GST से तो पूरा देश बेहाल है, तो इन महिलाओं को ही ये बात क्यों खटक रही है. ये बात एक सज्जन को मेट्रो में बोलते सुनी. ये सज्जन असल में Sanitary Napkin पर लगे 12 प्रतिशत GST के खिलाफ़ कुछ महिलाओं और पुरुषों के विरोध पर अपना विरोध जता रहे थे.

बहुत से तथाकथित बुद्धिजीवि इस विरोध को Feminism से भी जोड़ देंगे, हो भी क्यों ना? वे तथाकथित बुद्धिजीवि जो हैं. हमारे समाज में Menstruation से जुड़ी कई भ्रान्तियां हैं, Periods को किसी पाप से कम नहीं समझा जाता. कुछ घरों में तो महिलाओं को Periods के दौरान घर के कोने में पड़े रहना पड़ता है, इसके अलावा भी कई अन्य बातों पर पाबंदियां लगा दी जाती हैं.

इस सब के अलावा, Periods के दौरान कई महिलाएं अपने स्वास्थ्य और साफ़-सफ़ाई को भी नज़रअंदाज़ कर देती हैं और गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. ये सब सरकार से नहीं छिपा है, फिर भी सरकार ने Sanitary Napkins पर GST लगा दिया.

सरकार के प्रति हम अपना विरोध या तो Status डालकर कर रहे हैं या फिर प्रोटेस्ट मार्च निकालकर पर आर्टिस्ट Raj Kamal Aich ने इसका विरोध अपनी कलाकारी से किया.

राज ने Sanitary Napkins और Tampons पर लाल रंग की स्याही का इस्तेमाल किया और ऐसे Artworks तैयार किये, जो पहले कभी किसी ने नहीं किये थे. आमतौर पर Sanitary Pads के Ads में भी ख़ून का रंग लाल नहीं बल्कि नीला दिखाया जाता है.

अपने Artwork के बारे में Scoop Whoop News से हुई बातचीत में राज ने बताया,

‘Sanitary Napkins पर ही टैक्स क्यों और कोन्डम, सिंदूर या बिंदी पर क्यों नहीं. ये मेरी समझ के परे है. सरकार को अगर अपने देश की महिलाओं की ज़रा सी भी चिंता है तो Sanitary Napkin पर टैक्स नहीं लगाना चाहिए. शहरी क्षेत्र की महिलायें तो Pad के एक पैकेट के लिए 100-160 रुपये तक खर्च कर सकती हैं, पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का क्या?’

राज स्वयं ही Sanitary Napkins और Tampons ख़रीदने गए थे, पर उन्हें दुकानदार ने काली पॉलीथीन में सामान नहीं दिया. सोचने वाली बात है हमारे लिए तो पहले पॉलीथन निकलती है और फिर Napkin. गौरतलब है कि राज को Napkin ख़रीदने की वजह बतानी पड़ी थी क्योंकि दुकानदार उन्हें अजीब तरह से घूर रहा था. राज ने फ़ोटो शूट का बहाना करके Napkin ख़रीदी थी.

Period एक Natural Process है. देश में ही कई क्षेत्रों में लड़कियों के पहले Period का उत्सव मनाया जाता है वहीं कई क्षेत्रों में उस पर अतिरिक्त बंदिशें लगा दी जाती हैं. सरकार का ये फ़ैसला कतई सही नहीं है, क्योंकि इस निर्णय से स्त्रियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.

Source: Scoop Whoop News