मॉडर्न डाइट के हिसाब से पतले रहने के लिए लोग कम फैट वाला खाना खाने का सुझाव देते हैं. तो जाहिर है कि घी जो कि पूरी तरह से फैट से भरा है उसे भी खाने को मना करेंगे. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, जानते हैं विज्ञान की नजर से.

1. खाने में इस्तेमाल

भारत और मध्य पूर्व के देशों में पारंपरिक खान पान में घी का इस्तेमाल होता आया है. पश्चिम में लोग इसे क्लैरिफाइड बटर के नाम से जानते हैं.

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2. शुद्ध घी के गुण

वसा का एक शुद्ध स्रोत घी किसी भी तरह के ट्रांस फैट से मुक्त होता है. एक साल तक कमरे के तापमान पर ही इसे शुद्ध रूप में रखा जा सकता है

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3. आयुर्वेद की नजर में

6,000 साल से भी पुराने पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में घी के इस्तेमाल का जिक्र मिलता है. यह गाय के दूध से बनने वाला घी होता है.

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4. पारंपरिक घी के गुण

भारत के घरों में मक्खन को कम आंच पर पकाते हुए जिस पारंपरिक तरीके से घी निकाला जाता है उससे घी में विटामिन ई, विटामिन ए, एंटीऑक्सीडेंट और दूसरे ऑर्गेनिक कंपाउंड सुरक्षित रहते हैं

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5. शरीर के आंतरिक सफाईकर्मी -एंटीऑक्सीडेंट

घी में विटामिन ई के रूप में जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है वह शरीर में घूम रहे फ्री रैडिकल्स को ढूंढ कर खत्म कर देता है. इस तरह कोशिकाओं और ऊत्तकों को फ्री रैडिकल के नुकसान से बचाता है और कई बीमारियों की संभावना से भी.

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6. पश्चिम का घी

बिना नमक वाले बटर को गरम करने से भी तरल घी और मक्खन अलग हो जाते हैं. इसी तरल को पश्चिमी देशों में क्लैरिफाइड बटर या घी के नाम से बेचा जाता है.

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7. जल कर भी नष्ट नहीं

ज्यादातर तरह के तेल को तेज आंच पर गर्म किए जाने से उसमें से फ्री रैडिकल कहलाने वाले अस्थिर तत्व निकलते हैं जो कि शरीर में जाकर कोशिका के स्तर पर बदलाव ला सकते हैं. वहीं घी का स्मोकिंग प्वाइंट 500° फारेनहाइट होने के कारण तेज आंच पर भी उनके गुण नष्ट नहीं होते.

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8. कैंसर से लड़ने वाले – CLA

घास के मैदानों में चरने वाली गायों के दूध से निकाला गया घी सबसे अच्छा माना जाता है. इसमें सीएलए यानि कॉन्जुगेटेड लिनोलेइक एसिड का भंडार मिलता है जो दिल की बीमारियों से लेकर कैंसर तक से लड़ने में मददगार होते हैं.

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9. हार्ट के लिए अच्छा या बुरा

घी में मोनोसैचुरेटेड ओमेगा -3 फैट काफी मात्रा में पाए जाते हैं. यह वही फैट हैं जो सालमन मछली में भी मिलते हैं और इस कारण से पश्चिम में काफी लोकप्रिय हैं और दिल को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर इसे खाने की सलाह भी देते हैं.

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10. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल

आयुर्वेद में जलन और आंतरिक संक्रमण में इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. इसमें पाए जाने वाले ब्यूटाइरेट नामके फैटी एसिड शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए अच्छे माने जाते हैं. घी में एंटी वायरल और पाचन तंत्र के भीतर की सतह की मरम्मत के गुण भी पाए जाते हैं.

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11. विटामिनों और खनिजों का माध्यम

खाने में मौजूद कई तरह के विटामिनों और खनिजों के लिए घी एक माध्यम का काम करता है. यह पोषक तत्व घी में घुल कर ज्यादा आसानी से शरीर की पाचन तंत्र में सोखने लायक बन पाता है.

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12. एलर्जी वालों के लिए भी सुरक्षित

चूंकि घी बनाने की प्रक्रिया में दूध के लगभग सारे ठोस हिस्से अलग कर दिए जाते हैं, इसलिए शर्करा (लैक्टोज) और प्रोटीन (केसीन) की एलर्जी वाले भी घी खा सकते हैं.

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13. रोज कितना घी खाएं

अगर आपको घी से कोई दिक्कत नहीं रही है तो इसे रोजाना अपने खानपान में शामिल रखें. आप जहां भी रहते हैं, जैसे परिवेश से आते हैं और आपके परिवार के खानपान में जैसे घी शामिल रहा है वैसे ही खाना चाहिए. हालांकि अगर आपको कोई स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कत है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही घी लेना चाहिए.

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14. बदनाम रहे फैट का क्या

घी फैट का स्रोत तो है ही और हाल तक हर तरह के फैट को लेकर पूरे विश्व में अच्छी धारणा नहीं थी. घी और कई तरह के मक्खन में भी सैचुरेटेड फैट होते हैं जिनका संबंध दिल की बीमारों से रहा है. अब तक ऐसी पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है जो इसे सुरक्षित बता सकें.  

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