कबाब एक भारतीय व्यंजन है. यह प्रायः मांसाहारी होता है, किंतु कुछ लोग शाकाहारी भी बनाते हैं. कबाब मूलतः मांस से बना एक ईरानी व्यंजन है. जैसे-जैसे समय बीतता गया ये कबाब तुर्की, साउथ एशिया के मुख्य व्यंजनों की लिस्ट में शामिल हो गया. वर्तमान में कबाब दुनिया के ज्यादातर देशों में खाया जाता है. पश्चिमी देशों में कबाब को आमतौर पर ‘Shish Kebab’ के नाम से जाना जाता है, जिसे एक सींक में फंसाकर आंच के ऊपर रखकर ही परोसा जाता है. जबकि मध्य पूर्व के देशों में कबाब को बड़े छोटे और अलग-अलग आकार में काटे गए मीट के टुकड़ों को सीधे ही आंच पर रखकर पकाया जाता है. इनको प्लेट, कटोरी, या फिर सैंडविच के बीच में रखकर भी परोसा जाता है.

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कबाब के लिए जो मीट पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है, वो Lamb (मेमना) का होता है. लेकिन कबाब किस मीट से बनेगा ये स्थानीय स्वाद पर भी निर्भर करता है, जैसे आजकल लोग कबाब के लिए बीफ़, बकरी, चिकन, पोर्क, फिश और सीफ़ूड का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा शाकाहारी लोग वेज कबाब बनाते हैं, जिसके लिए वो सब्ज़ियों, दालों और टोफू का प्रयोग करते हैं. दूसरे पारंपरिक व्यंजनों जो पर्यटकों द्वारा दुनिया में प्रसिद्ध हुए हैं, की तरह ही कबाब भी पूरे विश्व में बहुत से देशों के व्यंजनों में शामिल हो गया है. केवल हमारे देश में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में इसको अलग-अलग तरह से बनाया जाता है और खाया जाता है.

क्या है कबाब का इतिहास?

माना जाता है कि कबाब बनाने की शुरुआत उस दौरान हुई थी, जब खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले ईंधन की कमी हो गई थी. ईंधन की कमी के कारण ज्यादा मात्रा में एकसाथ मीट पकाने में दिक्कत होती थी. इसलिए उस टाइम के लोग मीट के बड़े टुकड़ों को कसाई की दुकान से छोटे-छोटे टुकड़ों में कटवाकर ले आते थे. एक Moroccan यात्री Ibn Battuta के अनुसार, भारत में दिल्ली सल्तनत काल (1206-1526 AD) के दौरान राजा-महाराजाओं के यहां खाने में परोसे जाते थे. यहां तक कि उस काल में आम आदमी भी सुबह के नाश्ते में नान के साथ कबाब का आनंद लेते थे.

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माना जाता है कि यह लजीज़ पकवान मध्य पूर्व और प्राचीन ग्रीस में प्राचीन काल से बनाई जा रही है. कबाब के बारे में यह भी सुनने में आया है कि जब Alexander, पोरस से मिला था उस समय Alexander ने उसके सामने कुछ विशेष भारतीय पकवान पेश किये थे, जिसमें से एक कबाब था. लेकिन आधिकारिक तौर पर ये माना जाता है कि इंडिया में कबाब मुग़ल काल में आये थे और धीरे-धीरे इनको भारतीय पकवानों में शामिल कर दिया गया.

क्या आप जानते हैं?

1. ‘कबाब’ एक फारसी शब्द है और इसको अरब में बनाई जाने वाले पारंपरिक व्यंजन के नाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस व्यंजन को मध्ययुगीन फारसी सैनिकों द्वारा बनाया जाता था. ये सैनिक जंग के मैदानों या अपने लंबे सफर के दौरान तेल और घी की कमी के कारण अपनी तलवार में मीट को फंसाकर आंच के ऊपर भूनते थे. बाद में जिसे सीख कबाब (और भारत के बाहर शीश कबाब) के नाम से पहचान मिली. बाद में इन तलवारों की जगह सीख का इस्तेमाल किया जाने लगा.

