हम बचपन से ही Parle G जी बिस्कुट खाते आ रहे हैं. यहां तक कि हमारे माता-पिता ने भी Parle G का स्वाद चखा होगा. इतने साल बीत गए लेकिन न ही इसका स्वाद बदला न ही इसका साथी. बात हो रही है चाय की. Parle G और चाय एक-दूसरे के पूरक हैं. ये दोनों बने ही हैं एक-दूसरे के लिए.
गांव हो या शहर आज भी लोगों को वहां पर चाय और Parle G खाने को मिल जाते हैं. आम लोग तो अपने मेहमानों का स्वागत भी चाय और Parle G के साथ ही करते हैं. Parle G और चाय से जुड़ी यादें भी हर किसी के पास हैं.
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जैसे बचपन में जब भी चाय बनती थी, तो मां 2 रुपये देकर Parle G लेकर आने को कहती थी. मेरा तो बचपन चाय और Parle G के साथ ही बीता है. दोस्तों के साथ पढ़ाई करनी हो तो चाय और Parle G हमारा साथ देते थे.
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बड़े हुए तो दोस्तों के साथ दुनिया जहान की बातों पर बहस करते हुए चाय और पार्ले जी ही खाया करते थे. आज भी जब पुराने दोस्तों से मिलना होता है, तब चाय और पार्ले जी के साथ ही किसी टपरी पर डेरा जमाते हैं. ऑफ़िस में शाम को जब भी कुछ खाने का मन हो तो कलीग्स के साथ 10 मिनट का ब्रेक ले चाय और पार्ले जी खा आते हैं.
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पार्ले-जी और चाय साथ हों, तो बोरिंग सा लेक्चर भी अच्छा लगने लगता है
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ये लिखने के बाद अब तो मेरा मन चाय और पार्ले-जी खाने को तड़प उठा है. मैं तो चला आप भी जाइए चाय और पार्ले-जी का लुत्फ़ उठाइए.
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