शहर की आबोहवा के हम इतने आदी हो चुके हैं कि प्रकृति को भूलते जा रहे हैं. जब हमें कभी शांति की ज़रूरत होती है तो हम उठकर प्रकृति की गोद में जा बैठते हैं और प्रकृति हमें शीतलता और सुकून देती है. हरियाली, मिट्टी की ख़ुशबू सारी चिंता, टेंशन, स्ट्रेस दूर कर देती है.
अहिल्यानगरी इंदौर से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर है एक ऐसा स्थान जहां हर इंदौरी आसानी से पहुंच सकता है. शहर की भाग-दौड़ से दूर यहां कुछ पल आराम कर सकता है. हम बात कर रहे हैं ‘कजलीगढ़ क़िले’ की.
कजलीगढ़ क़िला सिमरोल गांव में स्थित है. यहां सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. अगर आप कार से सफ़र कर रहे हैं तो आपको सिर्फ़ 20 रुपये का मेन्टेनेंस और एंट्री चार्ज देना होगा.
इस क़िले के आस-पास कई तरह के पेड़-पौधे हैं. क़िले की दीवारें आज भी होल्कर वंश की कई कहानियां अपने में समेटे हैं, इन कहानियों को आप सुन नहीं सकते पर महसूस ज़रूर कर सकते हैं. हालांकि ये क़िला अब खंडहर बन चुका है लेकिन होल्कर शौर्य की गवाही दे रहा है.
इस क़िले से हरियाली से ढके पहाड़ नज़र आते हैं. झरने से बहता पानी किसी संगीत से कम नहीं. यहां एक ऐतिहासिक शिव मंदिर है जिसे कजलीगढ़ महादेव के नाम से भी जाना जाता है. पास ही स्थित वॉटरफ़ॉल में लोग स्नान करते हैं और महादेव के दर्शन करते हैं.
फ़ोटोग्राफ़ी के शौक़ीनों के लिए ये जगह जन्नत से कम नहीं. ट्रेकर्स यहां पहुंचकर निराश नहीं होंगे. इतिहास और प्रकृति का अनोखा संगम है ये जगह.
कजलीगढ़ क़िला घूमने का सबसे सही समय है मानसून. सूर्यास्त से पहले यहां से घूम-फिरकर लौट जाने की हिदायत दी जाती है. हफ़्तेभर की चहल-पहल के बाद सुकून के लिए यहां ज़रूर जाइए.