पहले मुझे उसे देख कर ख़ुशी होती थी. वो महीने में एक बार तो ज़रूर घर आया करता था. फिर हमारे घर ज़्यादा मेहमान आने लगे, तो उसका आना-जाना भी बढ़ता गया. अब वो हर हफ़्ते घर आने लगा था. मम्मी को तो वो कुछ ज़्यादा ही पसंद था. लेकिन धीरे-धीरे मेरे मन में उसके लिए जो प्यार था, वो नफ़रत में बदलने लगा. एक टाइम ऐसा भी आया, जब मुझे उसे देखते ही चिढ़ मचने लगी.
हां, मैं एक वेजीटेरियन हूं और मुझे पनीर पसंद नहीं.
इससे पहले कोई नॉन-वेजीटेरियन मुझे इसे पसंद करने का ज्ञान देने लगे, कैसा लगेगा, अगर मैं तुम्हें कहूं कि तुम सिर्फ़ चिकन या मटन ही खाओ?
‘जी हमें तो बहुत अच्छा लगेगा’
‘तुम्हें एक हफ़्ते तक लगातार चिकन खाना है’
‘तो क्या हुआ?’
‘तुम उसके अलावा कुछ भी वेज नहीं खा सकते?’
‘क्यों नहीं खा सकते?’
यही कहना चाह रही हूं मैं. कि मैं पनीर के अलावा और कुछ क्यों नहीं खा सकती? ऐसा क्या है पनीर में, जो उसे शाकाहारियों की स्वामित्व हासिल है? जो वेज में छूटते ही पनीर ग्रेवी, पनीर टिक्का और कढ़ाई पनीर निकलता है?
किसी भी पार्टी में जाते ही दोस्त जब अपना लबाबदार चिकन-मटन ऑर्डर कर लेते हैं, उसके बाद हल्के से Menu मेरी तरफ़ सरका कर कहते हैं, ‘तू अपना पनीर में देख ले कुछ?’ और फिर शुरू होता है, ‘पनीर बहिष्कार आन्दोलन’.
भारतीय होने के नाते हम हमेशा ही सफ़ेद चीज़ों की तरफ़ आकर्षित होते हैं. ये एक और वजह है पनीर के सेलेब्रिटी स्टेटस की. लेकिन कभी किसी ने दम आलू से पूछा कि उसे कैसा लगता है, जब पनीर से ज़्यादा टेस्टी होने के बावजूद उसे पूछा भी नहीं जाता? कभी सोचा है, कैसा लगता है कुरकुरी भिन्डी और तंदूरी बैंगन को,जब उन्हें किसी पार्टी में Invite नहीं किया जाता?
नहीं, आपको कैसे पता होगा, आप तो उस सफ़ेद से दिखने वाले, बेस्वादे, चिकनी बातें करने वाले पनीर के प्यार में अंधे हैं.
शाही पनीर खाने से आज तक मैंने शाही महसूस नहीं किया, लेकिन उस भरवां करेले की सब्ज़ी ने जो प्यार दिया है, वो आज तक किसी से इज़हार नहीं कर पायी. क्योंकि सब यही चाहते हैं कि मैं शाही पनीर के लिए अपने जबरन प्यार का इज़हार करूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती. क्योंकि मैं उससे प्यार ही नहीं करती.
घरवालों और दोस्तों की बेवफ़ाई कम थी, जो सारे बर्गर आउटलेट्स भी अपने बेस्ट बर्गर का Veg ऑप्शन सिर्फ़ पनीर में लेकर आने लगे? मतलब आपने कैसे सोच लिया कि एक Vegetarian को सिर्फ़ पनीर ही पंसद होगा? उसे महाराजा पनीर बना कर पेश करने से भी वो मेरे जैसे कईयों के दिल के करीब नहीं आने वाला!
मैं बता रही हूं, सरकारी नौकरी और पनीर को लेकर हम भारतीयों का जो पागलपन है, वो हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा.
इसलिए आज से मेरे साथ वादा करें और अपने पेट पर हाथ रख कर बोलें कि पनीर के अलावा भी आप हम शाकाहारी लोगों को और सब्ज़ियां खाने देंगे. ऐसा नहीं है कि हमें पनीर बिलकुल पसंद नहीं. जब वो मिलजुल कर Mixed Veg के रूप में सामने आता है, तो हमें बहुत अच्छा लगता है, लेकिन उसका स्टारडम छोड़, अब हमें बाकी बेहतरीन सब्ज़ियों को भी अपना टैलेंट दिखाने का मौका देना चाहिए. मेरा पेट एक सेक्युलर शाकाहारी प्रणाली को मानता और आप से भी यही आशा है.
पनीर खा-खा कर तंग आ चुकी एक वेजीटेरियन!
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