रामप्पा मंदिर (Ramappa Temple) तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित है. इस ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दी है. 13वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं, इसलिए इसे ‘रामलिंगेश्वर मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश की उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. हालांकि, रामप्पा मंदिर के ऐतिहासिक होने के बावजूद ज़्यादातर भारतीय इससे अंजान हैं.

ऐसे में आज हम आपको रामप्पा मंदिर से जुड़े कुछ बेहद ख़ास तथ्य बताने जा रहे हैं.

1. 800 साल से भी पुराना है मंदिर का इतिहास

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रामलिंगेश्वर (रामप्पा) मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति रेचारला रुद्र द्वारा किया गया था. इस मंदिर के निर्माण में 40 साल लगे थे. यहां के पीठासीन देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं. 

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2. पानी में भी तैर सकते हैं मंदिर के पत्थर

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रामप्पा मंदिर का शीर्ष जिन ईंटों से बना है, वो इतने हलके हैं कि पानी में भी आसानी से तैर सकते हैं. हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि इन ईंटों का वज़न समान आकार की अन्य ईंटों का लगभग एक तिहाई या एक चौथाई है. यही वजह है कि जहां अन्य प्राचीन मंदिर अपने भारी-भरकम पत्थरों के वज़न की वजह से टूट गए, वहीं ये मंदिर बेहद हलके पत्थरों से बना होने के कारण आज भी मज़बूती से खड़ा है.

3. शिल्पकार के नाम पर पड़ा मंदिर का नाम.

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आमतौर पर, भारत में मंदिरों का नाम मंदिर के देवता के नाम पर रखा जाता है. लेकिन इस मंदिर का नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है. 

4. नंदी की खड़ा मूर्ति

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मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक विशाल मूर्ति भी है. इसकी ख़ासियत ये है कि ये बैठनी की मुद्रा के बजाय ऐसी स्थिति में है कि लगता है कि बस उठने वाली है. जबकि आमतौर पर मंदिरों में नंदी की बैठी हुई मूर्ति ही होती है. यहां की नंदी की एक और ख़ासियत ये है कि मूर्ति की आंखें इस तरह बनी हैं कि अगर आप इसे किसी भी एंगल या दिशा से देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि नंदी आपको ही देख रहे हैं.

5. भूकंप भी मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा सकता.

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इस मंदिर का निर्माण करने वाले काकतीय शासकों ने मंदिर को भूकंपरोधी बनाने की कोशिश की थी. इसके लिए उन्होंने सैंडबॉक्स नामक तकनीक का इस्तेमाल किया. इसमें जिस ज़मीन पर भवन बनने जा रहा है उस पर रेत डाली जाती है, ताकि भूकंप के दौरान इमारत को लगने वाले झटके को कम से कम किया जा सके.

6. मंदिर बनाने से पहले एक छोटा मॉडल भी तैयार किया गया था.

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मुख्य मंदिर के बाहर रामप्पा मंदिर का एक मॉडल बना है. इसका निर्माण मुख्य भवन के निर्माण से पहले किया गया था. इसी मॉडल को देखकर मुख्य मंदिर बनाया गया था. 

7. मंदिर को स्टार के आकार के 6 फ़ीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बनाया गया.

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इस मंदिर को 6 फ़ीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बनाया गया था. इसका आकार बिल्कुल एक स्टार की तरह दिखता है. मंदिर की एक ख़ासियत ये भी है कि ये हज़ारों खंबों से बना है.

8. मंदिर की सीढ़ियों की ऊंचाई बहुत ज़्यादा थी.

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कहते हैं कि काकतीय वंश के शासक बहुत लम्बे थे. सभी की ऊंचाई क़रीब 7 फ़ीट तक तो हुआ करती थी. ऐसे में इस मंदिर की सीढ़ियां भी काफ़ी ऊंची बनाई गई थीं. हालंकि, भारत सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए छोटी सीढ़ियां बनवाई हैं.

9. मंदिर की दीवारोंं पर भारत का गौरवशाली इतिहास भी उकेरा गया है.

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मंदिर की दीवार के साथ-साथ इसके स्तंभ पर भी विस्तृत नक्काशी की गई है. मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के दृश्य देखे जा सकते हैं. साथ ही, रामप्पा मंदिर के तीनों ओर चार-चार आकृतियां हैं, जिनमें डांसिंग गर्ल्स को दिखाया गया है. दिलचस्प बात ये है कि आकृति वाली महिला के नाखून बड़े हैं, जो बताता है कि नाखून बड़े करने का फ़ैशन आज का नहीं है, बल्कि 800 साल पुराना है. वहीं, इन आकृतियों में एक डांसिंग गर्ल हाई हील्स भी पहने हुए है. 

10. धातु की बनी इन नक्काशियों से निकलती है मधुर धुन.

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अगर कोई इन धातु की नक्काशियों पर अपनी उंगलियों या हाथ से मारता है, तो एक मधुर धुन भी सुनाई देती है. 

वाकई में, आज से 800 साल पहले इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल देखना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. अब चूंकि ये विश्व धरोहर हो गया है. ऐसे में उम्मीद है कि न सिर्फ़ भारतीय बल्कि पूरी दुनिया रामप्पा मंदिर के गौरवशाली इतिहास से परिचित हो पाएगी.