एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. उस वक़्त हमारा देश आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध और दुनिया के सबसे अमीर मुल्कों में से एक था. ऐसे में आक्रमणकारियों की नज़र हमेशा हमारे देश पर रही. यही वजह कि उस वक़्त के राजा-महाराजा अपने ख़ज़ाने से जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे.

ऐसे में हमलावर भले ही राजाओं को हरा दें, मगर उनके ख़ज़ानों तक नहीं पहुंच पाते थे. भारत में ऐसे कई छिपे हुए ख़ज़ाने हैं, जिनको लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. 

आज हम आपको भारत के ऐसे ही छिपे हुए ख़ज़ानों के बारे में जानकारियां देने जा रहे हैं. जिन तक लोग आज तक नहीं पहुंच पाए हैं.

1. चारमीनार सुरंग, हैदराबाद

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सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा निर्मित ये सुरंग चारमीनार और गोलकुंडा किले को जोड़ती है. ये गुप्त मार्ग इमेरजेंसी में शाही परिवार के निकलने का रास्ता थी. कहते हैं इसी सुरंग में राजा ने अपने ख़ज़ाना छिपा दिया था. माना जाता है कि आज भी सुरंग में ख़ज़ाना मौजूद है, मगर अब तक इसे कोई ढूंढ नहीं सका है.

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2. किंग कोठी पैलेस, हैदराबाद

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हैदराबाद के अंतिम निज़ाम, मीर उस्मान अली को फ़ोर्ब्स पत्रिका द्वारा 210.8 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ ‘पांचवें सबसे धनी व्यक्ति’ के रूप में नामित किया गया था, जबकि टाइम पत्रिका ने उन्हें 1937 में दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया था. कहा जाता है कि उनका ख़ज़ाना पैलेस के नीचे गढ़ा हुआ है, जहां उन्होंने अपनी अधिकतर जिंदगी बिताई. इसमें  हीरे, माणिक, नीलम, मोती और रत्न जैसे कीमती आभूषण स्टील के संदूकों में बंद हैं. हालांकि, उनकी संपत्ति का असल हिसाब या आंकलन किसी के पास नहीं है. 

3. अलवर किला, राजस्थान

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मुगल राजा जहांगीर ने देश छोड़ने से पहले राजस्थान के अलवर किले में शरण ली थी और अपना ख़ज़ाना यहीं छुपाया था. कहते हैं कि कुछ ख़ज़ाना तो यहां मिल गया था, लेकिन एक बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी किले में ही कहीं छिपा है.

4. जयगढ़ किला, जयपुर

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अक़बर के नौरत्नों में से एक राजा मानसिंह-I जयपुर के राजा और मुगल सेनापति थे. कहते हैं कि अफ़गान विजय के बाद, उन्होंने अक़बर को लूट का हिस्सा नहीं दिया और ख़ज़ाने के जयगढ़ के किले में छिपा दिया. ये भी कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने ख़ज़ाने की खोज का आदेश दिया था. हालांकि, इसके पीछे कितनी सच्चाई है, इसके बारे में पुख़्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. हां, मगर इतना ज़रूर है कि आज भी ख़ज़ाने का बड़ा हिस्सा किले में ही कहीं दबा है.

5. पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल

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तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर में 7 गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने से जुड़ा हुआ एक दरवाज़ा है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक के बाद एक छह तहखाने खोले गए. यहां से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण मिले, लेकिन आखिरी और सातवें दरवाजे के पास पहुंचने पर दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखी. जिसके बाद दरवाज़े को नहीं खोला गया. कहते हैं कि इस दरवाज़े की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं. अगर उसे खोला गया, तो भारी तबाही आ सकती है.

6. कृष्णा नदी का ख़ज़ाना, आंध्र प्रदेश

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दुनिया के सबसे बेहतरीन हीरों का खनन कृष्णा नदी के किनारे कोल्लुर में हुआ था. कोहिनूर हीरा भी यहीं से मिला था. गोलाकोंडा राज्य का ये भाग आज कृष्णा और गुंटूर जिले हैं. यहां की खदाने दुनिया के लिए हीरे का मुख्य स्रोत थीं.  दुनिया के शीर्ष 10 हीरों में से सात आंध्र प्रदेश के हैं. आज भी यहां हीरे की बहुत बड़ी खेप मौजूद होने की बात कही जाती है.

7. सोन भंडार गुफाएं, बिहार

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सोन भंडार का मतलब ही है, एक ऐसी जगह जहां सोने का भंडार हो. ये बिहार के राजगीर की एक बड़ी चट्टान में मौजूद दो गुफाएं हैं. ईसा पूर्व तीसरी या चौथी सदी इन गुफ़ाओं में मगध के राजा बिंबिसार ने अपना ख़ज़ाना छिपाया था. कहते हैं यहां गुफ़ा पर उकेरी गई लिपि को अगर आप पढ़ सकें, तो इस ख़ज़ाने का गुप्त द्वार अपने आप ही खुल जाएगा. बता दें, इस ख़ज़ाने की लालच में अंग्रेज़ों ने गुफ़ा के प्रवेश द्वार को तोप से तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वो असफ़ल रहे.

8. श्री मूकाम्बिका मंदिर, कर्नाटक

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पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित श्री मूकाम्बिका मंदिर कर्नाटक के कोल्लूर जिले में स्थित है. विजयनगर साम्राज्य के अधीन शासन करने वाले बेदनोर के नायकों ने इस मंदिर को अपने राज्य मंदिर का दर्जा दिया था. कहते हैं कि राजाओं ने यहां एक गुप्त रूप से बंद कक्ष में बहुत सारा खजाना छिपा दिया था, जिसकी रक्षा एक सर्प की आकृति करती है. माना जाता है कि ‘नाग’ मंदिर को बाहरी ताकतों से बचाता है. वैसे ख़ज़ाने के अलावा यहां की मूर्तियों को ही जो गहने पहनाए गए हैं, उनकी क़ीमत क़रीब 100 करोड़ रुपये है.

अगर आप ऐसे रहस्यमयी ख़ज़ानों को पाने की चाहत रखते हैं, तो फिर ये जगह आपको बुला रही हैं. क्या पता, कब क़िस्मत पलट जाए.