बीजेपी नेता ज्याेतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) भारतीय राजनीति में एक ख़ास मुकाम रखते हैं. कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए ज्याेतिरादित्य ग्वालियर के मशहूर ‘सिंधिया राजघराने’ से संबंध रखते हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेता हुआ करते थे. ज्योतिरादित्य ‘ग्वालियर रियासत’ के अंतिम महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के पोते हैं.
वर्तमान में ग्वालियर राजघराने के युवराज ज्याेतिरादित्य सिंधिया के पूर्वज उनके लिए विरासत में धन, दौलत, शोहरत सब कुछ छोड़ गए हैं. वो अपने परिवार के साथ जिस महल में रहते हैं उसका नाम जय विलास महल (Jay Vilas Palace) है. ज्योतिरादित्य सिंधिया अकेले इस महल के मालिक हैं.
आज हम आपको ज्याेतिरादित्य सिंधिया के इसी शाही महल की ख़ासियत बताने जा रहे हैं-
ये आलीशान महल 147 साल पुराना है. क़रीब 12 लाख वर्गफीट से अधिक क्षेत्र में फ़ैले इस महल की क़ीमत 4000 करोड़ रुपये से अधिक है. इस महल में 400 से अधिक कमरे हैं. ये देखने में भी बेहद ख़ूबसूरत है.
वर्तमान में ‘सिंधिया राजपरिवार’ का निवास स्थल होने के साथ ही ‘जयविलास महल’ एक ‘भव्य संग्रहालय’ के रूप में भी जाना जाता है. इस महल के 30 से अधिक कमरों को संग्रहालय बना दिया गया है. इसका अधिकतर हिस्सा इटैलियन कला से प्रभावित है. इस महल में इटली, फ्रांस, चीन और अन्य कई देशों की हज़ारों दुर्लभ कलाकृतियां मौजूद हैं.
इस महल को बनाने में लगे थे 1 करोड़ रुपये
इस राजमहल को ग्वालियर के महाराजाधिराज जीवाजी राव सिंधिया अलीजाह बहादुर ने सन 1874 में बनवाया था. इस आलिशान महल को बनाने में क़रीब 1 करोड़ रुपये लगे थे. इसे आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस ने डिज़ाइन किया था. फिलोस ने इस महल को वास्तुकला के इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली से प्रेरणा लेकर बनाया था.
महल का ‘दरबार हॉल’ है प्रसिद्ध
सन 1964 में इस महल को आम जनता के लिए खोल दिया था. इस आलीशान महल का प्रसिद्ध ‘दरबार हॉल’ इसके भव्य इतिहास का गवाह है. इसके संग्रहालय में दो बड़े-बड़े झूमर लगे हुए हैं, जिनका वजन हज़ारों टन है. कहते हैं कि इन झूमरों को टांगने से पहले 10 हाथियों को छत पर चढ़ा कर पहले छत की मजबूती मापी गई थी, उसके बाद इन्हें टांगा गया था.
संग्रहालय में मौजूद है ‘चांदी की रेल’
इस महल के संग्रहालय में मौजूद ‘चांदी की रेल’ पर्यटकों का मन मोह लेती है. इस ट्रेन की पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हुई हैं और विशिष्ट दावतों में ये रेल खाना परोसती चलती है. भारतीय नागरिकों को यहां घूमने के लिए 150 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट लेना होता है, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए टिकट की क़ीमत 800 रुपये है.
इस महल के एक हिस्से को वैसे ही संरक्षित कर के रखा गया है जिस तरह से इसे बनाया गया था ताकि लोग इसका वो रूप भी देख सके. इस राज शाही महल का निर्माण ख़ासतौर पर वेल्स के राजकुमार ‘किंग एडवर्ड VI’ के भव्य स्वागत के लिए करवाया गया था. इसके बाद ये महल ‘सिंधिया राजवंश’ का निवास भी रहा.