Nomophobia: आज अमूमन हर व्यक्ति के पास मोबाइल फ़ोन दिख जाएगा. वहीं, गेमिंग और इंटरनेट सुविधाओं की वजह से बच्चे भी इसके आदी होते जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह हर चीज़ के नेगेटिव-पॉज़िटिव पहलू होते हैं, ठीक उसी तरह मोबाइल फ़ोन के भी हैं. मोबाइल फ़ोन के अन्य नुकसानों को साइड में रखें, तो मोबाइल फ़ोन के साथ अधिक समय बिताना या घंटों मोबाइल फ़ोन में कुछ न कुछ करते रहने जैसी आदत ने एक घातक बीमारी को जन्म दे दिया है, जिसे Nomophobia (Nomophobia Meaning in Hindi) कहा जाता है.

अब ये नोमोफ़ोबिया क्या है (What is Nomophobia in Hindi) और किसे नोमोफ़ोबिया है (Nomophobia Symptoms in Hindi) या नहीं, ये जानने के लिए ये लेख ज़रूर पढ़ें. साथ ही ये भी ज़रूर जानें कि ये बीमारी कितनी घातक साबित हो सकती है और Nomophobia Treatment in Hindi क्या है. 

iberdrola

लेख में सबसे पहले जान लेते हैं कि आख़िर ये नोमोफ़ोबिया क्या है (What is Nomophobia in Hindi).

नोमोफ़ोबिया क्या है – What is Nomophobia in Hindi 

curiousamigos

What is Nomophobia in Hindi: Nomophobia या नो मोबाइल फ़ोन फ़ोबिया टर्म का उपयोग उस मनोवैज्ञानिक स्थिति को बताने के लिए किया जाता है जिसमें लोगों को मोबाइल फ़ोन से अलग होने का डर होता है. Nomophobia शब्द का निर्माण DSM-IV (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders) में वर्णित परिभाषाओं पर किया गया है, इसे किसी विशेष चीज़ों के लिए भय (Phobia for a Specific Things) के रूप में बताया गया है.  

नोमोफ़ोबिया से जुड़े अध्ययन – Study on NOMOPHOBIA in Hindi  

What is Nomophobia in Hindi और NOMOPHOBIA के प्रभाव से जुड़े कई अध्ययन हो चुके हैं, जिसमें इसके घातक प्रभाव (मोबाइल फोन के नुकसान) जानने को मिले हैं. 2019 के शोध के अनुसार, 2008 में फ़ोन रखने वाले लगभग 53 प्रतिशत ब्रिटिश लोग चिंचित पाए गए जब उनके पास फ़ोन नहीं था या फ़ोन की बैटरी डेड हो गई थी या उसमें कोई सर्विस नहीं थी.  


भारत में 145 प्रथम वर्ष के मेडिकल छात्रों पर नोमोफ़ोबिया का एक अध्ययन (Effects of Nomophobia) किया गया. अध्ययन में पता चला कि 22.1 प्रतिशित छात्रों में नोमोफ़ोबिया के लक्षण गंभीर थे, 17.9 छात्रों में हल्के और 60 प्रतिशत छात्रों में नोमोफ़ोबिया के लक्षण मध्यम थे.  

BBC की रिपोर्ट में दिए गए एक अध्ययन (मोबाइल फोन के नुकसान) में दक्षिण कोरिया में लगभग 1,000 छात्रों का सर्वेक्षण किया गया. इनमें 11 से 12 वर्ष के 72 प्रतिशत बच्चों के पास अपने स्मार्टफ़ोन थे और वे प्रतिदिन 5.4 घंटे इसमें बिताते थे. परिणामस्वरूप, लगभग 25% बच्चों को स्मार्टफ़ोन का आदी (मोबाइल फोन के नुकसान और फायदे) पाया गया.   

नोमोफ़ोबिया के लक्षण – Nomophobia Symptoms in Hindi  

kopitekno

Nomophobia से ग्रसित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं. नीचे जानिए नोमोफ़ोबिया के लक्षण (Symptoms of Nomophobia In Hindi): 


1. जब आप अपने फ़ोन के न होने या उसका उपयोग करने में असमर्थ होने के बारे में सोचते हैं, तो चिंता, भय (Effects of Nomophobia) या घबराहट होती है. 

2. उस समय बहुत चिंता या घबराहट (Negative Effects of Nomophobia in Hindi) होना जब आपको पता चलता है कि आप कुछ देर के लिए अपना फ़ोन इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.

 3. फ़ोन के थोड़ी देर न मिलने या आपने फ़ोन कहीं रख दिया है और उसे ढूंढ नहीं पाए रहे हैं, तो घबराहट के साथ पैनिक होना. 

 4. अपर आप अपने फ़ोन को चेक (Negative Effects of Nomophobia in Hindi) करने में असमर्थ हैं, तो उससे चिंता, चिड़चिड़ापन और तनाव का बढ़ना.     

