भारत अपने लंबे-चौड़े इतिहास के लिए भी जाना जाता है. आज भी प्राचीन समय में बनाई गईं कई इमारतों को यहां देखा जा सकता है. ख़ासकर, राजा-महाराजाओं द्वारा बनाए गए क़िले विश्व भर से आने वाले सैलानियों को काफ़ी ज़्यादा प्रभावित करते हैं. भारत के प्राचीन क़िले वीर-गाथाओं के साथ-साथ अपनी कई ख़ास विशेषताओं के लिए भी जाने जाते हैं. इसी क्रम में हम आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे प्राचीन क़िले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भारत के सबसे ख़तरनाक क़िलों में शामिल किया गया है. आइये, जानते हैं इस क़िले की पूरी कहानी.

कलावंती क़िला

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इस ख़ौफ़नाक क़िले का नाम है कलावंती क़िला, जो महाराष्ट्र में पनवेल और माथेरन के मध्य स्थित हैं. वहीं, यह प्राचीन क़िला प्रबलगढ़ क़िले के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस क़िले का नाम क्षत्रपति शिवाजी के समय रानी कलावंती के नाम पर रखा गया था. कलावंती नाम पड़ने से पहले इस क़िले का नाम ‘मुरंजन’ था.

ऊंचाई पर स्थित

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इस क़िले को ख़ौफ़नाक बनाने का काम करती है इसकी ऊंचाई. माना जाता है यह क़िला 2300 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है. अब आप अंदाज़ा लगा लीजिए कि यह कितना ख़तरनाक है.   

रोमांचकारियों का मुख्य स्थल

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यह क़िला रोमांच का शौक़ रखने वालों को काफ़ी ज़्यादा आकर्षित करता है. यहां का ट्रैकिंग अनुभव लेने के लिए दूर-दूर के एडवेंचर प्रेमी आते हैं. लेकिन, इस क़िले की चढ़ाई वही लोग कर सकते हैं, जो मानसिक और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हो. कमज़ोर दिल वाले यहां भूल से भी चढ़ाई न करें.

चट्टानों को काटकर बनाया गया रास्ता 

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यहां ट्रैकिंग करने के लिए कोई साधारण रास्ता नहीं है. चट्टानों को काट-काटकर रास्ता बनाया गया है, जो काफ़ी ज़्यादा ख़तरनाक है. अगर किसी का पैर फिसला, तो वो सीधे मौत के मुंह में जाएगा. 

शाम के बाद कोई नहीं टिकता

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यह क़िला कुछ ज़्यादा ही ऊंचाई पर बनाया गया है. ऊपर न ही पानी मिलेगा और न ही बिजली की कोई व्यवस्था है. इसलिए, कोई यहां शाम के बाद नहीं ठहरता है. 

आने का सही समय 

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अक्टूबर से लेकर मई तक यहां आने का सही समय माना जाता है. वहीं, बारिश के मौसम में यहां न आने के लिए कहा जाता है, क्योंकि चट्टानी रास्ता फिसलन भरा हो जाता है.   

मनहूस हो चुकी है यह जगह

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स्थानीय लोगों के अनुसार, यह जगह अब मनहूस हो चुकी है. यहां कई लोग अपनी जान गवां बैठे है. यही वजह है कि यहां नकारात्मक शक्ति का वास है. वहीं, कई लोग यहां आत्महत्या भी कर चुके हैं. लेकिन, किले के भुतहा होने से जुड़े फिलहाल कोई सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं है.