लखनऊ की इमारतें नवाबों के शहर का शानदार इतिहास बखूबी बयां करती हैं. यहां के आर्किटेक्चर में शहर की तहज़ीब और उस वक़्त के नवाबों का शाही रसूख नज़र आता है. हुसैनाबाद हैरिटेज ज़ोन में ऐसी कई इमारतें मौजूद हैं, जिन पर निगाह जाने के बाद हटती ही नहीं.
हालांकि, यहां दाखिल होते ही सबसे पहली नज़र विशाल ‘घंटा घर’ पर पड़ती है. जो वाकई में बेहद ख़ूबसूरत है. लेकिन बहुत कम लोग घंटा घर से सटे ऐतिहासिक और ख़ूबसूरत ‘हुसैनाबाद पिक्चर गैलरी’ से वाकिफ़ हैं. ये लखनऊ की सबसे पुरानी जगहों में से एक है और यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. ये गैलरी लखनऊ के उस अतीत की याद दिलाती है, जब यहां नवाबों का डंका बजता था.
नवाबों की आलीशान ज़िंदगी का मिलेगा नज़ारा
इसे नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1838 में बनवाया था. बारादरी के रूप में निर्मित इस शानदार इमारत में 12 दरवाज़े हैं. मुल्क की आज़ादी के बाद हुसैनाबाद ट्रस्ट ने इस इमारत को पिक्चर गैलरी के रूप में विकसित किया. पिक्चर गैलरी तक पहुंचने के लिए लगभग 30 सीढ़ियों को पार करना पड़ता है. पिक्चर गैलरी के सामने, हरे लॉन और पेड़ों से घिरा हुआ एक सुंदर तालाब है. यहां प्रदर्शित नवाबों के चित्रों से उन दिनों में उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वेशभूषा और आभूषणों की जानकारी मिलती है.
ऐसा कहा जाता है कि गैलरी में जो पेटिंग्स है, वो हाथी की त्वचा पर बनाई गई थीं और इनमें भरने के लिए रंग हीरे की मदद से विकसित किए गए थे.
वाकई में ये जगह घूमने लायक है. आप जैसे ही गेट के अंदर दाख़िल होंगे, आपको लखनऊ के अन्य नवाबों के साथ फ़ेमस नवाब वाजिद अली शाह का चित्र नज़र आएगा. यहां आप सुबह 8 से शाम 5 बजे तक जा सकते हैं. यहां घूमने के लिए आपको 10 से 20 रुपये का टिकट लेना होगा. ये बात ध्यान रखनी होगी कि यहां तस्वीरें लेना सख़्त मना है.