Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic: आधुनिक जीवन में प्लास्टिक इस कदर शामिल हो गया है कि इंसान इससे अलग होना ही नहीं चाहता है. इंसान ये नहीं सोचता है कि उसके द्वारा फ़ेंकी जा रही प्लास्टिक न सिर्फ़ ज़मीन बल्कि जीवों को भी ख़तरे में डाल रही है. जानकर हैरानी होगी कि प्लास्टिक डीकंपोज़ होने में 20 से 500 साल तक का वक़्त लग सकता है. हालांकि, बहुत कम ही लोग हैं जो इसे गंभीर समस्या समझ इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाते हैं और अपने क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए काम करते हैं. 

इस कड़ी में हम आपको राजस्थान के एक ऐसे चायवाले के बारे में बताते हैं जो अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त कराने की मुहिम में लगा हुआ है. वो प्लास्टिक के बदले लोगों को मुफ़्त पौधे और ज़रूरत का सामान देता है.

आइये, विस्तार से जानते हैं कौन है ये चायवाला (Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic) और किस तरह ये पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं. 

राजस्थान के राम मेवाड़ा

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic: हम जिस शख़्स की बात कर रहे हैं उनका नाम है काना राम मेवाड़ा (Kana Ram Mewada From Rajasthan), जो राजस्थान के बीसलपुर गांव (ज़िला पाली) के रहने वाले हैं. राम मेवाड़ एक छोटी-सी चाय की दुकान चलाते हैं, लेकिन पर्यावरण के लिए काम करने की वजह से वो एक पर्यावरण सरंक्षक के तौर से भी जाने जाते हैं. राम मेवाड़ा एक ख़ास मुहिम में लगे हुए हैं. वो अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त करना चाहते हैं और इसके लिए वो काम भी कर रहे हैं. 

प्लास्टिक मुक्त गांव

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

Scoopwhoop Hindi से हुई बातचीत में काना राम मेवाड़ (जिन्हें लोग कानजी भाई के नाम से भी पुकराते हैं) ने बताया कि वो इस मुहिम में क़रीब डेढ़ साल से लगे हुए हैं. उन्होंने इसकी शुरुआत पहले ख़ुद से की और लोगों को भी जागरूक करने काम किया. उनकी चाय की दुकान में चेयर से लेकर टेबल सभी इको फ़्रेंडली नज़र आएगा. वहीं, ये उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि लोग पर्यावरण संरक्षण को समझ रहे हैं और उनका साथ दे रहे हैं. 

प्लास्टिक के बदले देते हैं पौधे और अन्य चीज़ें

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic: पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम को उन्होंने एक बड़ा सुंदर रूप दिया है. दुकान पर उन्होंने एक काग़ज़ चिपकाया हुआ है, जिस पर लिखा है, “सिंगल यूज़ प्लास्टिक लाइए और एक पौधा मुफ़्त पाइए.”

लोग अब प्लास्टिक को इधर-उधर फेंकने के बजाय काना राम मेवाड़ को देने आते हैं. न सिर्फ़ गांव वाले बल्कि गांव के पास जवई डैम घूमने आए पर्यटक भी ये काम करते हैं. इस काम की वजह से काना राम मेवाड़ को आसपास के क्षेत्र के लोग भी जानने लगे हैं.

ये भी पढ़ें: भारत का एकमात्र ऐसा स्कूल जहां बच्चे फ़ीस में पैसे नहीं, बल्कि कचरा देते हैं

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

कानजी भाई न सिर्फ़ पौधे बल्कि प्लास्टिक के बदले लोगों को ज़रूरत का सामान जैसे चीनी, बच्चों को पेंसिल-रबड़ व ज्योमेट्री बॉक्स भी देते हैं यानी पर्यावरण के साथ-साथ समाजसेवा का भी काम कर रहे हैं कानजी भाई.

कैसे हुई शुरुआत  

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic: कानजी भाई कहते हैं कि गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की प्रेरणा उनके ही गांव के सदस्य दिलीप कुमार जैन से मिली, जो मुंबई में एक एनजीओ से जुड़े हुए हैं. दिलीप जैन के साथ मिलकर ही काना राम मेवाड़ ने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने का फैसला किया था.  

Kana Ram Chaiwala Gives Free Plant in Exchange of Plastic
Image Source: Kana Ram Mewada

कानजी भाई (Kana Ram Mewada From Rajasthan) बताते हैं कि लोगों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए उन्होंने डोर-टू-डोर जाना शुरू किया. उन्होंने लोगों से कहा कि आप इधर-उधर प्लास्टिक न फ़ेकें और 25 रुपए किलो के हिसाब से हमें प्लास्टिक वेस्ट बेचें. इसके बाद लोगों ने वेस्ट देना उन्हें शुरू किया. कानजी भाई ने बताया कि उन्होंने लोगों से बताया कि कैसे हमारी गाय हमारी फ़ेंकी हुई प्लास्टिक खा रही हैं.

कानजी भाई की बात लोग समझने लगे और अब गांव के लोग इधर-उधर प्लास्टिक न फ़ेंक कानजी भाई को लाकर देते हैं. वहीं, गांव में धीरे-धीरे प्लास्टिक का यूज़ भी काम हो रहा है.

शुरुआत में एक-दो किलो प्लास्टिक वेस्ट से हुई, लेकिन आज हर महीने क़रीब 30 से 50 किलो प्लास्टिक वेस्ट जमा किया जाता है. इसे वस्ट को काना राम मेवाड़ ख़ुद रिसाइकल करते हैं और मुंबई भी भेजते हैं.

ये भी पढ़ें: किसी बड़ी प्रेरणा से कम नहीं है बिहार का ‘धरहरा’ गांव, बेटी के जन्म पर लगाए जाते हैं 10 पौधे