ये दुनिया अजीबो-ग़रीब और कल्पना से परे चीज़ों से भरी पड़ी है. अगर आप विश्व के विभिन्न देशों और समाजों का अध्ययन करेंगे, तो आपको काफ़ी कुछ नया और दिलचस्प जानने को मिलेगा. इसी कड़ी में हम आपको विश्व के एक ऐसे अनोखे और अजीबो-ग़रीब गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोग किसी भी समय और कहीं भी सो जाते हैं. साथ ही एक बार सोने के बाद कई दिनों तक नहीं उठते. जानिए क्या है इस गांव की हक़ीक़त.   

कज़ाख़िस्तान का कलाची गांव   

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इस अजीबो-ग़रीब गांव का नाम है कलाची, जो कज़ाख़िस्तान में स्थित है. इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग किसी भी समय और कहीं भी सो जाते हैं. वहीं, उठाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते.

एक गंभीर बीमारी से ग्रसित

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The guardian के अनुसार, कलाची के साथ-साथ क्रास्नोगोर्स्क नामक गांव को इस रहस्यमयी बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति लगभग 6 दिनों तक सो जाता है. ये दो गांव उत्तरी कज़ाख़िस्तान में आते हैं.   

140 लोगों को प्रभावित कर चुकी है ये बीमारी   

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इस रिपोर्ट के अनुसार, इस रहस्यमयी बीमारी ने दोनों गांव की 140 से ज़्यादा आबादी को अपनी चपेट में ले लिया है. यहां लगभग 810 लोग रहते हैं, जिनमें से अधिक रूसी और जर्मन हैं.   

प्रभावित व्यक्ति किसी भी वक़्त सो जाता है  

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इस अजीबो-ग़रीब बीमारी से पीड़ित व्यक्ति किसी भी समय और कहीं भी सो जाता है. प्रभावित व्यक्ति बात करते-करते या चलते-चलते.  

नहीं रहता कुछ याद  

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वहीं, जब व्यक्ति सोकर उठता है, तो उसके साथ क्या हुआ, वो उसे याद नहीं रहता. साथ ही उसे कमज़ोरी का एहसास होता है और सिर दर्द होता है.   

6 दिनों तक लगातार सो सकता है  

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पीड़ित व्यक्ति एक दिन में 6 बार तक सो सकता है या एक बार सोने के बाद वो 6 दिनों के बाद उठ सकता है.  

हर उम्र के व्यक्ति को कर रही है प्रभावित   

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 ये बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है. बच्चे स्कूल में पढ़ते-पढ़ते सो सकते हैं. वहीं, ये भी कहा जाता है कि सोने के दौरान बुरे-बुरे सपने भी आते हैं. जैसे बिस्तर पर सांप का होना या कीड़ों द्वारा हाथों को खाना.   

यूरेनियम की खदानें   

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ऐसा माना जाता है कि यूरेनियम की खदानों की वजह से ये सोने की बीमारी फैली है. इस बात को लेकर कज़ाख़िस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने नज़दीकी सात हज़ार घरों में रेडिएशन और हेवी मेटल की जांच की. कुछ घरों में रेडियम का स्तर देखा गया, लेकिन इसे उस बीमारी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है.   

बीमारी की वजह  

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शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बीमारी की वजह यूरेनियम की खदानें नहीं है. ये स्लीप डिसऑर्डर हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उच्च स्तर की वजह से हो सकता है.