प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला में बहुत से बदलाव आते हैं. ये शारीरिक के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक भी होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाओं के साथ ही उनके पुरुष पार्टनर्स में भी कई शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं. जी हां, ये हैरान करने वाला ज़रूर है, मग़र सच है.
आज हम आपको पुरुषों में होने वाले ऐसी ही बदलावों के बारे में बताने जा रहे हैं.
1. टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर सकता है
पुरुषों में एक हार्मोन होता है, जिसे टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) कहा जाता है. आमतौर पर इस हार्मोन को ही पौरुष शक्ति के रूप में देखा जाता है. इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता, प्रतियोगिता और यौन क्षमता से सीधा संबंध है. स्टडी में पाया गया है कि जब एक आदमी पिता बन जाता है, तो उसके टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है. इसी वजह से एक आदमी का ध्यान बाहर की चीज़ों से हटकर अपनी परिवार पर केंद्रित हो जाता है.
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2. ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है
ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन दो रसायन हैं जो माता-पिता और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ते के लिए ज़िम्मेदार हैं. जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरता है, तो इसका एक सकारात्मक असर ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन पर पड़ता है और ये बढ़ने लगते हैं. इसी वजह से एक पिता जब अपने बच्चों के साथ खेलता है या फिर उन्हें गले लगाता हो, तो उसे अच्छा महसूस होता है.
3. हार्मोन्स का बढ़ना-घटना डिप्रेशन का कारण बन सकता है
आपने महिलाओं में प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन के बारे में तो देखा-सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे ही लक्षण पुरुषों में भी देखने को मिलते हैं. दरअसल, टेस्टोस्टेरोन ऊपर बताए गए कामों के अलावा पुरुषों को अवसाद का शिकार होने से भी बचाता है, लेकिन जब इन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है, तब पुरुष आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं. नए पिता की ज़िम्मेदारियों के भार के साथ-साथ हार्मोनल चेंज पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है.
4. दिमाग़ में भी कुछ बदलाव देखे जा सकते हैं
वैज्ञानिकों ने नए पिताओं के एक समूह पर जब एक अध्य्यन किया तो पाया कि बच्चे के जन्म के पहले 4 महीनों के दौरान उनके दिमाग़ में कुछ बदलाव होते हैं. ये परिवर्तन नए पिताओं को अपने नवाजत बच्चे के पालन-पोषण और उसके साथ मज़बूत रिश्ता कायम करने में मदद करते हैं. साथ ही, ये बदलाव दिमाग़ के उन हिस्सों में ज़्यादा देखने को मिलते हैं, जो प्रॉब्लम सॉल्विंग, प्लानिंग और जोख़िम का पता लगाने के लिए जाने जाते हैं. इस वजह से एक पिता अपने बच्चे की सुरक्षा और सामाजिक विकास सुनिश्चित कर पाता है.
5. उल्टी, सूजन और पीठ दर्द जैसे प्रेग्नेंसी लक्षण भी आ सकते हैं नज़र
6. भावनात्मक तनाव का अनुभव कर सकते हैं
इनसे बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि पार्टनर आपस में ज़्यादा बातचीत करें. दोनों ही अपने इमोशन्स को एक-दूसरे के सामने ज़ाहिर करें और विश्वास दिलाएं कि दोनों मिलकर बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते हैं.
Source: Brightside