मक्ख़न वालेइइय्य्य्या…मक्ख़न-मलाई वालेइइय्य्य्या… जी हां, लखनऊ वालों की सर्दियों की सुबह कुछ इसी आवाज़ के साथ होती है. आप चाहें रजाई में कितना भी चिपक के सो रहे हों, लेकिन सुबह-सबह जैसे ही फेरीवाले की मक्‍ख़न मलाई… मक्‍ख़न मलाई.. वाली आवाज़ कानों में गूंजती है, आदमी तड़ से बिस्तर छोड़ उठ खड़ा होता है.

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चौक चौराहे पर गोल दरवाज़े के बाहर ओस से भी हल्‍की और मुंह में घुल जाने वाले मक्‍खन मलाई पर चांदी का वर्क़ लगा देखना एकदम जन्नती फ़ील देता है. एक बार भी इसका स्वाद आपकी ज़बान पर लग जाए तो फिर कभी चाहकर भी भुला नहीं पाएंगे.

यूं तो लखनऊ में ज़्यादातर लोग इसे मक़्ख़न मलाई ही बुलाते हैं, लेकिन इसे ‘दौलत की चाट’ और ‘निमिष’ नाम से भी जाता है. 

ऐसे तैयार होती है ‘मक्ख़न मलाई’

‘मक्खन मलाई’ को बनाने का तरीका समय, धैर्य और प्यार तीनों मांगता है. वैसे दिलचस्प बात ये है कि ज़्यादातर लोग इसे ‘मक्ख़न मलाई’ बुलाते तो हैं, लेकिन हक़ीकत में न तो ये पूरी तरह मक्ख़न होता है और न ही मलाई.

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दरअसल, दूध में सबसे पहले थोड़ा-सा ताज़ा सफ़ेद मक्ख़न मिला देते हैं. इसके बाद ठंडा होने के लिए रात भर खुले में 4-5 घंटे ठंडा होने के लिए रख देते हैं. फिर रात में इसे अच्छे से फ़ेटा जाता है, जब तक ये क़ायदे से गाढ़ा न हो जाए. जब हचक के झाग इकट्ठा हो जाए तो इसे ओस में रख दिया जाता है. 

ओस की नमी के चलते झाग फूल जाता है. अंत में इसमें केवड़ा, इलायची और चीनी मिलाई जाती है. बस फिर सुबह-सुबह आपके सामने पेश करने के लिए ज़बरदस्त और बेहतरीन मक्ख़न मलाई तैयार हो जाता है.

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बता दें, लखनऊ के अलावा ‘मक्ख़न मलाई’ दिल्ली, वराणसी और कानपुर में भी मिलता है. तो फिर देर किस बात की, घड़ी में अलार्म कीजिए सेट और फिर लीजिए मज़ा मक्ख़न-मलाई वालेइइय्य्य्या के टेस्टी मक्ख़न का.