हिंदुस्तान के बहुत से ऐसे गांव हैं, जो दुनियाभर में लोकप्रिय हैं. इन्हीं खू़बसूरत गांवों में से एक मलाणा गांव भी है. अब तक आपने गांव की मलाणा क्रीम के बारे में सुना होगा. मलाणा क्रीम चरस या हैश या हशीश है जिसे वीड या गांजे के पौधे से बनाया जाता है. अब सुनिये इसकी वो ख़ासियत, जिससे आप आज तक अंजान होंगे.

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मलाणा हिमाचल प्रदेश स्थित गांव है. ये हिंदुस्तान का एकमात्र ऐसा गांव है, जहां कुछ भी छूना माना है. अगर आपने यहां घूमते-फिरते ग़लती से कुछ छू लिया, तो 1000 रुपये ज़ुर्माना देना पड़ेगा. कहते हैं कि ये गांव अभी भी 2 हज़ार साल पुरानी विश्व की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चलता है. अगर आपको यहां से दुकानदारी करनी है, तो कोई सामान अपने हाथ से नहीं छू सकते, न ही दुकानदार आपसे पैसे हाथ में लेगा.  

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ख़रीददारी करते समय आपको दुकान के काउंटर पर पैसे रखने होंगे. इसके बाद शॉपकीपर काउंटर पर सामान रख देगा. मलाणा गांव के लोग ख़ुद को सिकंदर की सेना के वंशज कहते हैं. इसलिये अगर आप मलाणा जाते हैं, तो यहां की भाषा में ग्रीक शब्दों को पायेंगे. यही नहीं, इस गांव के रीति-रिवाज़ भी काफ़ी अलग और ख़ास हैं.

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मलाणा गांव में अल्लाह या भगवान नहीं, बल्कि अकबर को पूजा जाता है. गांव में अकबर के नाम का मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें उनकी सोने की मूर्ति भी रखी हुई है. गांव में साल में एक बार अकबर की पूजा होती है, जिसे बाहरी लोगों को देखने की इजाज़त नहीं होती है.   

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कहते हैं कि एक बार अकबर ने दिल्ली में दो साधुओं को पकड़ा और उनकी दक्षिणा भी ले ली. इसके बाद जम्दग्नि ऋषि अकबर के सपने में आये और उनसे साधुओं का सामान लौटाने के लिये कहा. वहीं अकबर ने सैनिकों के हाथों सोने की मूर्ति और दक्षिणा भिजवाई. इसके बाद से ही यहां अकबर की पूजा होने लगी और बकरा भी हलाल किया जाता है.  

क्या आप कभी मलाणा गांव गये हैं?