घूमना-फिरना किसे पसंद नहीं होता है. हर कोई अपने कामकाज से थोड़ा वक़्त घूमने के लिए निकालने की कोशिश करता है. मगर कुछ लोग होते हैं, जिन्हें घूमने का शौक होता है. लेकिन अगर ये शौक किसी इंसान पर ऐसा सवार हो कर जुनून और ज़िद बन जाए तो, वो व्यक्ति पूरा ब्रह्माण्ड घूम सकता है. ऐसे ही दो घुमक्कड़ हैं, जिन्होंने साइकिल से 6000 किलोमीटर की यात्रा कर डाली और इस यात्रा के दौरान वो 7 राज्यों और 3 देशों से होकर गुज़रे.

जी हां, मुंबई में रहने वाले प्रशांत मदान और विजय चिदंबरम ने साइकिल से यात्रा का एक ऐसा प्लान बनाया कि वो मुंबई से पहुंच गए बैंकॉक. इनकी ये यात्रा करीब २ महीने तक चली. और अपनी लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने 3 देशों का भ्रमण करने के साथ-साथ सात राज्योंं के बॉर्डर को भी क्रॉस किया. लगभग 60 दिनों के इनके इस सफर में कई उतार-चढ़ाव आये पर इनका ये सफर थाईलैंड जाकर ही रुका.

वैसे साइकिलिंग तो सभी को पसदं होगी, लेकिन लगभग 6000 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए हिम्मत चाहिए. हाल ही में प्रशांत और विजय अपनी यात्रा ख़त्म करके लौटे हैं. 62 दिनों की इस यात्रा में प्रशांत और विजय भारत के 7 राज्यों महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, असम, मणिपुर और 3 देशों इंडिया, म्यांमार और थार्इलैंड से होकर गुज़रे.

इन दोंनो के लिए साइकिल से इतना लंबा सफ़र तय करना पहला अनुभव था. प्रशांत मदान एक एड फ़िल्म डायरेक्टर हैं और उनको घूमना-फिरना और साइकिलिंग करना बहुत पसंद है. प्रशांत ने कहा कि उनकी पत्नी आंचल ने साल 2015 में ‘The Audacious Project’ की शुरुआत की.

यह प्रोजेक्ट लाइफ़ के ऐसे ही रोमांचक सपनों को पूरा करने का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट में सबसे पहले आंचल ने ही मुंबई से गोवा तक की पैदल यात्रा की थी.

साइकिल से मुंबई से थाईलैंड जाना इस प्रोजेक्ट का दूसरा बड़ा सपना था.

ये ट्रिप 20 फरवरी 2017 में गेटवे ऑफ़ इंडिया से शुरू हुई और 22 अप्रैल 2017 में बैंकॉक के Wat Arun पर ख़त्म हुई.

प्रशांत कहते हैं कि हम रोजाना 170 किलोमीटर चलते थे.

मुंबई से बैंकॉक तक के इस रूट को इससे पहले कभी नहीं देखा गया, जिसका मतलब था कि वे अज्ञात क्षेत्र में जा रहे थे.

उन्होंने किसी भी बारिश की उम्मीद नहीं की थी और Rain Gear भी नहीं लिए थे, मगर उनको उड़ीसा और असम में तूफानों का सामना करना पड़ा.

सड़कें कई जगह खराब थी, तो कई जगहों पर उम्‍मीद से कहीं शानदार.

प्रशांत ने बताया कि ‘हमने एक दिन का टाइम एक निश्चित दूरी तय करने के लिए रखा और इससे हमको बहुत मदद भी मिली. क्योंकि इसकी मदद से हमने अपनी यात्रा को छोटे छोटे हिस्सों में बांट दिया और हमको छोटी-छोटी जीत हासिल मिली.’

इस तरह हम पूरे सफ़र के दौरान सकारात्मक बने रहे और अपने इस प्रोजेक्ट की ज़्यादा चिंता किये बिना सफ़र का आनंद उठाया.

सफ़र में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना हमने धैर्य और दृढ़ता के साथ किया.

इस सफ़र के दौरान हमने क्या-क्या नहीं किया, कभी पुलों को पार किया , तो कभी ट्रेन की पटरियों, तो कभी झीलों को भी पार किया.

इस पूरे सफर में हमें सभी जगह लोगों से बहुत प्यार मिला. कई लोगों ने चाय पिलाई, खाना खिलाया तो कई बार स्वागत भी किया.