क्या आप जानते हैं कि ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ इतिहास में सबसे चतुराई भरी राजनीतिक चाल कौन सी थी? नहीं न, चलिए हम बताते हैं.
दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी की नाज़ी सेना हर जगह फ़तेह हासिल कर रही थी. नाज़ी सेना की क्रूरता से हर कोई परेशान था. यही कारण था कि पोलैंड, इटली जैसे पड़ोसी देश हिटलर की मदद करने के लिए मजबूर थे. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की ताक़त इतनी ज़्यादा बढ़ गई थी कि जर्मनी ने ब्रिटेन, रूस जैसी महाशक्तियों से सीधे दुश्मनी मोल ले ली थी.
हिटलर की ताक़त से ये महाशक्तियां इस कदर परेशान हो गयीं थी कि अंटार्कटिका युद्ध के समय ब्रिटेन और फ़्रांस को दुम दबाकर भागना पड़ा था. अमेरिका उस समय तक युद्ध में शामिल नहीं था. इस क़ामयाबी के बाद हिटलर का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था. अब उसका एक ही लक्ष्य था सोवियत संघ पर कब्ज़ा करना.
इस बीच हिटलर ने जोसेफ़ स्टालिन को धोखा देने के लिए Operation Barbarossa शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत हिटलर ने सोवियत संघ पर धावा बोल दिया, जिससे सोवियत खेमे में खलबली मच गई. ख़ूंखार नाजी सेना ने सोवियत में घुसकर तबाही मचानी शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक उनका सामना रूसी सेना से नहीं हुआ था. हिटलर को लगा कि सोवियत छोटा सा है और रुसी सेना भी ज़्यादा बड़ी नहीं होगी मगर हिटलर यहां मात खा गया.
दरअसल, हिटलर ख़ुद को बेहद चालाक समझता था, लेकिन यहां चाल खेली सोवियत संघ ने. एक सोची समझी रणनीति के तहत उन्होंने नाजी सेना का तब तक सामना नहीं किया जब तक कि वो पूरी तरह से थक ना जाए. इसके लिए रुसी सेना ने हिटलर की सेना को आसानी से अपनी सीमा में प्रवेश करने दिया. हिटलर की सेना को लगा सोवियत जीतना तो आसान है लेकिन वो उल्टा सोवियत के बिछाये जाल में फंसते चले गए.
यहां से शुरू हुआ असली खेल
एक ओर नाज़ी सेना लगातार आगे बढ़ती जा रही थी वहीं रुसी सेना सही समय का इंतज़ार कर रही थी. बरसात का मौसम आते ही युद्ध का मैदान दलदल का रूप ले चुका था. बस यहीं से सोवियत ने अपने पत्ते फेंकने शुरू किये. नाज़ी सेना को आगे बढ़ने दिया और ख़ुद खाने-पीने की सामग्री को नष्ट करते हुए पीछे हटती रही. धीरे-धीरे नाजी सैनिक भूख, प्यास और दलदल में आगे बढ़ते-बढ़ते थक गए तभी रूसी सेना ने उन पर धावा बोल दिया.
सोवियत संघ की ख़ौफ़नाक योजना
अपनी योजना के तहत सोबियत सेना ने लाखों कुत्तों को एकजुट कर उन्हें कई दिनों तक भूखा रखा. इसके बाद टैंक के पास खाना रखकर इन भूखे कुत्तों को छोड़ दिया जाता था. भूखे कुत्ते टैंक देखते ही दौड़ पड़ते थे. इस तरह कई दिनों तक इन कुत्तों की इसी तरह की ट्रेनिंग चलती रही. अब रुसी सेना अपनी इस योजना के साथ तैयार थी उन्होंने कुत्तों की पीठ पर बम बांध दिए गए और जैसे ही नाजी सेना के टैंक दिखे उन्हें छोड़ दिया गया. जैसे ही कुत्ते खाने की तलाश में टैंक के पास दौड़ते हुए पहुंचते रूसी सेना बम से इन टैंकों को उड़ाती रही.
हिटलर की ख़ूंखार नाज़ी सेना रूसी सेना के आगे बेबस नज़र आ रही थी. सोबियत ने एक-एक करके नाज़ी सेना के सारे टैंक उड़ा दिए.इस दौरान अधिकतर नाज़ी सैनिक मारे गए जबकि कुछ को बंधक बना लिया गया. इस तरह रूस ने जर्मनी की ख़ूंखार नाजी सेना को हराकर पूरे विश्व व मानवता को बचाया था.