दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वो जो पैदाइयशी अमीर होते हैं. दूसरे वो जो ग़रीब से अमीर बनते हैं. वो बात अलग है कि अमीर बनने के बाद दुनिया को उन लोगों की ग़रीबियत नहीं दिखती. या फिर अपनी मेहनत से सफ़लता की सीढ़ियां चढ़ने वाले ये लोग दुनिया के सामने ज़िंदगी का कड़वा पहलू रखना नहीं चाहते.

जैसे देश के सबसे बड़े बिज़नेसमैन और अरबपति मुकेश अंबानी को ही ले लीजिये. दुनिया को पता है कि उनके पास हमारी सोच से ज़्यादा पैसा है. इतना पैसा कि उनकी सात पुश्तें आराम से बैठ कर आलीशान जीवन बिता सकती हैं. पर फिर भी वो हर दिन पैसे कमाने के लिये मेहनत करते हैं. आज मुकेश अंबानी के पास जो है, वो उन्होंने मेहनत से कमाया है. ऐसा नहीं था कि वो किसी आलीशान महल में रहे और बड़े हो गये. हर इंसान की तरह उन्होंने भी बचपन में कुछ उतार-चढ़ाव देखे हैं.

अगर आपको मुकेश अंबानी की आलीशान ज़िंदगी दिखती है, तो आपको उनके जीवन की ये सच्चाईयां भी पता होनी चाहिये.

1. ग़रीबी में बीता जीवन  

आज मुकेश अंबानी के पास रहने के लिये महलों सा बड़ा घर है, जिसकी देख-रेख के लिये कई नौकर भी हैं. पर एक समय था जब मुकेश अंबानी अपने परिवार के साथ एक बेडरूम फ़्लैट में रहते थे. 9 लोगों के साथ एक रूम वाले कमरे में रहना किसी भी इंसान के लिये आसान नहीं है. पर देखिये एक कमरे में बचपन गुज़ारने वाला ये बच्चा आज ‘एंटीलिया’ का राजा है.  

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2. जब धीरुभाई अंबानी ने दी सज़ा 

धीरुभाई अंबानी हिंदुस्तान की लोकप्रिय पर्सनैल्टीज़ में से एक थे. उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी. बहुत कम लोग जानते हैं कि धीरुभाई अंबानी बच्चों को जितना प्यार करते थे, उतना ही ग़ुस्सा भी. एक बार घर पर कुछ मेहमान आये हुए थे. मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने मेहमानों के लिये बना हुआ खाना लिया और उनके सामने ही बदमाशी करने लगे. उनके पिता ने उस वक़्त तो कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन दोनों भईयों को पानी और रोटी देकर गैरज भेज दिया. धीरुभाई अंबानी चाहते थे कि दोनों भईयों को अपनी ग़लती का एहसास हो और फिर वो दोबारा ऐसा न करें.

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3. क़रीब से देखा पिता का दर्द  

धीरुभाई उन पिता में से थे, जो अपने बच्चों की बदमाशी बिल्कुल बर्दाशत नहीं करते थे. उन्हें बहुत जल्दी गु़स्सा आती थी. हालांकि, समय के साथ उनमें काफ़ी बदलाव आये थे. मुकेश अंबानी की ज़िंदगी का सबसे मुश्किल वक़्त वो था जब उनके पिता को अचानक एक स्ट्रोक आया. फरवरी, 1986 की बात है. धीरुभाई अंबानी को अचानक से पीठ में दर्द उठा, जिसके बाद वो बेहोश हो गये. उन्हें अस्पताल ले जाया गया और वो 24 घंटे अंबानी परिवार के लिये काफ़ी मुश्किल थे. मुकेश अंबानी ने नज़दीक से उनके पिता का दर्द देखा और ये भी देखा कि वो कैसे उस दर्द से बाहर आये.

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4. पढ़ाई-लिखाई में थे अव्वल 

वो कहा गया है न कि कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी. सच ही कहा गया है. मुकेश अंबानी का मक़सद जीवन में बहुत पैसा कमाना नहीं था, बल्कि वो चैलेंज लेने में विश्वास रखते थे. मुकेश अंबानी को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक़ था. इतना ज़्यादा कि वो कभी-कभी रातभर पढ़ते थे. देखिये न उन्होंने चैलेंज लिया और अरबपति ख़ुद ब ख़ुद बन गये.  

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5. पिता हैं उनके आदर्श  

हर सफ़ल इंसान किसी न किसी को अपना आदर्श मान उन्हीं के पदचिन्हों पर चलता है. मुकेश अंबानी के आदर्श उनके पिता हैं. धीरुभाई अंबानी बिज़नेस में आगे बढ़ते चले गये, लेकिन परिवार को समय देना नहीं भूले. ठीक उसी तरह मुकेश अंबानी चाहे कितना ही बिज़ी क्यों न हो, लेकिन परिवार के लिये समय निकालना नहीं भूलते.  

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6. जनरल नॉलेज के लिये रखा गया था टीचर  

मुकेश अंबानी पढ़ाई-लिखाई में काफ़ी अच्छे थे, लेकिन धीरुभाई अंबानी चाहते थे कि वो स्कूली पढ़ाई के अलावा बाक़ी चीज़ों की भी जानकारी रखें. इसलिये धीरुभाई ने कई टीचर्स का इंटरव्यू लेने के बाद मुकेश अंबानी के लिये एक टीचर रखा. जो उन्हें जनरल नॉलेज की जानकारी देते थे.  

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7. कॉलेज टाइम में शुरु कर दिया था काम 

मुकेश अंबानी ने कॉलेज टाइम से ही रिलायंस इंडस्ट्री के लिये काम करना शुरु कर दिया था. कॉलेज ख़त्म करके वो सीधा ऑफ़िस जाते और काम सीखते थे. कॉलेज टाइम में जब बाकी बच्चे मौज-मस्ती करते हैं, तब मुकेश अंबानी काम कर रहे थे. सोचिए वो कितने मेहनती इंसान हैं. 

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अक़सर हम मुकेश अंबानी वाली ज़िंदगी जीने की कल्पना तो करते हैं, पर हां उनके संघर्षों को देखना भूल जाते हैं. अगर हम किसी की सफ़लता देखते हैं, तो उसके संघर्ष भी देखने चाहिये.