देखो सीधी सी बात है, बर्थडे पार्टी, ब्रेक-अप पार्टी, फ़ेरवेल, बैचलर्स कुछ भी हो, कुछ भी हो केक बहुत ज़रूरी होता है. वरना पूरी पार्टी इंतज़ार किस चीज़ का करेंगे?  

केक ने भी आज़ादी के बाद से भारत में बहुत तरक़्क़ी कर ली है. पहले तो बस इतना जानते थे कि मम्मी हलवा के चौकोर आकार को (जो कि सिर्फ बर्थडे पर मिलता है) केक कहते हैं. मगर बड़े हुए तो पता चला साला पूरा बचपन धोखा था. ई केक तो साला कोई और बला है और बेहद लज़ीज़ भी. 

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अब जब तक हम बड़े हुए केक भी अपने उद्योग में बहुत आगे बढ़ चुका था. पाइनएप्पल, चॉकलेट, बटरस्कॉच, वैनिला जैसे फ़्लेवर में मिला करता था. लेकिन केक को जीवन में कुछ बढ़ा करना था तो भाई आजकल वो हर प्रजाति में पाया जाने लगा है. आपको अपने घर जैसा दिखने वाला केक चाहिए वो भी मिलेगा या अपनी ख़ुद की शक़्ल भी मिल जाएगी उस में. (मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है)    

भाई, आप लीग से हटकर कुछ करेंगे तो आपके भाव भी बढ़ जाएंगे. ये स्पेशल बनावटी केक भी बहुत महंगे आते हैं. ख़ैर, हम पैसों पर अभी नहीं जाएंगे. वैसे भी आर्थिक हालत ठीक नहीं है किसी की भी.     

दिल्ली से सटे गुरुग्राम की एक दुकान में भी ऐसे ही स्पेशल केक बनते हैं. मगर ग़ज़ब की बात ये है कि उनका केक छोले भटूरे जैसा दिखता है. मतलब ये तो मतलब फ्रिज से चॉकलेट खा लो और बहन को पता भी न चले वो वाला हिसाब है. ख़ैर, Chocadoodledoo नाम की ये बेकरी ऐसा गर्दा-गर्दा केक बनाती है कि मुंह में पानी आ जाता है.    

हम तो कंफ्यूज़ हो जाते हैं कि खाना है या शोपीस में सजा कर रख दें.  

सिर्फ छोले-भटूरे जैसा केक नहीं और भी बहुत मस्त-मस्त केक बनाते हैं. देखिए ज़रा: