नॉर्थ ईस्ट हमेशा से ही अपनी ख़ूबसूरती लिए जाना जाता है. ख़ूबसूरती के मामले में नॉर्थ ईस्ट का सिक्किम राज्य दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने-फिरने जाते हैं. पर्यटन ही यहां के लोगों की आय का एकमात्र स्रोत है. ऐसे में सिक्किम के लोग पर्यटकों को लेकर काफ़ी जागरूक भी रहते हैं.
इन दिनों सिक्किम का एक छोटे सा गांव लाचुंग, प्लास्टिक से बचने को लेकर दुनिया को इसकी सीख दे रहा है.
दरअसल, लाचुंग गांव के लोगों की आय का एकमात्र स्रोत पर्यटन है. इसलिए इस गांव के लोग पर्यावरण की समस्या को लेकर पूरी तरह जागरूक हैं. खासकर पर्यटकों द्वारा फैलाए जाने वाले कूड़े को लेकर गांव के लोग काफ़ी सतर्क रहते हैं. अगर किसी पर्यटक से प्लास्टिक की पानी की बोतल मिलती है तो उसे 5000 रुपये का जुर्माना देना पड़ता.
लाचुंग के निवासी पर्यटकों को डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक की बोतल के साथ गांव के अंदर एंट्री न करने की विनम्र अपील करते हैं. यहां जगह-जगह बोर्ड लगे हुए हैं, जिनमें पर्यटकों से अपील की गई है कि वो अपने साथ में कूड़ा फैलाने वाला प्लास्टिक न रखें.
गांव की सीमा पर ‘लाचुंग और लाचेम आने वाले सभी पर्यटक अपने साथ प्लास्टिक की पानी की बोतल न लाएं. इधर ही फेंक कर जाना पड़ेगा’. इस तरह के बोर्ड देखे जा सकते हैं.
गांव के कुछ लोग पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों, टैक्सी ड्राइवरों और हॉकरों को भी कूड़ा न फैलाने के लिए जागरूक करते हैं. इस गांव के लोग अन्य लोगों के लिए इसलिए भी रोल मॉडल की तरह हैं क्योंकि इन लोगों ने सरकार द्वारा लगाए गए साईन बोर्ड का पालन किया.
पर्यावरण के प्रति लोगों की इस शानदार पहल के चलते ही लाचुंग और लाचेम गांव प्लास्टिक कचरे से कोसों दूर हैं. यहां की साफ़-सुथरी नदियां, पहाड़ और मैदान पर्यटकों को खूब भाते हैं. यही कारण है कि सिक्किम की ट्रिप पर जाने वाले अधिकतर पर्यटक लाचुंग और लाचेम जाना नहीं भूलते.
इस शानदार पहल के बाद तो यही कहा जा सकता है कि प्लास्टिक बोतल को पूरी तरह से बैन करने वाला लाचुंग भारत का पहला गांव है.