नोमोफ़ोबिया के लक्षण (Symptoms of Nomophobia In Hindi) शरीर पर अलग तरह से भी दिख सकते हैं, जैसे 


– छाती में अकड़न 
– सामान्य तरीक़े से सांस न ले पाना 
– शरीर में कंपन 
– अत्यधिक पसीना निकलना 
– ह्रदय की गति यानी हार्टबिट का तेज़ होना 
– चक्कर आना या बेहोशी   

नीचे बताए गए नोमोफ़ोबिया के लक्षण भी बताते हैं कि व्यक्ति मोबाइल फ़ोन से एडिकटेड है कि नहीं 


– फ़ोन को बिस्तर पर इस्तेमाल करने के साथ-साथ नहाने और यहां तक भी बाथरूम में भी ले जाना 
– फ़ोन को बार-बार चेक करना 
– कई-कई घंटे फ़ोन में ही लगे रहना
– फ़ोन के बिना असहाय महसूस करना   

नोमोफ़ोबिया का कारण – Causes of Nomophobia in Hindi  

thehealthy

Nomophobia का कारण (Causes of Nomophobia in Hindi) : नोमोफ़ोबिया क्या है और नोमोफ़ोबिया के लक्षण क्या-क्या हैं, जानने के बाद आइये अब जान लेते हैं कि इसका कारण क्या है.


नोमोफ़ोबिया का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल सका है, लेकिन एक रिसर्च की मानें, तो ये स्मार्टफ़ोन द्वारा दी जाने वाली तत्काल संचार सेवा और संतुष्टि के कारण विकसित हो सकता है. स्मार्टफ़ोन से मिलने वाली त्वरित सेवाएं इंसान को इसका आदी बना सकती हैं.

वहीं, मौजूदा चिंता विकार (Anxiety Disorders) या फ़ोबिया (Social Phobia or Social Anxiety) व्यक्ति को Nomophobia की ओर ले जा सकती है. हालांकि, ये अंतर करना ज़रा मुश्किल हो सकता है कि व्यक्ति को नोमोफ़ोबिया मोबाइल फ़ोन की लत से हुआ है या पहले से ही मौजूद चिंता विकार से.

मोबाइल फ़ोन जैसी नई तकनीक पर निर्भरता और ये सोच कर परेशान होना कि क्या होगा अगर ज़रूरी सूचना न मिलें तो. इसके अलावा, फ़ोन से अलग होने का डर नोमोफ़ोबिया का कारण (Causes of Nomophobia in Hindi) बन सकता है.

नोमोफ़ोबिया का इलाज – Treatment of Nomophobia in Hindi   

blog.vantagefit

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि नोमोफ़ोबिया एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है और ये एक प्रकार का फ़ोबिया है. इसके लिए निन्मलिखित नोमोफ़ोबिया का इलाज डॉक्टर कर सकते हैं: 


1. Cognitive behavioral therapy: ये दिमाग़ी थेरेपी उन नकारात्मक विचारों से उबरने में मदद करेगी, जो तब आते हैं जब आप ये सोचते हैं कि फ़ोन पास में नहीं होगा, तो क्या होगा. 

 2. Exposure therapy: इस थेरेपी की मदद से डर का सामना करने में मदद मिलेगी.

 3. दवाइयां : डॉक्टर नोमोफ़ोबिया के लक्षणों को कम करने के लिए दवाइयां दे सकते हैं. ये दवाइंया सिर्फ़ लक्षणों को कम कर सकती हैं, नोमोफ़ोबिया को नहीं. 

 4. ख़ुद का ध्यान रखना: व्यक्ति ख़ुद भी नोमोफ़ोबिया से लड़ने की हिम्मत कर सकता है. इसके लिए वो निन्मलिखित कदम उठा सकता है : 

– सोने से पहले फ़ोन को बंद कर दें  
– अलार्म अगर फ़ोन में लगाना है, तो लगाकर ख़ुद से फ़ोन को दूर रख दें  
– पूरे दिन में कोशिश करें कि बिना के बिना वक़्त गुज़ारें  
– मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप या टेलिविज़न जैसी तककीनों के बिना थोड़ा वक़्त गुज़ारें. आप बाहर खेल सकते हैं, किताब पढ़ सकते हैं या फिर कुछ लिख सकते हैं. 

नोट: अगर बताए गए लक्षण आप में दिखते हैं, तो अच्छा होगा कि आप एक बार डॉक्टर से बात करें. इसके अलावा, ख़ुद से किसी भी तरह की दवाई भूल से भी न लें. अच्छी लाइफ़स्टाइल अपनाएं और ये पॉज़िटिव विचार लाएं कि मोबाइल फ़ोन के बिना भी अच्छी ज़िंदगी गुज़ारी जा सकती है.