Last Railway Station Of India: एक जगह से दूसरी जगह जाना हो और दूरी ज़्यादा हो तो आप लोग ट्रेन या हवाई जहाज़ का रास्ता चुनते हैं. मगर ज़्यादातर लोग ट्रेन का क्योंकि ट्रेन हर किसी के बजट में फ़िट बैठती है. इस लिहाज़ से तो अभी तक आप सब न जाने कितने रेलवे स्टेशन घूम चुके होंगे. ट्रेन से यात्रा के दौरान कभी दिमाग़ में आया कि आख़िर कहीं कोई रेलवे स्टेशन होगा, जिसे आख़िरी कहा जा सके, जैसे दुनिया का भी आख़िरी छोर है तो क्या रेलवे स्टेशन भी आख़िरी होगा.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/Kurnool_Intercity_Express_at_Falaknuma.jpg?w=1024)
आपके मन का सवाल जायज़ है और भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन भी है, जिसमें से एक तो बिहार के अररिया ज़िले में एक जगह है जोगबनी, जिसे भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन माना जाता है. यहां से नेपाल पैदल जाया जा सकता है. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में स्थित सिंहाबाद रेलवे स्टेशन (Singhabad Railway Station) को भी भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन माना जाता है. यहां पर हर चीज़ अंग्रेज़ों के ज़माने की है.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/1538474760068_SQB1.jpg?w=792)
Last Railway Station Of India
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चलिए, इसके बारे में जानते हैं:
भारत का ये आख़िरी रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के हबीबपुर इलाक़े में स्थित है. इस स्टेशन को अंग्रेज़ों ने जैसा छोड़ा था ये आज भी वैसा ही है, इसमें कोई बदलाव नहीं किए गए हैं. ये बारत का आख़िरी सीमांत स्टेशन है, जो बांग्लादेश की सीमा के काफ़ी पास है. बांग्लादेश के पास होने के चलते यहां से पैदल भी जाया जा सकता है.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/bangladesh-head.jpg)
भारत का बंटवारा होने के बाद इस स्टेशन के मेंटीनेंस का सारा काम जस का तस रोक दिया गया था. इसलिए यहां से कोई गाड़ी भी नहीं गुज़रती थी, लेकिन 1978 में जब मालगाड़ियां चलना शुरू हुईं तो दोबारा से ट्रेन और हार्न की आवाज़ें आने लगीं. ये गाड़ियां पहले बांग्लादेश तक ही जाती थीं, लेकिन 2011 में पड़ोसी देश नेपाल तक भी जाने लगी.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/Goods_Rake_No_GuardBrakeVan_PNVL_AP.webp?w=1024)
भले ही यहां से गाड़ियों का आवागमन शुरू हुआ हो, लेकिन इस स्टेशन के रूप-रंग में कोई सुधार नहीं हुआ है. ये आज भी वैसा ही है जैसा ब्रिटिशों के ज़माने में था. यहां से मालगाड़ी के अलावा दो मैत्री एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेनें भी गुज़रती हैं.
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इस स्टेशन का इस्तेमाल कोलकाता और ढाका के बीच ट्रेन कनेक्टिविटी के लिए किया जाता था. हालांकि, ये स्टेशन आज़ादी से पहले का है, इसलिए ढाका जाने के लिए महात्मा गांधी और सुभाष चंद बोस ने भी कई बार इस रास्ते का इस्तेमाल किया था. कभी यहां से दार्जिलिंग मेल जैसी ट्रेनें भी गुजरती थीं, लेकिन अब यहां से सिर्फ़ मालगाड़ियां ही गुज़रती हैं.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/Bose__Gandhi_1938.jpg)
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आपको बता दें, इस स्टेशन पर आज भी पुराने ज़माने के हाथ के गियर वाले सिग्नल का इस्तेमाल होता है. साथ ही, यहां पर कोई ज़्यादा रेलवे कर्मचारी नहीं रके जाते हैं.
![Singhabad Railway Station](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/12/20150104081129-rotated.jpg?w=614)
इतना ही नहीं, टिकट काउंटर तक बंद हो चुका है. ज़्यादा कर्मचारी इसलिए नहीं है क्योंकि जब मालगाड़ी आती है बस तभी सिग्नल देना होता है, जो रोहनपुर के रास्ते से बांग्लादेश जाती है.