2001 की बात है. नापाक इरादों वाले आतंकियों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर हमला बोल दिया था. हमले में संसद भवन के चिथड़े उड़ सकते थे. पर एक वीरांगना की बदलौत आतंकी अपने मक़सद में कायमाब न हो सके. युद्ध के मैदान में अपनी जान की कुर्बानी देकर जाबांज़ सिपाही ने संसद भवन को बचा लिया.  

bbci

कहानी उस बहादुर कांस्टेबल की जिसने 11 गोलियां खाकर आतंकी हमले को किया नाकाब:  
2001 की सुबह का वो भयानक मंज़र आज भी दिल दहला देता है. 13 दिसबंर को रोज़ की तरह संसद सत्र की शुरुआत हुई थी, लेकिन तभी पता चला कि सत्र को स्थगित कर दिया गया है. उस दिन संसद भवन के गेट नबंर11 पर महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी तैनात थीं. इस बीच वहां एक सफ़ेद रंग की अंबेसडर कार आकर रुकती है. कार में लगभग पांच आतंकी मौजूद थे, जिनके पास AK47 और हैंड ग्रैनेड था.

bbci

दुश्मन सेना की वर्दी में आया था. इसलिये वो सभी को चकमा देने में कामयाब रहे, लेकिन महिला कांस्टेबल को उन पर संदेह हुआ. क़िस्मत देखिये उस दिन कमलेश के पास को हथियार नहीं था. आतंकी संसद के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे. तभी जाबांज़ सिपाही ने वॉकी-टॉकी से कांस्टेबल सुखविंदर को सचेत करना शुरू दिया. महिला सिपाही के चिल्लाने पर चारों ओर अफ़रा-तफ़री मच गई. तभी आतंकियों ने कमलेश कुमारी के सीने पर 11 गोलियां दाग़ दीं.

indiatimes

कमलेश कुमारी के चिल्लाने पर कांस्टेबल सुखविंदर ने जल्दी से संसद भवन का गेट बंद कर लिया. इसके बाद लगभग सेना और आतंकियों के बीच 45 मिनट तक लड़ाई चलती रही है. वो कहते हैं न कि किसी सिपाही की शहादत बर्बाद नहीं जाती. कमलेश कुमारी की भी नहीं गई. इस मुठभेड़ में 11 गोलियां खा कर वो शहीद हो गईं, देश और उसके मंदिर को बचा गईं.

thankyouindianarmy

संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु को कोर्ट ने फ़ांसी की सज़ा सुनाई और कमलेश कुमारी को उनकी कर्तव्यनिष्ठा के लिये अशोक चक्र से नवाज़ा गया. इसी के साथ वो ये सम्मान पाने वाली देश की पहली महिला कांस्टेबल बन गईं. कमलेश कुमारी की याद में उनके गांव सिकंदपुर में स्मारक स्थल भी बनाया गया. उनकी दो बेटियां थीं. कमलेश एक छोटे से परिवार में ख़ुशहाली की ज़िंदगी जी रही थीं, लेकिन जब देश पर बात आई तो अपने कर्म को सबसे ऊपर रखा.

indiatimes

महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी की इस बहादुरी के लिये देशवासी हमेशा उनके कर्ज़दार रहेंगे. सच में कमलेश जैसी वीरांगनाएं बहुत ही कम होती हैं.