई जगहों से दबा हुआ खज़ाना मिलने की बात सामने आई हैं. ये कानपुर के बहुत व्यस्त इलाक़े हैं, जिनके बारे में सबको जानना चाहिए.

चलिए, कानपुर की हॉन्टेड (Haunted Place Of Kanpur) जगहें के द्वारा कानपुर के बारे में थोड़ा और जानते हैं:

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Haunted Place Of Kanpur

1.  सुजातगंज (Sujatganj)

कानपुर का सुजातगंज भी भूतिया जगह है. यहां की बातों ने बचपन में ख़ूब डराया है. इस रास्ते पर कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटती हैं, जिन्हें सुनने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मेरे एक दोस्त के साथ इस रास्ते पर बहुत डरावनी घटना घटी, जब वो यहां से रात में गुज़र रहा था तो उसे लगा कोई उसकी बाइक पर बैठ गया है फिर आगे जाकर बाइक हल्की हो गई.

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2. सिविल लाइंस ग्रेवयार्ड

सिविल लाइंस, कानपुर का पॉश इलाक़ा है. यहां पर बना ग्रेवयार्ड आत्माओं का डेरा कहा जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है, देर रात यहां पर एक अंग्रेज़ की आत्मा घूमती है और उसे टोको तो वो ग़ायब हो जाता है. इस वजह से यहां पर अक्सर दुर्घटनाएं (Haunted Place Of Kanpur) भी होती रहती हैं.

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3. गंगा बैराज

कानपुर का गंगा बैराज यूथ का फ़ेवरेट पिकनिक और हैंगआउट प्लेस बन गया है. देखा जाए तो, धीरे-धीरे गंगा बैराज का काफ़ी विकास हुआ है, जिसकी वजह से लोग वहां घूमने के लिए जाते हैं. गंगा बैराज का बहता पानी और अटल गाट साथ ही वहां मिलने वाला ब्रेड मक्खन सब बहुत ही बेहतरीन है, लेकिन इन सब अच्छी बातों के बीच एक डरावनी बात भी गंगा बैराज से जुड़ी है, वो है इसका डरावना अतीत. आसपास रहने वाले लोगों का भी मानना है कि कोई अदृश्य शक्ति है, जो उन्हें परेशान करती है.

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4. अनवरगंज का बंगला नंबर 128

अनवरगंज के प्राइमरी स्कूल का बंगला नंबर 128 का कमरा जहां बच्चे जाने से डरते हैं और अध्यापकों का ट्रांसफ़र करना पड़ता है. स्कूल की टीचर रजनी गुप्ता ने बताया, एक कर्मचारी की पत्नी ने यहां पर फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली थी, तब से कहते हैं कि उसकी आत्मा कमरे में रहती है. बच्चे तबसे स्कूल में बीमार भी पड़ने लगे और एक बच्चे की तो मौत भी हो गई. इसी के चलते पेरेंट्स ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया. चपरासी रमेश का कहना है कि, कुछ बच्चों को कपर्सी पर बैठी एक औरत दिखी है. इन बातों के बाद से यहां पर बहुत ही कम बच्चे आते हैं और रात होते ही आसपास सन्नाटा पसर जाता है.

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5. जिन्नातों की मस्जिद

जिन्नातों की मस्जिद 350 साल पुरानी है और ये जाजमऊ में है. कहते हैं कि इस मस्जिद का निर्माण रातों-रात जिन्नातों ने किया है. जिन्नातों की मस्जिद के मौलवी, इशरत हुसैन के अनुसार, इस मस्जिद में इंसान और जिन्नात साथ में नमाज़ अदा करते हैं. इस मस्जिद में मांगी गई दुआ क़ुूबूल होती है. इस मस्जिद में एक अदालत लगती है जहां भूतों को सज़ा सुनाई जाती है. दरअसल, भूत-प्रेत से परेशान लोग यहां आते हैं और उनकी समस्या दूर होने पर जिन्नातों को सज़ा सुनाई जाती है.

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6. खेरेश्वरधाम मन्दिर

कानपुर से 40 किलोमीटर दूर शिवराजपुर में गंगा नदी से 2 किलोमीटर दूर खेरेश्वरधाम मन्दिर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर को गुरू द्रोणाचार्य ने बनवाया था और इस मंदिर में शिवजी प्रकट हुए थे. यहां पर रोज़ रात 12 से 1 बजे के बीच अश्वत्थामा शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते हैं क्योंकि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का जन्म भी यहीं हुआ था. मन्दिर के पुजारी गोस्वामी के अनुसार, रात में मन्दिर बंद होने के बाद जब सुबह 4 बजे खोला जाता है तो शिवलिंग पर चढ़े सफ़ेद फूल में से एक रंग लाल हो जाता है.

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7. कानपुर के इन इलाक़ों में मिला है बदा ख़ज़ाना

कानपुर में औनाहा, बिनौर, सचेंडी, शखरेज रावतपुर, काकादेव, पुखरायां, मूसानगर, शिवराजपुर, जाजमऊटीला, बिठूर पेशवा महल, रमईपुर जैसी जगहों पर ख़ज़ाना मिलने की बात सुनने को मिलती रहती है. यहां आज भी खुदाई के दौरान पुराने ज़माने सिक्के मिल जाते हैं. इस बात की पुष्टि इतिहासकारों ने की है. साथ ही, स्थानीय लोगों ने भी ख़ज़ाना मिलने की बात कही है. क्राइस्टचर्च कॉलेज के हिस्ट्री प्रोफ़ेसर डॉ. एसपी सिंह का कहना है, कानपुर में ख़ज़ाना मिलना आम बात है क्योंकि ये एक ऐतिहासिक नगरी है. बिठूर में नाना साहब के महल का ज़िक्र करते हुए बताया कि, जब बिर्टिश ने इस पर कब्ज़ा किया तो क़िले से क़रीब 30 लाख रुपये कैश और 70 लाख रुपये के गहनें मिले थे. स्थानीय लोगों का भी दावा है कि असली ख़ज़ाना तो अभी भी क़िले में ही कहीं दबा हुआ है.

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कानपुर का इतिहास बहुत पुराना है, यही कारण है कि कई किवदंतियां भी यहां जुड़ी हैं.