क्या कभी आपने सोचा है कि हवाई जहाज़ के टॉयलेट की गंदगी कहां जाती है? अब प्लीज़ ये मत कहना है कि मल-मूत्र हवाई जहाज़ से नीचे गिर जाता है. अगर आपने भी बाक़ियों की तरह ये ग़लतफ़हमी पाल रखी है, तो अब ये ग़लतफ़हमी दूर करने का समय आ गया है.

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जानिये, कहां जाती है हवाई जहाज़ के टॉयलेट की गंदगी? 

सबसे पहली बात प्लेन में सफ़र के दौरान जितना मल-मूत्र और गंदगी जमा होती है. वो ज़मीन में आकर नहीं गिरती है. हवाई जहाज़ की सारी गंदगी इक्ठ्ठा करने के लिये उसमें 200 गैलन का टैंक लगा होता है. सफ़र के दौरान वहां फैलाई गई सारी गंदगी इसी टैंक में जाती है. इसके अलावा हर हवाई जहाज़ में वैक्यूम टॉयलेट की सुविधा होती है, जो कि पानी और मल दोनों को अलग-अलग कर देता है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर उड़ान के बाद 200 गैलन का टैंक एयरपोर्ट पर खोला जाता है. इसके बाद सफ़ाई कर्मचारी टैंक की सफ़ाई करते हैं, जिसके लिये उन्हें अच्छी सैलरी भी दी जाती है. हांलाकि, सैलरी के हिसाब से उनका काम भी उतना ही मुश्किल होता है. ज़ाहिर सी बात है कि टैंक से किसी का मल-मूत्र निकालना आसान नहीं होता.

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अगर आप सोचते हैं कि हवाई जहाज़ शुरू से काफ़ी मॉर्डन रहे हैं, तो ऐसा नहीं है. हवाई जहाज़ का आविष्कार The Wright Brothers ने किया था. जिस समय उन्होंने प्लेन बनाया, उस समय वो एकदम साधारण था. पर आज के आधुनिक हवाई जहाज़ में यात्रियों की सुख-सुविधाओं के लिये सारी चीज़ें मौजूद हैं, जिसकी कभी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.

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उम्मीद है कि आपको हवाई जहाज़ के मल से जुड़ी सारी जानकारी मिल गई होगी. अब जब भी आप प्लेन से सफ़र करेंगे. ये बात ज़हन में रहेगी कि वहां का मल-मूत्र कहां जा रहा है. जानकारी दोस्तों से भी शेयर कर सकते हैं.