मलाणा, हिमाचल प्रदेश का एक गांव. ये गांव देश ही नहीं दुनियाभर में मशहूर है. इस गांव के नाम पर- दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक गांव, दुनिया का सबसे शिक्षित गांव आदि जैसा कोई रिकॉर्ड नहीं है. ये गांव बाहर के लोगों के बीच फ़ेमस है एक ऐसी चीज़ के लिए जो भारत में ग़ैरक़ानूनी है. ये गांव मशहूर है मलाणा क्रीम के लिए. ये नाम ही ब्रैंड तुल्य है.
क्या है मलाणा क्रीम?
ऐसे बनता है मलाणा क्रीम
भारतीयों के लिए गांजा का सेवन नया नहीं है ग़ौरतलब है कि गांजा का सेवन ग़ैरक़ानूनी है. मलाणा गांव अच्छे क्वालिटी का हैश (मलाणा क्रीम) के लिए फ़ेमस है. हैश का ये फ़ॉर्म सबसे शुद्ध माना जाता है. यूं तो देशभर में हैश मिल जाता है लेकिन उनमें केमिकल्स की मात्रा अधिक होती है.
दुनिया में भारत का मलाणा क्रीम और केरला गोल्ड काफ़ी मशहूर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, केरल सरकार की ऐंटी-नारकोटिक पॉलिसीज़ की वजह से केरला गोल्ड आसानी से नहीं मिलता. मलाणा की बात अलग है, ये गांव बाहर की दुनिया से काफ़ी अलग है, एक तरह से बाहरी दुनिया से काफ़ी अनजान है. यहां सिर्फ़ मलाणा के लोग ही रहते हैं और यहां ज़मीन का क़ानून चलता है. इसलिए मलाणा क्रीम मिलना आसान है. मलाणा के लोग हाथ से रगड़कर हैश तैयार करते हैं. ये गांव भले अपने हैश के लिए जाना जाता हो लेकिन इस गांव से जुड़े अन्य मशहूर क़िस्से भी हैं.
मलाणा क्रीम क्यों है ख़ास?
Cannabis पौधे में कई केमिलक कंपाउंड होते हैं जिन्हें Cannabinoids कहा जाता है. इस पौधे में मौजूद Tetrahydrocannabinol (THC) की वजह से हाई सेन्सेशन महसूस होते हैं. इस पौधे के स्ट्रैन्स (जिनमें THC की मात्रा कम हो) का इस्तेमाल रस्सी, काग़ज़, टेक्स्टाइल आदि में भी होता है. जिन पौधों में Cannabinoids जैसे CBD (Cannabidiol) की मात्रा ज़्यादा होती है उसका इस्तेमाल दवाई बनाने में होता है.
मलाणा क्रीम की क़ीमत
Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, 10 ग्राम मलाणा क्रीम की क़ीमत 1500 रुपये से 8000 रुपये तक हो सकती है. ये क्रीम की शुद्धता पर और क्रीम कहां बिक रहा है इस पर निर्भर करता है. चरस की तस्करी दूर-दराज़ के इलाकों में भी होती है और क़ीमत भी बढ़ जाती है. देश के बाहर तस्करी होने के बाद इसकी क़ीमत बहुत ज़्यादा हो जाती है. मलाना क्रीम एमस्टरडैम के कैफ़ेज़ में भी मिलती है और उसकी क़ीमत सोने जितनी ही होती है!
ग़ैरक़ानूनी होने के बावजूद कैसे होता है प्रोडक्शन
मलाणा गांव बेहद दूर-दराज़ में बसा है और बाक़ी दुनिया से अलग-थलग है. यहां के लोगों ने अपनी अलग संस्कृति बना ली है. मलाणा गांव तक पहुंचने का सबसे नज़दीकी रास्ता भी गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर है, ये सड़क 2007 में बनी थी. सड़क बनने से पहले यहां के लोगों को बाज़ार जाने के लिए भी 26 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी, जिसमें 12 से 15 घंटे लगते थे.
मलाणा से जुड़े अन्य क़िस्से
BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, मलाणा के बाशिंदे सिकंदर के सैनिकों के वंशज हैं. जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया तब उसके कुछ सैनिकों ने मलाणा गांव में शरण ली थी और मलाणा के निवासी उन्हीं सैनिकों के वंशज है. यहां के लोगों का जेनेटिक परीक्षण नहीं हुआ. यहां के लोगों की कद-काठी से ये कहानी सच्ची लगती है. यहां के लोगों की ज़बान हिमाचल के बाक़ी लोगों से अलग है. ये हैं लोग कनाशी भाषा बोलते हैं. बाहरी लोगों को ये भाषा नहीं सिखाई जाती क्योंकि यहां के लोग इस भाषा को बेहद पवित्र मानते हैं. स्थानीय लोग हिंदी समझते हैं लेकिन बातों का जवाब कनाशी में ही देते हैं. यहां के लोग हाथ मिलाने और गले मिलने से भी परहेज़ करते हैं और बाहरी लोगों से ज़्यादा मिलना-जुलना पसंद नहीं करते. नई पीढ़ी घुलती-मिलती है लेकिन पुराने लोग ज़्यादा मेल-जोल पसंद नहीं करते.
अपने हैश के लिए मशहूर मलाणा के ये पहलू भी लोगों को पता होना चाहिए. अपनी संस्कृति को किस तरह बचाकर रखते हैं, ये हम मलाणा और उसके निवासियों से सीख सकते हैं.