दुनिया का कोना-कोना घूम लो, लेकिन भारतीय खाने की बात ही कुछ और है. क्यों सही कहा न? अच्छा हम इंडियन्स की एक आदत है कि हम खाने-पीने के मामले में कभी पीछे नहीं हटते. शायद इसलिये हमें एक्सरसाइज़ और डाइटिंग पर ज़्यादा य़कीन भी नहीं है.

अब मुद्दे पर आते हैं. दरअसल, गोबल मार्केटिंग कंपनी Ipsos ने भारतीयों पर एक रिसर्च किया जिसमें उन्हें अच्छा खाना और पतले होने में से एक चीज़ का चुनाव करना था. विश्वास नहीं करोगे, पर परिणाम स्वरूप 77 प्रतिशत भारतीयों ने अच्छे खाने को चूज़ किया. ये शोध 2018 में अगस्त के आखिरी और सितंबर महीने की शुरुआत में मीडिल क्लास भारतीयों पर किया गया था. इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में करीब 1000 शहरी भारतीय लोगों ने हिस्सा लिया था.

इस शोध में ये भी कहा गया कि मीडिल क्लास भारतीयों के लिये अच्छा भोजन काफ़ी महत्वपूर्ण है, जबकि डाइटिंग के लिये कोई ख़ास जगह नहीं है. रिपोर्ट के हिसाब से 74 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्हें अपने वज़न से कोई परेशानी नहीं थी. वहीं, 57 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वो अपने भोजन से कैलोरी की मात्रा घटाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही 59 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनका डाइटिंग प्लान कभी सफ़ल नहीं होता.

यही नहीं, शोध में 67 प्रतिशत भारतीय ऐसे भी थे, जो व्यायाम सिर्फ़ इसलिये करते हैं ताकि वो अपना पसंदीदा खाना खा सकें. इस शोध के बारे में Ipsos India की Chief Client Officer, Rinku Patnaik का कहना है कि उन्हें अपने शरीर पर कोई शर्मिंदगी नहीं है, कुछ ब्रांड्स को खु़श करने के लिये वो खाना बंद नहीं करेंगी.

शोध के अनुसार, 57 भारतीय कार्बनिक भोजन खाते हैं, जो कि यूके और जापान की तुलना में काफ़ी अधिक है. यूके में 12% और जापान से 13% उपभोक्ताओं ने कार्बनिक भोजन खाने का दावा किया था. वहीं 56% भारतीयों ने सिर्फ़ शाकाहारी भोजन के सेवन के हित में वोट किया. इसके अलावा 65% भारतीयों ने जीएमओ के खाने पर विरोध भी जताया और कहा कि उन्हें खाने के मामले में कोई संशोधन पसंद नहीं है.

वहीं भविष्य के बारे में बात करते हुए 47 प्रतिशत भारतीयों ने खाने की कीमतों में सुधार की आशा जताई, ताकि आगे उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा से भोजन खाने को मिल सके, तो दूसरी ओर 59 प्रतिशत लोगों ने हेल्दी खाना अपनाने की बात कही. इसके साथ ही 48% प्रतिशत भारतीय ऐसे थे, जिन्हें घर पर पका खाना अच्छा लगता है, तो 28 प्रतिशत लोगों ने बाहर जाकर खाने की इच्छा व्यक्त की.
अगर आप ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं, तो इन परिणामों के बारे में सोचिएगा ज़रुर.