An Apple a day keeps the doctor away.
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी. लाल-गुलाबी रस से भरे सेब तक़रीबन सभी को पसंद होते हैं. ये फल हज़ारों सालों से हमारे भोजन का हिस्सा है. इसका इतिहास भी बहुत ही मज़ेदार है. आइए आपको बताते हैं सेब की कहानी.

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आज दुनियाभर में सैंकड़ों क़िस्म के सेब पाए जाते हैं. कोई शहद जैसा मीठा है, तो कोई नींबू समान खट्टा. वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर पहला सेब का पेड़ मध्य एशिया के कज़ाखिस्तान में पाया गया था. ये Malus क़िस्म का था. ये क़िस्म आज भी वहां कि Tien Shan की पहाड़ियों में पाई जाती है. 

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ये एक जंगली सेब है जिसे वहां के भालू बहुत पसंद करते हैं. भालूओं के कुतरने से ही वहां पर इसके पेड़ उग आते हैं. इसलिए इसे भालूओं को इनका किसान कहा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सेब हज़ारों साल से हमारे भोजन का हिस्सा है.

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सिकंदर यानी Alexander The Great को सेब की एक बौनी क़िस्म की खोज करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने 328 BCE में इसकी खोज की थी. एशिया से यूरोपीय देशों के उपनिवेशों से सेब यूरोप पहुंचे. वहां से सेब उत्तरी अमेरिका पहुंचे जहां इनकी खेती सिरका बनाने के लिए की जाती थी.

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उपनिवेशों से लाए गए सेबों से ही आज के दौर के सेबों की किस्में उगाई गई हैं. पहले-पहल जब अमेरिका में सेब की खेती हुई थी, तब वहां के सेब का स्वाद भी खट्टा और कैसला होता था. पर आजकल अमेरिका में जो सेब मिलते हैं उनका स्वाद बहुत ही मीठा होता है.

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भारत में भी हिमाचल और जम्मू कश्मीर में सेब की खेती की जाती है. हालांकि, चीन सेब का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और दूसरे स्थान पर अमेरिका. कज़ाखिस्तान में सेब की सैंकड़ों क़िस्में पाई जाती हैं. इसका कारण है मधुमक्खियां, जो एक क़िस्म के बीजों को दूसरे से मिला देती हैं. कज़ाखिस्तान में सेब की इन्हीं प्रजातियों की क्रॉस ब्रीडिंग कर वैज्ञानिक नई किस्म के सेब खोजने में जुटे हुए हैं. 

सेब से जुड़े इस इतिहास के बारे में पहले जानते थे आप?

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