कभी खुले मैदान में तो कभी किसी पेड़ की छांव में, एक शख़्स चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए खाना बनाता नज़र आता है. जितनी बड़ी हंसी उस शख़्स के चेहरे पर दिखती है, उतने ही बड़े-बड़े बर्तनों में वो इंसान अनाथ बच्चों के लिए खाना बनाता है. नाम है ख्वाजा मोइनुद्दीन (Khaja Moinuddin)

“किसी के चेहरे की हंसी, किसी के दुख का सहारा बन सकूं
मैं ख़ुदा नहीं न सही, किसी भूखे का निवाला तो बन सकूं
और वो जो डूबती दिखती हैं कश्तियां मेरे आंखों के समंदर पर
उनका जहाज नहीं न सही, उनकी उम्मीद का किनारा तो बन सकूं”

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अगर आप YouTube और Insta पर हैं, तो आपने इन्हें कभी न कभी ज़रूर देखा होगा. YouTube पर मोइनुद्दीन का ‘नवाब किचन फ़ूड फॉर ऑल ऑर्फन्स’ (Nawabs Kitchen Food For All Orphans) नाम से एक फ़ूड चैनल है. यहां वो अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए खाना बनाते दिखते हैं. वो हर महीने 1200 बच्चों के लिए खाना बनाते हैं. इस काम के लिए मोइनुद्दीन ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी. आज हम आपको उनकी कहानी और उनके इस नेक काम के बारे में बताने जा रहे हैं.

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कौन हैं ख्वाजा मोइनुद्दीन (Khaja Moinuddin)?

ख्वाजा मोइनुद्दीन आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए थे. पेशे से वो एक शेफ़ नही हैं, बल्कि उन्होंने MBA किया हुआ है. उसके बाद बतौर पत्रकार उन्होने क़रीब 10 तक एक तेलुगू चैनल में काम किया. इस काम से उन्हें पैसा तो मिल रहा था, मगर फिर भी एक कमी खलती था. मानो वो इस काम के लिए बने ही न हो. फिर एक दिन ऐसा भी आया, जब उन्होंने सबकुछ छोड़कर अपने मन का काम करने का फ़ैसला किया.

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दो दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया यूट्यूब चैनल Nawabs Kitchen

बहुत से लोगों का पता नहीं है, लेकिन नवाब किचन (Nawabs Kitchen) को शुरू करने में उनके दो दोस्त भी शामिल थे. श्रीनाथ रेड्डी और भगत रेड्डी. जब मोइनुद्दीन ने 2017 में अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया तो ये दोस्त वीडियो शूट करने के लिए कैमरे के पीछे खड़े रहे. वो आज भी उनके साथ काम करते हैं.

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मगर मोइनुद्दीन सिर्फ़ खाना ही नहीं पकाना चाहते थे, बल्कि वो इससे भी कुछ बेहतर करना चाहते थे. उनकी सोच थी कि वो जो भी खाना बनाएं, उसे ख़ुद खाने के बजाय दूसरों में बांटना चाहते थे.

हम कुछ अलग करना चाहते थे. ख़ुद बनाकर ख़ुद खाना हमारा मकसद नहीं था. इसलिए हमने बड़ी मात्रा में खाना बनाकर सड़क पर बच्चों के बीच बांटने का फ़ैसला किया.  

-ख्वाजा मोइनुद्दीन

इसके बाद उन्होंने तरह-तरह की रेसिपी बनाकर गरीब और अनाथ बच्चों में बांंटना शुरू कर दिया. वो सड़कों पर इन बच्चों को खाना बांटते थे. हालांकि, फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न अनाथालयों में जाकर वहां के बच्चों और कर्मचारियों को खाना खिलाया जाए. 

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दिलचस्प ये है कि उन्होंने खाना बनाने की कोई ट्रेनिंग नहीं ली, बल्कि ये उनका शौक़ था. उन्होंने अपने घर पर लोगों का खाना बनाते देखा. कई बार बनाते-बनाते उन्हें भी हर चीज़ का ठीक अंदाज़ा हो गया. 

संघर्ष भी कम नहीं था

तीनों ही दोस्त ये काम अपने पैसों से कर रहे थे. ऐसे में 5 वीडियो शूट करने के बाद ही उनके पास पैसा ख़त्म हो गया. मोइनुद्दीन को अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ गई, क्योंकि कंपनी को वो पूरा समय नहीं दे पा रहे थे. 

हमारे शुरुआती वीडियोज़ से हमें ठीक-ठाक सब्सक्राइबर मिल गए थे. मगर वो इतने नहीं थे कि उनसे आगे के वीडियोज़ बनाने के लिए पैसा जमा हो पाए. ऐसे में हमने चैनल बंद करने का फ़ैसला किया. हम डरे भी थे, क्योंकि हमारे परिवार वालों को नहीं पता था कि हमने नौकरी छोड़ दी है. 

-ख्वाजा मोइनुद्दीन

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

कहते हैं कि ख़ुदा भी उसका साथ देता है, जो ख़ुद अपना साथ देने को तैयार हो. और यहां तो मोइनुद्दीन अनाथों का सहारा बने थे. ऐसे में ईश्वर उन्हें अकेला कैसे छोड़ देता. जब मोइनुद्दीन और उनके दोस्तों ने चैनल बंंद करने का फ़ैसला लिया, तो उन्हें एक कॉल आया. ये फ़ोन उनके एक शुभचिंतक का था, जो उनसे वीडियोज़ अपलोड न करने का कारण पूछने लगा. मोइनुद्दीन ने जब उसे वजह बताई तो उसने उन्हें सुझाव दिया कि वो लोगों से डोनेशन को कह सकते हैं.

शुरुआत में मोइनुद्दीन को लगा कि आख़िर कोई एक यूट्यूब चैनल के लिए डोनेट क्यों करेगा. मगर फिर उन्होंने सोचा कि वो आख़िरी बार एक वीडियो बनाकर देखते हैं. उनके पास महज़ 5,000 रुपये थे. उन्होंने वीडियो बनाकर लोगों से चैनल सब्सक्राइब करने और डोनेशन को बोला. 

उस रात ग़ज़ब ही हो गया. मोइनुद्दीन को 18 मेल आए, जिनमें लोगों ने उनकी मदद करने की पेशकश की. तब से लेकर आज तक नवाब किचन (Nawabs Kitchen) डोनेशन और सब्सक्राइबर के ज़रिए हर रोज़ 40 अनाथ बच्चों का पेट भरता है. मोइनुद्दीन हर महीने विभिन्न अनाथालयों के क़रीब 1200 बच्चों को भोजन कराते हैं. 

मैं हमेशा ज़्यादा ख़ाना बनाता हूं. कभी भी बचा खाना वापस लेकर नहीं लौटता. एक बार जब हम खाना बना लेते हैं, तो जिस जगह पर भी हमने कुकिंग की होती है, वहां सभी खाने के लिए स्वतंत्र होते हैं. पहले हम खाना बॉक्स में पैक कर देते थे. मगर अब ख़ुद अपने हाथों से परोसते हैं. 

-ख्वाजा मोइनुद्दीन

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आज नवाब किचन (Nawabs Kitchen) के यूट्यूब पर 2.49 मिलियन सब्स्क्राइबर्स हैं. उनके हर वीडियोज़ पर लाखों व्यूज़ आते हैं. वो हफ़्ते में दो से तीन वीडियोज़ डालते ही हैं और अब तक सैकड़ोंं वीडियोज़ अपने चैनल पर अपलोड कर चुके हैं.