जापान में लोगों को बहुत पसंद है, आइसक्रीम. आइसक्रीम तो कहां नहीं पसंद की जाती, लेकिन जापान में जितनी तरह की आइसक्रीम मिलती है, उसकी लज्ज़त का कोई जवाब नहीं. सोया सॉस से लेकर लहसुन, ईल और शार्क के पंख जैसे फ़्लेवर्स भी उपलब्ध हैं. लेकिन ना पिघलने वाली आइसक्रीम तो जापानी जीनियस का गजब ही उदाहरण है. लेकिन आइसक्रीम बनाने में जापान का कौशल यहां से तो शुरू होता है.

YT

जापान में तापमान बढ़ना शुरू हो गया है और लोग उमस के लिए तैयार हो रहे हैं. लेकिन वे परेशान नहीं, खुश हैं क्योंकि आइसक्रीम खाने को मिलेगी. अब से सितंबर तक, जैसे जैसे तापमान बढ़ेगा, जापान में आइसक्रीम की बिक्री बढ़ेगी. इस द्वीप पर आइसक्रीम 1878 में पहुंची थी जब किसी विदेशी नाविक व्यापारी ने योकोहोमा को इसका स्वाद पहली बार चखाया था. लेकिन तब से आइसक्रीम ऐसी बसी कि अब यहीं की हो गई है.


इसके विशाल घरेलू ब्रैंड्स हैं जो हागेन-डाज जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड्स को तगड़ा मुकाबला देते हैं. और इसका राज है वे घरेलू नए फ्लेवर्स जो जापानियों ने तैयार किए हैं. वजह तो पता नहीं, पर ये ज्यादातर घरेलू कंपनियां ऐतिहासिक शहर कानाजावा में स्थित हैं जिसे जापान की आइसक्रीम कैपिटल भी कहते हैं.

Medium

सोया सॉस आइसक्रीम

कानाजावा स्थित यामाटो सोया सॉस एंड मीजो कंपनी के प्रवक्ता ईजी ताशिरो कहते हैं, “वैसे तो हम मसाले बनाने वाली कंपनी हैं लेकिन 15 साल पहले हमने कुछ अलग करने की कोशिश की. हमने सोचा कि जैसे जापानी लोग पारपंरिक चीजों जैसे सोया और मीजो को पसंद करते हैं, तो क्यों ना इन्हें आइसक्रीम में डालकर देखा जाए.” और नतीजा था, सोया सॉस फ्लेवर वाली वनीला आइसक्रीम. डीडब्ल्यू से बातचीत में ताशिरो ने बताया कि प्रयोग बेहद सफल रहा है. 

वह कहते हैं, “मुझे लगता है कि पहली बार ट्राई करने पर ज्यादातर लोग हैरान होते है. इसका स्वाद सोया सॉस जैसा तो नहीं है. आइसक्रीम में यह कैरामल जैसी ज्यादा लगती है.”

chezzachooun

अपने कासल और पारंपरिक बागों के लिए मशहूर इस शहर में थोड़ा बहुत घूमकर ही पता चल जाता है कि क्यों लोग कानाजावा का नाम आइसक्रीम के साथ लेते हैं. यहां आपको आइसक्रीम मिलेगी, जिस पर स्वर्ण भस्म से लेकर होजिचा ग्रीन टी तक छिड़क कर दी जाती हैं. राइस वाइन के फ्लेवर वाली आइसक्रीम भी है. और, नाकातानी तोफू कंपनी तोफू आइसक्रीम भी बनाती है. बसंत में खूब पसंद किए जाने वाला फ्लेवर है चेरी ब्लॉसम या फिर भुनी शकरगंद भी.

न पिघलने वाली आइसक्रीम

न पिघलने वाली आइसक्रीम भी कानाजावा में ही बनाई गई थी. हालांकि यह एक हादसे के चलते हुए था. बताते हैं कि बायोथेरेपी डिवेलपमेंट रिसर्च सेंटर कंपनी और कानाजावा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मिलकर स्ट्रॉबरी पॉलीफिनोल पाउडर से एक कुदरती स्वास्थ्यवर्धक फ्लेवर बनाने पर काम कर रहे थे. लेकिन उन्होंने देखा कि जब इसे पानी के साथ मिलाकर जमाया गया तो जो बना उसमें और आइसक्रीम में फर्क करना मुश्किल था. और यह पिघल नहीं रहा था.

Japan Web Magzine

अप्रैल 2017 में इसे कानाजावा आइसक्रीम कंपनी ने पहली बार बाजार मे उतारा था और अब यह अलग-अलग आकारों और स्वादों में उपलब्ध है. गर्मी शुरू होते ही टोक्यो के सनशाइन सिटी में एक आइसक्रीम थीम पार्क खोला जाता है, जहां पूरे जापान के कुल्फी वाले जमा होते हैं और अपने-अपने यहां के स्वाद लेकर आते हैं जो एक दूसरे से एकदम भिन्न हैं. जैसे कि दक्षिणी जापान की घोड़े के कच्चे मांस के फ्लेवर वाली आइसक्रीम. या फिर मध्य जापान के धान के खेतों से चावल के स्वाद वाली कुल्फी. नागोया से आती है चिकन विंग के फ्लेवर वाली आइसक्रीम. कहीं मिर्ची वाली तीखी आइसक्रीम है तो केकड़ा, झींगा, बैंगन, काली चीनी और लहसुन का स्वाद भी उपलब्ध है.