खिचड़ी के चार यार दही, पापड़, घी, अचार. आज बात होगी खिचड़ी के चौथे यार अचार की. अचार सदियों से हमारे भोजन का हिस्सा है. आम हो या ख़ास इसका चटपटा और चरचरा स्वाद हर किसी को पसंद आता है. इसके बिना तो हम भारतीयों की थाली अधूरी कही जाती है. इसके साथ हमारे बचपन की यादें भी जुड़ी हैं, जब गर्मियों की छुट्टियों मां आम का अचार डाला करती थीं और हम उनकी मदद करने के बहाने एक दो आम की कलियां खा जाते थे.

आम से दिखने वाले इस ख़ास व्यंजन का इतिहास भी बहुत ही मज़ेदार है. आइए मिलकर टेस्टी-टैंगी अचार की खोज कब और क्यों हुई ये भी जान लेते हैं. हमारे देश में Pickel यानी अचार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कन्नड़ में उपपिनकायी, तेलगु में पचादी, तमिल में उरुकाई, मलयालम में उपपिल्लुथु, मराठी में लोन्चा, गुजराती में अथानू नामो में अचार को सम्बोधित करते हैं.

अचार हज़ारों वर्षों से हमारे भोजन का हिस्सा है. इतिहास कारों के अनुसार, अचार की खोज आज से 3000 साल पहले टिगरिस घाटी में हुई थी. यहां के लोग भारत से आए खीरे का अचार बनाकर खाते थे.
2400 B.C में मोहन जोदड़ो सभ्यता में भी अचार बनाया जाता था. यहां के मूल निवासी खाने को अधिक दिनों तक खाने लायक बनाए रखने के लिए उसे नमक या तेल में डूबोकर रखते थे. वो ऐसा इसलिए करते थे ताकि यात्रा के दौरान खाने की कोई कमी न हो सके. समय के साथ-साथ अचार लंबे दिनों तक खाने को संरक्षित रखने और आसानी से कहीं भी ले जा सकने वाले गुणों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया.

अचार शब्द फ़ारसी भाषा से आया है. फ़ारसी में नमक या सिरके के साथ संरक्षित किए गए भोजन को अचार कहा जाता था. औपनिवेशिक काल में अचार शब्द का पहला ज़िक्र एक क़िताब में मिलता है. Garcia da Orta नाम कि इस बुक में एक पुर्तगाली चिकित्सक ने नमक के साथ काजुओं को स्टोर करने की बात कही है, जिसे वो अचार कहा करते थे.

भारत में अचार को बिना पकाए हुए बनाए गए खाने की श्रेणी में रखा गया है. इसे मूलत: 3 प्रकार से बनाया जाता है. सिरके में, नमक में और तेल में. यहां पर आम का अचार बहुत ही चाव से खाया जाता है.

हमारे यहां अब तो फल, सब्ज़ी, मास-मछली, जड़, पत्ते आदि का भी अचार बनाया जाने लगा है. चेन्नई की एक लेखिका ने अपनी बुक Usha’s Pickle Digest में 1000 हज़ार तरह के अचारों का ज़िक्र किया है. यही नहीं अमेरिका में तो हर साल शरद ऋतु में Annual Pickle Day भी मनाया जाता है.
हैं न अचार से जुड़ा इतिहास वाकई में इंट्रेस्टिंग?
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