यार ये घर के ऊपर से हवाई जहाज गुज़र रहा है या फिर किसी इमारत पर ये लैंड हो गया है? अगर कभी आप लखनऊ के 28, सुभाष मार्ग (राजा बाज़ार) से गुज़रे होंगे, तो इस बिल्डिंग को देखकर आपके मन में ये ख़याल ज़रूर आया होगा. आपका इस तरह सोचना लाज़मी भी है, क्योंकि ये घर बना ही कुछ इस तरह है. यही वजह है कि इसे ‘जहाज वाली कोठी’ के नाम से जाना जाता है. 

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लखनऊ की इस मशहूर कोठी के ऊपर हवाई जहाज की आकृति बनी हुई है. आज इस कोठी में रस्तोगी परिवार की चौथी पीढ़ी रह रही है और तीन भाइयों के बीच इसका बंटवारा है.

महज़ 3 साल में बनकर तैयार हो गई थी ये कोठी

साल 1955 में माधुरी शरण रस्तोगी के दिमाग़ में इस कोठी को बनाने का विचार आया था. कहा जाता है कि उन्हें हवाई जहाज बड़ा पसंद था. ऐसे में उन्होंने इस बेहतरीन इमारत को बनवाने का सोचा. महज़ 3 साल में ही ये कोठी बनकर तैयार हो गई थी. हालांकि, वो अपनी इस नायाब कोठी में रहने का सुख नहीं ले पाए और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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इस हवाई जहाज में 20-25 लोग बैठ भी सकते हैं

दिलचस्प बात ये है कि ये हवाई जहाज सिर्फ़ दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें 20 से 25 लोग बैठ भी सकते हैं. हवादार होने की वजह से इसके अंदर घुटन भी महसूस नहीं होती है.

आजकल के घरों से अलग इस 3 मंज़िला कोठी में गोल आंगन मौजूद था. साथ ही, ये कोठी अपने समय से काफ़ी आगे थी. सिल्वर पेंटेड इस हवाई जहाज में लाइट और प्रोपेलर्स भी लगे थे. प्रोपेलर्स को पुली से जोड़ा गया था, जिसे मोटर के ज़रिए चालू भी किया जा सकता था. बाद में धातु के बने प्रोपेलर्स खराब हो जाने के बाद इन्हें लकड़ी के प्रोपेलर्स से बदल दिया गया. 

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अगर आज इस कोठी के संस्थापक-डिज़ाइनर माधुरी शरण रस्तोगी ज़िंदा होते तो इसमें हुए बदलवों को भी देख पाते. दरअसल, समय के साथ इसमें काफ़ी बदलाव आ चुके हैं. अब यहां रिसाइज़्ड कमरे हैं, गोल आंगन मौजूद नहीं है, सामने बनी बगिया भी अब नहीं रही है. हालांकि, कोठी का पीछे का हिस्सा आज भी पहले जैसा ही है. 

इस कोठी को देखकर ऐसा लगता है कि स्वर्गीय माधुरी शरण रस्तोगी इसे बनाकर लोगों का ध्यान तो खींचना चाहते ही थे. साथ में अपने परिवार को भी हवाई जहाज की तरह आसमान की बुलंदियों को छूने का मैसेज देना चाहते थे. ख़ैर, ये ‘जहाज वाली कोठी’ भारत में अपनी तरह की इकलौती इमारत है.