पॉपकॉर्न ऐसा स्नैक है जिसे आप कभी भी कहीं भी आराम से इंज़ॉय कर सकते हैं. इसे खाते हुए आपको कैलौरी कॉन्शियस भी नहीं रहना पड़ता. मूवी में या फिर घर पर दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाते हुए आपने भी पॉपकॉर्न को ज़रूर खाया होगा. अगर इसे पूरी दुनिया का ऑल टाइम फे़वरेट स्नैक कहा जाए तो कुछ ग़लत न होगा.

पर मकई के दानों को भून कर बनाए गए टेस्टी पॉपकॉर्न का इतिहास जानते हैं आप? नहीं, चलिए आज इसके इतिहास से भी पर्दा उठा देते हैं.

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पॉपकॉर्न का इतिहास मेक्सिको से जुड़ा है. पुरातत्व वैज्ञानिकों के अनुसार ये हज़ारों सालों से हमारे भोजन का हिस्सा है. पहली बार इसके साक्ष्य मेक्सिको की एक चमगादड़ों से भरी गुफ़ा में मिले थे. ये गुफ़ा लगभग 3600 साल पुरानी थी. मेक्सिको से ये Aztec Indians के संपर्क में आ गया. वो इसका इस्तेमाल अपने देवताओं के लिए माला, जेवर आदि बनाने के लिए करते थे.

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इस तरह वो अमेरिका के लोगों के संपर्क में आ गए. अमरीकियों को इसका स्वाद बहुत पसंद आया. इसके बाद यहां बसने गए यूरोपीय देशों के लोगों ने भी इसे अपना लिया. धीरे-धीरे ये पूरी दुनिया का पसंदीदा स्नैक बन गया.

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इसे भूनने का तरीका भी हर जगह अलग-अलग है. चीन में पॉपकॉर्न को एक लोहे के ड्रम में भूना जाता है. भारत में इसे लोहे की कढ़ाही में और अमेरिका में मशीनों के अंदर इसे भूना जाता है. 

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पॉपकॉर्न बनाने वाली पहली मशीन 1885 में अमेरिका के Charles Cretors ने पेश की थी. उन्होंने इस मशीन की प्रदर्शनी वर्ष 1893 के वर्ल्ड फ़ेयर में भी लगाई थी. तब इसका स्वाद लोगों बहुत पसंद आया था. आज Charles Cretors अमेरिका में पॉपकॉर्न भूनने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.

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पॉपकॉर्न का नशा आज पूरी दुनिया के सर चढ़ कर बोल रहा है. अब तो बंद पैकेट में मक्खन वाले नमकीन पॉपकॉर्न आप कहीं भी कभी भी ख़रीद सकते हैं. लेकिन अगर इसे बिना मक्खन और नमक के सादे रूप में ही खाया जाए तो ये बहुत ही पौष्टिक होता है.

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पॉपकॉर्न से जुड़ा ये इतिहास तो आपका पता चल गया. अब इसे अपने दोस्तों से भी शेयर कर दो.

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