जहां कई सिंगल स्क्रीन थियेटर मॉर्डन दौर की भेंट चढ़ गए हैं, वहीं कई ऐसे आर्टिस्ट्स भी हैं जो इन्हें एक विरासत के तौर पर संभाले रखने की कोशिश कर रहे हैं. इन्ही में से एक हैं, विज़ुएल आर्टिस्ट नंदिता रमन. नंदिता ने अपना बचपन वाराणसी के चित्रा टॉकीज़ सिंगल स्क्रीन थियेटर में फ़िल्में देखते बिताया है. गौरतलब है कि ये शहर का पहला सिंगल स्क्रीन थियेटर था. न्यूयॉर्क के जॉर्ज इस्टमैन म्यूज़ियम, जो दुनिया का फ़ोटोग्राफ़ी का सबसे प्राचीन म्यूज़ियम भी है वो इन तस्वीरों की प्रदर्शनी 13 मई तक करने जा रहा है.
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रमन की तस्वीरें में बीते ज़माने की गहराई का अहसास होता है. इन तस्वीरों में समय के साथ ही साथ समाज में होते सूक्ष्म बदलावों को देखा जा सकता है. 2006 में वाराणसी आने के बाद उन्होंने सिंगल स्क्रीन सिनेमा को अपने फ़ोटोग्राफ़ी प्रोजेक्ट के लिए चुना था.
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2006 में वे अपने शहर में सिंगल स्क्रीन थियेटर हालातों को लेकर बैचेन हो चुकी थी और यही कारण था कि अपने बचपन की यादगार पलों में शुमार रहे इन थियेटर्स को लेकर अपने इस प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लेने का फ़ैसला लिया था. इसके बाद रमन ने कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के भी कई पुराने सिंगल स्क्रीन थियेटर्स को एक्सप्लोर करने का फ़ैसला किया था.
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ये तस्वीर नटराज थियेटर के भीतर की है. रमन ने यहां खूबसूरत तरीके से सीट्स की Row की तस्वीर उतारी है. इंटरनेशनल फ़ोटोग्राफ़र्स – फ़ज़ल शेख, रॉबर्ट पोलीडरी और केनरो इज़ु के लीक से हटकर स्टायल और लार्जर फॉरमेट के चलते उन्हें इन पुराने सिनेमाघरों को Observe करने में काफी मदद मिली.
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शहर की रंग बिरंगी गलियां और क्लासिकल म्यूज़िकल कॉन्स्टर्स के चलते रमन का बचपन काफी विस्मयकारी रहा. वे मानती हैं कि वाराणसी किसी भी बच्चे के लिए एक शानदार जगह हो सकती है.
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रमन ने श्रृंखला अग्रवाल के साथ मिलकर काम किया है और उन्होंने ये दिल न होता बेचारा और कजरा मोहब्बत वाला जैसे गानों को बैकग्राउंड म्यूज़िक के तौर पर इस सीरीज़ के लिए इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया.