पता नहीं ये एग्ज़ाम क्यों आते हैं? जिसने बनाया है इन एग्ज़ाम को उसको गोली मार देंगे? पता नहीं उसको कौन सा ग़म था जो बदला लेने के लिए एग्ज़ाम बना दिए? ये सब बातें ग़ुस्से में एग्ज़ाम के समय हर इंसान के मुंह से निकलती हैं.


अगर वाकई जानने चाहते हैं कौन थे वो शख़्स तो आइए बताते हैं, ये रहे वो शख़्स जिन्होंने परीक्षा की शुरुआत की थी, हालांकि अब वो इस दुनिया में नहीं हैं तो इसलिए उन्हें कुछ नहीं बोलते हैं, चुपचाप एग्ज़ाम दे लेते हैं, लेकिन जान तो लीजिए कि कौन हैं वो?

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कई सोर्स की मानें तो, Indiana University में प्रोफ़ेसर और फ़्रांसीसी दार्शनिक Sir Henry Fischel वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 19वीं शताब्दी में एग्ज़ाम की खोज की थी. इन्होंने अमेरिका और कई अन्य जगहों पर एग्ज़ाम के बारे में लोगों को बताया था. Sir Henry Fischel की मानना था कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक व्यक्ति को हर चीज़ की जांच अच्छे से करनी चाहिए.

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Sir Henry Fischel ने छात्रों की तरफ़ सोचा कि ये पूरे साल पढ़ते हैं और अगले साल दूसरी कक्षा में चले जाते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जिससे इनकी गुणवत्ता साबित हो और ये पता चले कि छात्र ठीक से पढ़ रहे हैं या नहीं, इसी की जांच करने के लिए Sir Henry Fischel ने एग्ज़ाम की खोज की थी.

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इसके अलावा, एग्ज़ाम की शुरुआत प्राचीन चीन में एक कॉन्सेप्ट के रूप में की गई थी. दरअसल, 605 ई.पू. सुई राजवंश द्वारा स्थापित शाही समीक्षा का उद्देश्य विशिष्ट सरकारी पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करना था. इसके तहत जन्म के बजाय व्यक्ति की योग्यता पर लोगों का चयन किया जाता था. फिर उसे सुई के सम्राट यांग के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों के समूह का हिस्सा बनने का अवसर मिलता था. हालांकि, बाद में सुई राजवंश के राजा ने 1905 में 1300 साल बाद इस पद्धति को ख़त्म कर दिया.

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हालांकि, 1806 में इंग्लैंड ने सिविल सर्विसेज़ के लिए एग्ज़ाम कराने शुरू किए जिसे बाद में शिक्षा के लिए भी लागू कर दिया गया.