मैसूर पाक को दक्षिण भारतीय मिठाइयों का राजा कहा जाता है. बेसन और घी से बनी ये मिठाई मुंह में रखते ही घुल जाती है और फिर इसका स्वाद आपकी ज़ुबां पर ऐसा चढ़ता है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. मैसूर पाक की खोज का क़िस्सा मैसूर पैलेस से जुड़ा है.

चलिए आज इस दक्षिण भारत की स्पेशल मिठाई के इतिहास को डिकोड करते हैं.

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मैसूर पाक की खोज 20वीं सदी में हुई थी. बात उन दिनों की है जब मैसूर में कृष्ण राजा वाडियार IV का राज था. इनके शाही रसोइये का नाम था काकसुर मडप्पा. एक दिन मडप्पा ने राजा के लिए भोजन बनाया, लेकिन वो थाली में मीठा बनाना भूल गए.

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राजा की थाली का मीठे वाला स्थान खाली था. ये देखकर मडप्पा ने तुरंत बेसन, घी और चीनी से एक मिठाई तैयार कर डाली. जब राजा भोजन कर चुके, तब इसे उनके सामने पेश किया गया. राजा को इसका स्वाद बहुत ही पसंद आया. उन्होंने मडप्पा से उसका नाम पूछा.

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मज़े की बात ये थी कि मडप्पा ने इसे पहली बार बनाया था और वो भी इसका नाम नहीं जानते थे. अब राजा को तो जवाब देना था, तो उन्होंने झट से मैसूर पाक कह दिया. कन्नड़ भाषा में पाक का मतलब मिठाई होता है. चूकीं मैसूर पैलेस में इसे बनाया गया था तो मडप्पा ने इसे ये नाम दे दिया.

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राजा ने सोचा इस मिठाई का स्वाद महल के बाहर यानि प्रजा को भी चखना चाहिए. इसलिए उन्होंने मैसूर पैलेस के बाहर इस मिठाई को एक दुकान खोलकर बेचने का आदेश दिया. इस तरह मैसूर पाक राज महल से निकल कर कर्नाटक के घर-घर तक पहुंच गया.

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कर्नाटक की इस मिठाई का स्वाद आज पूरी दुनिया चख रही है. वहां पर दशहरा उत्सव में बनाई जाने वाली थाली का ये मुख्य हिस्सा होता है. कर्नाटक में गुरू स्वीट्स नाम की दुकान का मैसूर पाक बहुत ही उम्दा होता है. इस दुकान को मडप्पा के वंशज चला रहे हैं. अगर आप कभी कर्नाटक जाएं, तो वहां का मैसूर पाक खाना न भूलना.

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