2. Alexander Dumas को उसके द्वारा लिखी गई ‘The Three Musketeers’ और ‘The Count of Monte Cristo’ नॉवेल्स के लिए भी जाना जाता है. लेकिन इसके अलावा उसको उसके यात्रा वृतांत और उसमें किये गए अलग-अलग जगहों के लजीज़ पकवानों के लिए भी जाना जाता है. उसके द्वारा बताई गई ‘Lamb Kebab’ बनाने की विधि को फेमस कुक Steven Raichlen ने भी अपनाया था.

आइये अब आपको बताते हैं कुछ लोकप्रिय कबाबों के बारे में:

Chelow Kebab

यह ईरान का राष्ट्रीय पकवान है. इसे केसर बासमती चावल, भुने हुए टमाटर, अंडे, शीश कबाब, रेशमी कबाब आदि के साथ परोसा जाता है. Chelow Kebab को सबसे ज्यादा छाछ के साथ खाया जाता है.

काकोरी कबाब

इसे काकोरी कबाब इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भारत के राज्य के एक छोटे से कस्बे काकोरी की खासियत है. कुछ लोगों का मानना है कि इसे सबसे पहले काकोरी के नवाब Syed Mohammad Haider Kazm द्वारा ब्रिटिश शासकों की ओर से सख्त कबाब बनाये जाने की शिकायतों के बाद बनवाया गया था. इस कबाब में रान की मछली को इस्तेमाल किया जाता है.

दही के कबाब

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कबाब एक बहुत ही स्वादिष्ट स्टार्टर डिश है जिसे मुख्य तौर पर अवध क्षेत्र की स्पेशलिटी माना जाता है. अगर आप शाकाहारी हैं तो आप अपने घर पर आसानी से दही के कबाब बना सकते हैं. ये कबाब केवल दही का इस्तेमाल करके बनाये जाते हैं.

हरा-भरा कबाब

हरा-भरा कबाब एक स्वादिष्ट नाश्ता है जो वेजिटेबल कटलेट जैसा ही होता है लेकिन उसे पालक, हरी मटर और आलू के साथ बनाया जाता है. इसे हरा-भरा कबाब इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसको बनाने के लिए पालक की बेहद ज़रूरी होता है.

शामी कबाब

मीट कबाब की खासियत ही यही है कि आप इसे स्नैक के तौर पर खाने के साथ-साथ रुमाली रोटी के साथ भी खा सकते हैं. हालांकि इसे बनाने में कुछ वक्त तो जरूर लगता है लेकिन एक बार आपने इसका जायका चख लिया तो जिन्दगी भर भूल नहीं पाएंगे.

टुंडे कबाब या गिलौटी कबाब

 

टुंडे कबाब या गिलौटी कबाब एक लखनवी या फिर अवधी कबाब है. ये उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की खासियत हैं. दुनियाभर में मशहूर टुंडे कबाब की खासियत है कि यह मुंह में डालते ही घुल जाता है. लखनऊ के नवाबों को कबाब बड़े ही पसंद थे, लेकिन जब उनके दांत कमजोर होने लगे तब उन्‍होंने अपने बावर्ची से मुलायम कबाब बनाने की फर्माइश की, जिसे वे अपने बिना दांतों वाले मुंह से खा सकें. तब उनके शाही बावर्ची ने इस कबाब का निमार्ण किया.

शीश या सींक कबाब

इसे अगर कबाब का राजा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. सबसे पहले जो कबाब बनाया गया था वो शीश कबाब ही था. जंग के मैदान में सैनिक मीट को अपनी तलवार में फंसाकर पकाते थे, जिसे बाद में सींक कबाब का नाम दिया गया.

बोटी कबाब

बोटी कबाब हैदराबाद के खास पकवानों में से एक है. ये नज़ीम काल का एक प्रमुख और लजीज़ पकवान है. इसे बिना हड्डी के मटन से बनाया जाता है.

फिश टिक्का कबाब

इस कबाब को फिश का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. इसे ज्यादातर फ्रेंच फ्राइज़ और हरी चटनी के साथ सर्व किया जाता है.

कबाब का सबसे अच्छा पूरक क्या है?

कबाब अपने आप में एक पूर्ण और स्वादिष्ट पकवान है. लेकिन अचार और पंराठा, बटर राइस, ब्रेड रोल और फ्रेंच फ्राइज़ को भी कबाब के साथ सर्व किया जा सकता है.