इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना रमज़ान सभी महीनों में सबसे पवित्र माना जाता है. इसमें मुस्लिम लोग महीने भर रोज़ा (उपवास) रखते हैं. मान्यता के अनुसार, रोज़ेदार को सिर्फ़, शाम को इफ़्तारी के वक़्त और सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी के वक़्त ही कुछ खाने की इजाज़त है.
रोज़ा खोलने के लिए पारंपरिक रूप से खजूर का प्रयोग पूरे विश्व में होता है. माना जाता है कि इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब भी खजूर से रोज़ा खोलते थे. चूंकि इस्लाम में रमज़ान की अलग ही शान है, इसलिए इस पूरे महीने घरों और होटलों में कुछ ख़ास पकवान बनाए जाते हैं.
भारत के अलग-अलग हिस्सों में बनने वाले ये पकवान भारतीय रसोई को ही नहीं, बल्कि उस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध करते हैं. हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुछ मशहूर पकवान जिनकी लज़्ज़त और ख़ूबसूरती से आपके मुंह में पानी आ जाएगा.
1. हलीम (हैदराबाद)
हलीम हैदराबादियों का पसंदीदा पकवान है. माना जाता है कि ये अरबी पकवान मुग़लों के ज़माने में अफ़ग़ानिस्तान और ईरान से भारत आया. इसे मीट, मसूर की दाल, गेहूं के आटे और मसालों से बनाया जाता है. हिन्दुस्तानी ज़ायका लाने के लिए इसमें मेवा और घी भी इस्तेमाल करते हैं. लकड़ी की आग में बनने वाला ये पकवान बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है, मगर इसे बनाने में 12 घंटे लग जाते हैं. मीट को हटाकर इसे वेजिटेरियन भी बना सकते हैं.
2. बारह हांडी (मुंबई)
7 अलग-अलग हांडियों की सालन में पके कई तरह के मीट और 22 मसालों के प्रयोग से बनने वाली इस डिश का नाम बारह हांडी है. पहले ये 12 हांडियों में बनता था. इसे धीमी आंच में 10-12 घंटे पकाने से ये बेहद मुलायम, रसीला और स्वादिष्ट होता है. आजकल मुंबई के कई होटल और रेस्टोरेंट में ये मिल जाएगा, मगर इसका असली टेस्ट आपको मोहम्मद अली रोड के पास बोरी मोहल्ला में ‘सुरती बारह हांडी’ नाम की दुकान पर ही मिलेगा.
80 साल पुरानी इस दुकान को पहले नईम सुरती चलाते थे. पिछले 52 साल से इसे इस्माइल (नईम के पोते) चला रहे हैं, जो इस समय ख़ुद 68 साल के हैं. आम दिनों में भी दुकान के आगे लोगों की लाइन लगती है और रमज़ान में तो पूछना ही क्या?
3. Unnakaya (केरल)
रमज़ान के महीने में केरल के किसी भी नुक्कड़ पर आपको मसाले, घी और नारियल तेल से बना ये पकवान मिल जाएगा. केले और नारियल से बना ये मीठा पकवान उत्तरी केरल में इफ़्तारी के लिए प्रसिद्ध है. कुछ लोग इसे घर पर ही ताज़ा बनाते हैं और कुछ होटल से ख़रीदते हैं.
4. Kand शरबत (श्रीनगर)
तुलसी के बीज से बनने वाला Kand शरबत कश्मीर का लोकप्रिय पेय है. यहां पर रमज़ान में ये हर घर में इफ़्तार के वक़्त मिल जाएगा. 15 घंटे के रोज़े के बाद दूध और मेवे से बना ये शरबत शरीर को तुरंत Glucose देता है. ऐसा मानना है कि ये पेय मुग़लों द्वारा भारत में आया. Type 2 Diabetes के मरीज़ों के लिए ये पेय अच्छा माना जाता है.
5. भजिया (कोलकाता)
तले आलू और पालक से बनी ये डिश कलकत्ता में इफ़्तार के लिए मशहूर है. सेंट्रल कोलकाता के चूना गली में 113 साल पुरानी हाजी अलुद्दीन की दुकान पर रमज़ान में इसके लिए भारी भीड़ लगती है. घी में बने होने के कारण ये थोड़ी महंगी पड़ती है. इसे सिर्फ़ रमज़ान में ही बनाया जाता है ताकि इसका आकर्षण बना रहे.
6. पाये की निहारी (कानपुर)
निहारी वैसे तो लखनऊ, हैदराबाद और दिल्ली का लोकप्रिय पकवान है, लेकिन रमज़ान महीने में कानपुर में इसका ख़ास महत्व है. मीट और कई मसालों से बनने वाले इस पकवान को गिलाफ़ी कुलचे के साथ परोसा जाता है. लोगों का मानना है कि लखनऊ के नवाबों के लिए जो शाही खानसामे बाहर से आए उनके द्वारा ये पकवान लाया गया. कानपुर के ‘वली मोहम्मद बिरयानी एंड निहारी’ की दुकान 80 साल पुरानी है और रमज़ान में आज भी लगभग एक हज़ार लोग हर रात यहां निहारी खाने आते हैं.
7. नुक्ती खारे (भोपाल)
रमज़ान के महीने में भोपाल में नुक्ती खारे इफ़्तार के लिए लोकप्रिय है. इसे नुक्ती (बूंदी), अनारदाने और सेव (काबुली चने से बनी नमकीन) से बनाया जाता है. नुक्ती और खारे अलग-अलग बिकते हैं, जिन्हें खाते वक़्त मिला लिया जाता है. मीठे और नमकीन का ये कॉम्बिनेशन उत्तर भारत में कई जगह मिल सकता है, मगर अनारदाने वाले नुक्ती खारे आपको सिर्फ़ भोपाल में मिलेंगे.
8. गलौटी कबाब (लखनऊ)
गलौटी कबाब लखनऊ के नवाबों के लिए पकाई जाने वाली डिश हुआ करती थी. गलौती का मतलब है, जो मुंह में जाते ही गल जाए. इसे बनाने के लिए मीट और कच्चे पपीते को मसालों के साथ मिलाया जाता है.
9. कीमा समोसा (उत्तर भारत)
उत्तर भारत में समोसा एक प्रसिद्ध व्यंजन है. यहां के अलग-अलग हिस्सों में आपको कई तरह के समोसे मिल जाएंगे. रमज़ान के महीने में यहां एक स्पेशल समोसा मिलता है, जिसे कीमा समोसा कहते हैं. इसमें सामान्य समोसे में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों के अलावा मीट भी इस्तेमाल होता है. इफ़्तारी में स्टार्टर के तौर पर इसे कुछ जगह खाया जाता है.
10. नोम्बू कांजी (चेन्नई)
चावल, दाल, मीट और मसालों से बना ये पकवान दक्षिण भारत में इफ़्तारी के लिए प्रसिद्ध है. यहां शाम को ज़्यादातर मस्जिदों में नोम्बू कांजी से रोज़ा खोलने की व्यवस्था की जाती है. ये पकवान 1000 साल से भी ज़्यादा समय पहले खोजा गया था, जो चीन, कोरिया, जापान और भूटान से होते हुए भारत आया था.
रमज़ान के दौरान ख़ास बनने वाले पकवानों की फ़ेहरिस्त बहुत लम्बी है. आपके आस-पास भी ऐसे बहुत से पकवान होंगे, जो देश के दूसरे हिस्से के लोग शायद न जानते हों. आप कमेंट बॉक्स में हमें उनके नाम लिख भेजिए, ताकि हम उन्हें भी लोगों तक पहुंचा सकें.