दवाइयों से कुछ वक़्त के लिए किसी बीमारी को दबाया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए ख़त्म नहीं किया जा सकता. ऐसा हमारा ही नहीं डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का भी मानना है. लेकिन एक बीमारी ऐसी भी है, जिसे इंसानों ने हमेशा के लिए दबा दिया है. अब ये बीमारी किसी को भी नहीं होती. आप जानते हैं उस बीमारी का नाम क्या है?
इस बीमारी का नाम है स्माल पॉक्स. स्माल पॉक्स इकलौता ऐसा रोग है, जिसे वेक्सिनेशन की मदद से हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्माल पॉक्स, चिकन पॉक्स से बिलकुल अलग है. चिकन पॉक्स को अभी तक ख़त्म नहीं किया जा सका है.
स्माल पॉक्स, Variola Virus की वजह से शरीर में फैलता है. इस वायरस के लक्षण Cowpox से मिलते-जुलते हैं. इस रोग के शुरुआती लक्षणों में बुखार का बना रहना, थकान और शरीर पर दानों का उभरना है. एक से दो दिनों के भीतर ही दानों में पस भर जाते हैं, जिनके फूटने से त्वचा पर गहरे गड्ढे बन जाते हैं. लेकिन ये बीमारी अब अस्तित्व में नहीं है.
स्माल पॉक्स धरती पर 3000 सालों से अस्तित्व में था. इसके लक्षण आख़िरी बार 1978 में इंग्लैंड में एक प्रयोग के दौरान लैब में हुई दुर्घटना की वजह से देखे गए थे. लेकिन अगले ही साल 1979 में World Health Organization ने घोषणा की थी, कि अब इस बीमारी का पूरी तरह से उन्मूलन हो गया है.
इस रोग से 30 प्रतिशत मामलों में रोगी की मौत हो जाती थी. स्माल पॉक्स एक संक्रमण जनित रोग था, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत तेज़ी से फैलता था.
ये किसी महामारी से कम नहीं था. पहली बार रोम में 753 BC में इसके लक्षण दिखे थे. रोम की पूरी सभ्यता इस बीमारी की वजह से तबाह हो गई थी.
वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के बाद इसकी रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाई जा सकी. शुरुआत में कुछ विफ़लताओं के बाद इस वैक्सीन का असर दिखने लगा. इस वैक्सीन को लगाने का तरीका बहुत दर्दनाक था.
सन 1976 में Edward Jenner को स्माल पॉक्स की रोकथाम के लिए एक वैक्सीन बनाने में बड़ी कामयाबी मिली.
Folklore ने दावा किया कि जो महिलाएं गायों का दूध दुहती हैं, उन पर इस बीमारी का असर कम होता है. गायों में इस तरह की बीमारी पैदा करने वाले वायरस को उन्होंने Cowpox का नाम दिया. ये काफ़ी हद तक स्माल पॉक्स के वायरस जैसा ही था. इस वायरस की ख़ास बात ये थी कि ये वायरस, स्माल पॉक्स के वायरस से लड़ने में सक्षम था.
Folklore की बात को जांचने के लिए Edward Jenner ने लोगों पर Cowpox का वायरस इंजेक्ट करने के बाद स्माल पॉक्स का वायरस इंजेक्ट किया. स्माल पॉक्स का वायरस लोगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाल पा रहा था. इस प्रयोग ने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी. अब एक लाइलाज़ बीमारी का इलाज़ किया जा सकता था.
इस बीमारी के उन्मूलन के बाद इसके वैक्सीन को प्रयोग में लाना बंद कर दिया गया है. अब इसे केवल Variola वायरस पर शोध करने वाले शोधार्थी ही प्रयोग कर सकते हैं. कुछ संवेदनशील बीमारियों में भी इस वायरस का प्रयोग किया जाता है.
World Health Organisation ने वैश्विक स्तर पर कई सर्वे कराया जिसमें लोगों से पूछा गया कि कैसे उन्होंने इस रोग की रोकथाम की.
Edward Jenner और Folklore का दुनिया ऋणी है, उन्होंने अपने अनवरत प्रयोगों से इस महामारी को पूरी दुनिया से मिटा दिया. काश! वैज्ञानिक एड्स, Hepatitis-B और कैंसर जैसे असाध्य रोगों की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन बनाने में कामयाब हो पाते, तो करोड़ों लोगों की ज़िंदगियां तबाह न होतीं.