हम छोटे हैं, मोटे हैं, काले हैं, या गोरे हैं, जैसे भी हैं. लेकिन हैं तो इंसान ही न और हर इंसान को जीने का हक़ है. हांलाकि, हर कोई ये बात नहीं समझता है. कई बार हम इंसान को इंसान न समझ कर उससे भेदभाव करने लगते हैं. कई लोग इन सब बातों से प्रभावित होकर अंदर-अंदर घुटते रहते हैं. वहीं कुछ लोग इन सब चीज़ों को छोड़ आगे बढ़ जाते हैं. 

इसका जीता जागता उदाहरण Roger हैं. Roger, Vitiligo नामक बीमारी से जूझ रहे हैं. इस बीमारी में इंसान के शरीर पर सफ़ेद दाग़-धब्बे से पड़ जाते हैं. कई लोग इसे अछूत भी मानते हैं और इसलिये उनके पास आने से डरते हैं. Roger 23 साल के थे जब उन्हें Vitiligo के बारे में पता चला. पहले वो अपने शरीर की इस कमी को छिपाने के लिये मेकअप करते थे.  

Roger से पहले उनके परिवार में किसी को भी ये बीमारी नहीं थी. इससे लिये इससे उनका आत्मविश्वास गिर गया. लोगों ने भी उनके प्रति नाकारात्मक रवैया अपना लिया. यही वजह थी कि अपनी असलियत छिपाने के लिये उन्होंने सालों तक मेकअप का सहारा लिया. वहीं 2016 में Roger की ज़िंदगी में ऐसे दोस्त आये, जिन्होंने उन्हें उनका असली चेहरा सामने लाने के लिये मोटिवेट किया.  

दोस्तों से मिले प्यार और प्रोत्साहन ने Roger को हौसला दिया और उन्होंने अपनी सच्चाई दुनिया के सामने रखी ताकि उनकी तस्वीरें देख कर बाक़ी लोगों को हौसला मिले और उन्हें ख़ुशी.

आज Roger सच्चाई के साथ जीकर पहले से ज़्यादा ख़ुश और मज़े में हैं. वो बिना मेकअप के कहीं भी बाहर घूम सकते हैं.

उनकी इस हिम्मत की हर ओर काफ़ी सराहना हो रही है. Roger की कहानी उन लोगों के लिये प्रेरणा है, जो ख़ुद को हीनभावना की नज़रों से देखते हैं और अंदर-अंदर घुटते रहते हैं.  

अगर आप Roger की तरह किसी इंसान को जानते हैं, तो उसे मोटिवेट करें और सच्चाई के साथ जीने का हौसला दें.