यह अपने आप में ही एक हैरान कर देने वाली बात है कि जो सांप का ज़हर इंसान की जान लेता है उसी से ही सांप के काटे की दवा बनाई जाती है. वैसे बता दें कि सभी सांप ज़हरीले नहीं होते हैं. जानकारी के अनुसार सांप की लगभग साढ़े तीन हज़ार प्रजातियां हैं, जिनमें से लगभग 600 प्रजातियां ही ज़हरीली होती हैं. 

वहीं, सांप के काटे का इलाज करने के लिए सांप के ज़हर से ही दवा का निर्माण किया जाता है. यह दवा कैसे बनती है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है, इसकी जानकारी हम आपको इस लेख के ज़रिए देंगे. पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें.   

प्रतिवर्ष सांप के ज़हर से मरने वालों की संख्या  

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व भर में प्रतिवर्ष 81 हज़ार से लेकर 1 लाख 38 हज़ार लोग सांप के काटने से मरते हैं. सबसे ज़्यादा जोखिम में खेतों में काम करने वाले लोग और बच्चे होते हैं. वहीं, सांप के काटे का प्रभाव बड़ों से ज़्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, क्योंकि उनका शरीर बड़ों की तुलना में उतना विकसित नहीं हुआ होता है.   

सांप के काटे का प्रभाव

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर कोई जह़रीला सांप किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसे लकवा मार सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है. वहीं, ज़हर रक्त विकार का कारण बन सकता है, जिससे भारी ब्लीडिंग हो सकती है, टिशू डैमेज हो सकता है और साथ ही किडनी फ़ेलियर का जोखिम बढ़ सकता है. ये सभी चीज़ें त्वरित इलाज़ के अभाव में व्यक्ति को मौत में मुंह में ढकेल सकती हैं.    

सांपों का पालन  

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जैसा कि हमने बताया कि सांप के ज़हर से ही सांप के काटे की दवा बनाई जाती है, जिसे एंटी वेनम कहा जाता है. इस काम के लिए देशों में बड़े स्तर पर सांपों का पालन किया जाता है. सांपों को सही ख़ुराक जैसे उनके पसंदीदा चूहे खिलाए जाते हैं. फिर बीच-बीच में सांपों का ज़हर निकाल कर स्टोर किया जाता है और दवा बनाने के लिए आगे भेजा जाता है.  

ज़हर निकालने की प्रक्रिया   

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सांप का ज़हर आम इंसान नहीं निकाल सकता है. इसके लिए प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है. सांपों का एक्सपर्ट ख़ास छड़ी का इस्तेमाल कर सांप को उनकी जगह से निकालता है और फिर उसके मुंह को पकड़कर ख़ास बनाए गए पात्र (जिसके ऊपर पन्नी लगी रहती है) के ऊपरी भाग को कटवाता है. इसी बीच सांप ज़हर छोड़ता है और ज़हर पात्र में जमा हो जाता है.   

ज़हर निकालने का अन्य तरीक़ा  

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ज़्यादा सावधानी के लिए सांप को कार्बन डाइऑक्साइड से भरे ड्रम में डाल दिया जाता है. सांप कुछ ही देर में सो जाता है. फिर सांप को स्टेनलेस स्टील की बेंच पर लिटा दिया जाता है. वहां का तापमान लगभग 27 डिग्री सेल्सियस होता है. फिर सांप का ज़हर निकाला जाता है. इसे कम दर्दनाक ज़हर निकालने का तरीक़ा माना जाता है.  

ऐसे बनाया जाता है Antivenom   

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जानकर हैरानी होगी की सांप की काटे की दवा एंटी वेनम बनाने के लिए सांप के ज़हर की थोड़ी मात्रा घोड़े के शरीर में डाली जाती है. ये ख़ास घोड़े होते हैं. जानकारी के अनुसार, घोड़े के शरीर में ज़हर जाते ही इम्यून सिस्टम एंटी बॉडी बनाने लगता है और ज़हर ख़त्म हो जाता है. इसके बाद घोड़े के शरीर से ख़ून निकाला जाता है, फिर उस ख़ून से ही ‘सीरम’ तैयार किया जाता है. बता दें कि घोड़ों के अलावा, अन्य पालतू जानवरों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें ऊंट, गधे, बकरी व भेड़ आदि शामिल हैं.