चुनौतियां, सृजनशीलता को जन्म देती हैं. इस बात को अंसार अहमद से बेहतर कोई नहीं जान सकता. अहमद, वाराणसी में एक बाल काटने की दुकान चलाते हैं. मग़र वो कोई आम बाल काटने वाले नही हैं, बल्कि देश के एकलौते ऐसे शख़्स हैं, जो मुंह से बाल काटने का हुनर जानते हैं.
जी हां, ‘लिबर्टी हेयर ड्रेसर’ नाम की दुकान चलाने वाले अहमद मुंह में कैंची रखकर लोगों के बाल काटते हैं. यही वजह है कि वो दुनियाभर में फ़ेमस हैं. हालांकि, हमेशा से ऐसा नहीं था. पहले अहमद भी एक आम बाल काटने वाले ही थे, तो फिर क्या हुआ ऐसा जिसने उनके अंदर ये हुनर पैदा कर दिया और आज वो न सिर्फ़ फ़ेमस हैं बल्कि, किसी सुपर हीरो से कम नही हैं.
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अंधेरे के ख़ौफ़ से हुनर की मशाल थामी
साल 2001 तक अहमद की ज़िंदगी भी किसी आम शख़्स की तरह चल रही थी. वो सुबह अपनी दुकान जाते और रोज़ाना की तरह लोगों के बाल काटने लगते. वो ठीक-ठाक कमाई कर रहे थे. मग़र इसी साल एक दुर्घटना में उनका एक हाथ फ़्रैक्चर हो गया. इसके बाद उन्हें काफ़ी दिनों तक घर पर ही आराम करना पड़ा.
घर पर रहने के दौरान अहमद के दिमाग़ में एक ऐसा ख़्याल आया, जिसने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया. उन्होंने सोचा कि अग़र कभी उनके हाथ काम करना बंद कर दिए, तो उनकी जिंदगी कैसे चलेगी. वो कैसे कमाएंगे, किस तरह अपने परिवार का पेट पालेंगे.
इस ख़्याल से ही अहमद काफ़ी डर गए, जिसके बाद उन्होंने अपने पेशे में कुछ नया हुनर हासिल करने को सोचा. उस दिन से जो कैंची कभी उनके हाथों में रहती थी, वो मुंह में आ गई. तीन साल का लंबा वक़्त लगा, मग़र अहमद मुंह में कैंची रखकर बाल काटने में माहिर हो गए. आज वो महज़ 15 से 20 मिनट में ही लोगों के बाल काट लेते हैं.
अहमद आज इतना फ़ेमस हो चुके हैं कि उनकी दुकान के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं. वो आज भी अपने हुनर को धार देने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. साथ ही, उनका जबड़ा मज़बूत रहे, इसके लिए अपने दांतों को नमक से साफ़ करते हैं और दिनभर च्विंगम चबाते रहते हैं.
बाल काटने के लिए फ़ेमस अहमद कैसे बन गए सुपर हीरो?
कहते हैं न अच्छे धर्म नहीं बल्कि अच्छे कर्म की राह पर चलो, तो ख़ुदा भी तुम्हारे दीदार को खड़ा मिल जाएगा. अहमद के साथ भी ऐसा ही हुआ. दरअसल, अहमद को फ़ेमस बनाया उनके हुनर ने मग़र वो सुपर हीरो बने अपनी ज़िंदादिली की बदौलत.
बात ये थी कि इसी धंधे में जुड़े एक शख़्स के बेटे को ब्लड कैंसर हो गया. इलाज के लिए 6 लाख रुपयों की ज़रूरत थी. अहमद के पास इतनी बड़ी रकम तो नहीं थी, मगर मदद करने को वो जज़्बा था, जिसके आगे पैसों का कोई मोल नहीं होता.
अहमद ने तय कर लिया कि वो 24 घंटे तक कुछ भी खाएंगे-पिएंगे नहीं. साथ ही वो इस बच्चे के बाल काटेंगे और दूसरों के भी तब तक मुफ़्त में बाल काटेंगे, जब तक इलाज के लिए ज़रूरी रकम का इंतज़ाम नहीं होता. हालांकि, अहमद को 20 घंटे भी भूखा नहीं रहना पड़ा और लोगों ने आगे बढ़कर 6 लाख रुपयों का इंतज़ाम कर दिया.
अहमद आज भी चैरिटी के लिए मुंह से बाल काटते हैं. इतना ही नहीं, उनका सपना दिव्यांग लोगों के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर खोलने का भी है. ताकि, वो इस हुनर के ज़रिए ऐसे स्पेशल बच्चों को भी आत्मनिर्भर बना सकें.
वाक़ई में अंसार अहमद जैसे लोग मिसाल हैं कि हुनर सिर्फ़ ख़ुद को चकमाने के लिए नहीं बल्कि समाज में उस चमक की रौशनी फैलाने के लिए भी होता है.