How To Deal With Rejection In Love: प्यार रेशम सा होता है. जितना ख़ूबसूरत उतना ही नाज़ुक. यही वजह है कि जब हमें अपना प्यार नहीं मिलता तो सपनों के साथ हम भी टूट कर बिखर जाते हैं. मगर बिखरना जीवन का एक पड़ाव तो हो सकता है, पर मंज़िल नहीं. आगे बढ़ना है तो ख़ुद को समेट कर खड़े होना ही पड़ेगा. इसीलिए हम आज आपको अपने कैंपेन #LoveKiBoundary के ज़रिए समझाएंगे कि प्यार में मिले रिजेक्शन को कैसे स्वीकार करें. क्योंकि, प्यार का मतलब हमेशा ‘हां’ नहीं होता.

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How To Deal With Rejection In Love

1. रिजेक्शन को नॉर्मल ही रहने दें

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रिजेक्शन को कभी भी पर्सनली न लें. हर किसी की अपनी पसंद होती है. ये बात नॉर्मल सी है, इसे नॉर्मल ही रहने दें. लाइफ़ में आपको ऐसी बहुत सी चीज़ें पसंद होगी, जो दूसरों को नहीं होंगी. प्यार भी वैसा ही है. हमेशा याद रखें दुनिया में बहुत से लोग हैं, जिन्हें आप पसंद हैं.

2. अपनी फ़ीलिंग को दबाइए मत

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जब हमारे प्यार को सामने वाला मंज़ूर नहीं करता तो बहुत दुख होता है. ऐसे में लोग अपनी फ़ीलिंग्स को दबाने लगते हैं. ये बहुत ग़लत है. दुख है तो है. फ़ीलिंग्स को दबाइए मत. मन में जो बात हो कह डालें. ख़ुद से या फिर किसी अपने से. बहुत रोने का दिल हो तो रो लें. याद रखें, एक वक़्त के बाद ज़िंदगी अपने हिस्से की ख़ुशी तलाश ही लेती है.

3. ख़ुद को दोष देने से बचें

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अक्सर ऐसा होता है कि जब हमें कोई छोड़ देता है या हमारे प्यार को रिजेक्ट कर देता तो हम ख़ुद को दोष देने लग जाते हैं. ‘शायद मैंने कुछ ग़लत किया होगा… मैं शायद उसके लायक नहीं… वगैरह-वगैरह…’ मगर ध्यान रहे, रिश्ते बनते भी दो लोगों से हैं और टूटते भी दो लोगों से ही हैं. आप कभी अकेले ज़िम्मेदार नहीं हो सकते है और न ही दूसरा. बहुत वजह होती हैं, जिनके चलते दो लोग एक नहीं हो पाते. ये अच्छा ही है, क्योंकि, लंबे अरसे के बाद अगर ग़लती का एहसास होता है तो तकलीफ़ ज़्यादा होती है.

4. हमेशा अपने दिल की सुनें

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ये मत सोचिए कि किसी ने आपके प्यार को ठुकराया है. ज़रूरी नहीं कि हर शख़्स आपके साथ ज़िंदगी का सफ़र तय करे. आप अपने हिस्से की ख़ुशियां और मज़े तलाशिए. रिजेक्शन के बाद ऐसा कुछ करें जिससे आपको खुशी मिलती हो. अपनी हॉबी पर काम कीजिए, कुछ नया सीखिए या हो सके तो मस्त ट्रिप पर जाइए.

5. दोस्तों संग गप्पे लड़ाइए

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हमेशा अपने आसपास सपोर्ट सिस्टम इकट्ठा करें. क्योंकि, हो सकता है कि आप बहुत उदास हो जाएं. कुछ करने का मन न हो. मगर अगर दोस्त और परिवार साथ होता है तो बहुत सी तकलीफ़ें अपने आप ख़त्म हो जाती हैं. ये ज़रूरी भी है क्योंकि, दोस्त और परिवार ही एक ऐसा सर्किल होता है जो आपको जज नहीं करता. अगर आप उनके सामने खुलकर अपनी फ़ीलिंग्स ज़ाहिर कर देंगे तो वो आपको बेहतर समझा सकेंगे. और शायद समझाने और कुछ बताने की ज़रूरत ही न पड़े. क्योंकि, अपनों के बीच का माहौल बहुत सी तकलीफ़ें ख़त्म कर देता है.

6. ख़ुद का ख़्याल रखें

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प्यार में रिजेक्शन अक्सर लोगों को बेचैन और बेपरवाह कर देता है. लोग ख़ुद का ख़्याल रखना ही छोड़ देते. न ढंग से खाते हैं न ही बाहर निकल कर लोगों से मिलते. जोकि बिल्कुल सही नहीं है. जितना आप ख़ुद के खाने-पीने का ध्यान रखेंगे, उतनी ही जल्दी बेहतर हो पाएंगे. आप चाहें तो जिम जा सकते हैं या फिर कोई और फ़िज़िकल एक्टिविटी भी कर सकते. इससे आप ज़्यादा एक्टिव और रिलैक्स महसूस करेंगे.

7. रिजेक्ट करने वाले से नफ़रत न करें

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ये याद रखना सबसे ज़रूरी है. प्यार का अंजाम नफ़रत नहीं हो सकती. नफ़रत इंसान को हैवान बनाने का काम करती है. कभी भी दिल में नफरत नहीं पालनी चाहिए. मगर ऐसा अधिकतर बार देखने को मिलता है कि अगर किसी ने मना कर दिया तो हम उसके प्रति नफ़रत पाल लेते हैं. इससे नुक़सान के सिवा कुछ हासिल नहीं होता.

तो सब इन कुछ तरीकों को अपनाकर आप बेहतर महसूस करेंगे. बाकी, कोई फालतू टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं. आपका भाई एक शेर दे रहा है, भौकाल मारने को यूज़ कर लेना.

‘हुआ ख़्वाब से वास्ता तो फ़लक तक गया
हुआ ज़िंदगी से सामना तो दरक सा गया
गम-ए-इश्क़ की बात तो हमसे मत कर शायर
हक़ीक़त-ए-ज़िंदगी से शिक़वे अब असल हैं’

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