आगरा की दो चीज़ें वर्ल्ड फ़ेमस हैं, एक तो ताजमहल और दूसरा है आगरा का पेठा. यही कारण है कि आगरा को ”ताज नगरी’ के अलावा ‘पेठा नगरी’ भी कहा जाता है. जो भी शख़्स आगरा जाता है, तो वहां से इस लज़ीज़ मिठाई को लिए बिना वापस नहीं लौटता. चलिए इसी बात पर आज जानते हैं कि पेठा का इतिहास कितना पुराना है और कब पहली बार इसे बनाया गया था.
ताजमहल से पुरानी है पेठे की मिठाई
पेठा और ताजमहल दोनों एक दूसरे जुड़े हुए हैं. कहते हैं कि पेठा ताजमहल से भी पुराना है. इतिहासकारों के अनुसार, 17वीं शताबदी में जब शाहजहां ताजमहल का निर्माण कर रहे थे, तब उसके निर्माण में लगे कारीगर रोज़ाना एक जैसा खाना खाकर उकता गए थे.
इसकी शिकायत उन्होंने मुख्य वास्तुकार Ustad Isa Effendi से की. उन्होंने शाहजहां तक मज़दूरों की शिकायत पहुंचा दी. तब दोनों ने मिलकर संत Pir Naqshbandi Sahib से मिलकर इस समस्या का समाधान पूछा.
कहते हैं कि उन्होंने ईश्वर का ध्यान लगाया और स्वयं भगवान ने उन्हें पेठा बनाने की रेसिपी बताई थी. उसके बाद शाहजहां ने अपने 500 खानसामों को पेठे की मिठाई को बनाने का आदेश दिया था और तब से पेठा शाही रसोई का हिस्सा बन गया.
शाहजहां की बेग़म मुमताज को भी पसंद था पेठा
इससे जुड़ी एक और कहानी है. इसके अनुसार शाहजहां की बेग़म मुमताज को पेठा बहुत पसंद था. ख़ुद मुमताज ने उन्हें अपने हाथों से पेठा बनाकर खिलाया था. मुग़ल बादशाह को पेठे की मिठाई बहुत पसंद आई और उन्होंने अपनी शाही रसोई में इसे बनाने का ऐलान कर दिया था.
उसके बाद से ही पेठे की मिठास पूरे देश में फैल गई और इसे पूरे देश में बनाया और बेचा जाने लगा. कुछ लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में पेठे की मिठाई का इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता था.
आगरा के रेलवे स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही केसर, अंगूरी और चॉकलेटी जैसे कई फ़्लेवर वाले पेठे बेचते लोग दिखाई दे जाते हैं. जानकारों का कहना है कि आज बाज़ार में पेठे के 50-60 वैराइटी उपलब्ध हैं.
अगली बार आप आगरा जाना तो वहां का मशहूर पेठा ज़रूर खाना.
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