अमेरिका के साथ हुई तना-तनी के बाद तालिबान ने अफ़गानिस्तान के 80 प्रतिशत हिस्से पर कब्ज़ा जमा लिया है. कहते हैं कि 1990 में तालिबान का जन्म उत्तरी पाकिस्तान में हुआ था. पश्तो भाषा में तालिबान का अर्थ होता छात्र. ऐसे छात्र जो कट्टर इस्लामिक शिक्षा से प्रेरित हों. ऐसा भी माना जाता है कि तालिबान को बढ़ावा देने में सउदी अरब का हाथ है. सउदी से मिल रही आर्थिक मदद की वजह से तालिबान ने लोगों के मन में अपना डर बिठा दिया है.
तालिबान राज में महिलाओं को लेकर भी तमाम बंदिशें लगा दी गई हैं. वहां महिलाएं ज़िंदा होकर भी कठपुतली वाला जीवन जी रही हैं. आइये जानते हैं कि तालिबानियों ने महिलाओं के लिये कौन-कौन से क्रूर नियम बना कर उनका जीवन ख़राब कर दिया है.
1. अकेले नहीं जा सकती हैं घर से बाहर
तालिबान राज में महिलाएं अकेले घर से बाहर नहीं जा सकती हैं. घर से बाहर निकलते वक़्त महिला के साथ किसी पुरुष का होना आवश्यक है.
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2. पब्लिक प्लेस पर नहीं कर सकती हैं हंसी-मज़ाक
तालिबान के कब्ज़े वाली जगह पर कोई भी महिला सावर्जनिक रूप से हंसी-मज़ाक नहीं कर सकती है. यहां तक कि महिलाओं के काम पर जाने की मनाही भी हो गई है.
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3. महिलाओं के मेकअप पर भी है पाबंदी
तालिबान की तरफ़ से महिलाओं के मेकअप पर भी नियम बनाये गये हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान राज में महिलाओं के कॉस्मेटिक उपयोग पर मनाही है. यही नहीं, अगर किसी महिला को दुकान से कुछ लेना है, तो वो ऐसी दुकान पर जायेगी जहां महिला सामान बेच रही हो. महिलाओं का पुरुषों से हाथ मिलाना भी मना है. ज़्यादा जानकारी के लिये आप Revolutionary Association of the Women of Afghanistan की वेबसाइट भी देख सकते हैं.
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4. खिड़की से ताकाझाकी मना है
तालिबानी शासन में महिलाएं घर की बालकनी या छत से बाहर नहीं झांक सकती हैं. उनका बुर्के में रहना बेहद आवश्यक है. इसके साथ ही तालिबानी इलाके में बने घरों की खिलड़कियों पर पेंट की परत चढ़ा दी जाती है. ताकि कोई भी पुरुष बाहर से अंदर का नज़ारा न देख सके.
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5. हाई हील्स पर है रोक
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की हाई हील्स की आवाज़ से पुरुषों का ध्यान भटक जाता है. इसलिये उन्होंने महिलाओं की हील्स पर बैन लगा रखा है. इतना ही नहीं, महिलाओं को तेज़ आवाज़ में बात करने की इजाज़त भी नहीं है.
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6. महिलाओं की तस्वीर नहीं है kuch mising hai
तालिबानी इलाकों में आपको किसी भी जगह महिलाओं की तस्वीर या पोस्टर नहीं मिलेंगे. ब्यूटी पॉर्लर से लेकर संस्थानों तक महिला का एक भी पोस्टर नहीं दिखेगा. यहां तक विज्ञापनों में भी महिला का चेहरा इस्तेमाल नहीं होता है.
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7. आवाज़ उठाने पर कर दी जाती है हत्या
आतंकियों के जुर्म से परेशान होकर अगर कोई महिला हक़ के लिये आवाज़ उठाये, तो उसका मर्डर कर दिया जाता है. RAWA की फ़ाउंडर मीना केशवर कमल नामक महिला ने महिलाओं के हित में खुलकर बोलने की कोशिश की थी, लेकिन 1987 में उनकी हत्या करके उन्हें हमेशा के लिये चुप करा दिया गया.
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सिर्फ़ महिलाएं ही नहीं, तालिबानी बच्चों से लेकर पुरुषों के लिये भी कई नियम बना रहे हैं. ये सब सुनकर बस यही कह सकते हैं कि वहां के लोगों की ज़िंदगी नर्क से कम नहीं है.