कई बार लोग धर्म और आस्था के नाम पर अन्न की बर्बादी करते हैं. ये हमेशा से बड़ा और अहम मुद्दा रहा है, जिस पर कई बार बात हो चुकी है. हांलाकि, धर्म और आस्था के नाम पर लोग खाने-पीने की चीज़ें क्यों वेस्ट करते हैं, इसका जवाब कोई नहीं ढूंढ पाया है. अब जवाब तो पता नहीं कब मिले, पर हां मेरठ के छात्रों ने इसका हल ज़रूर खोज लिया है.  

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ये हल मेरठ के पांच छात्रों ने खोजा है, जिन्होंने शिवलिंग पर चढ़ाये जाने वाले दूध को बर्बाद होने से बचाने का जुगाड़ निकाल लिया है. इस शुभ कार्य की शुरुआत शिवरात्री वाले दिन बिलेश्वर नाथ मंदिर से की गई. छात्रों का कहना है कि उनके जुगाड़ की वजह से शिविरात्री के मौक़े पर चढ़ाया गया लगभग 100 लीटर दूध बचा लिया गया. इससे भी अच्छी बात ये है कि बचा हुआ दूध ज़रूरतमंद बच्चों तक पहुंचाया गया.

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इन छात्रों के जुगाड़ की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि इस तरह से किसी की आस्था को ठेस भी नहीं पहुंचता है और ग़रीबों का भला भी हो जाता है. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि शिवलिंग के ऊपर एक कलश रखा हुआ है और उसके नीचे एक गहरा कटोरा. इस कलश के अंदर दो छेद हैं. बताया जा रहा है कशल में लगभग 7 लीटर दूध आ सकता है. जिसमें से एक लीटर दूध शिवलिंग पर लग जाता है और बाक़ी 6 लीटर दूध पाइप के ज़रिये साफ़ बर्तन में चला जाता है.  

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इस तरह से बचे हुए दूध को ग़रीब लोगों में बंटवा दिया जाता है. ये जुगाड़ तैयार करने में लगभग 2,500 रुपये ज़रूर ख़र्च हुए, लेकिन हां उससे कई लोगों का भला हो गया. जमा किया गया दूध ‘सत्यकाम मानव सेवा समिति’ को दिया गया था, जो कि बेसहारा और HIV पॉज़िटिव बच्चों को सहारा देती है.

सच में बिना किसी की भावना को ठेस पहुंचाये. इस तरह की चीज़ की खोज करना बेहद सराहनीय है.