Schizophrenia आज के ज़माने में केवल भ्रम नहीं रह गया है. अमेरिका के एक प्रतिशत से ज़्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी में कल्पना और यथार्थ के बीच फ़र्क समझना मुश्किल हो जाता है. दुनिया के कुछ सेलेब्रिटी भी इस मानसिक परेशानी का शिकार रहे हैं. इस विषय पर ‘शटर आइलैंड’ और ’15 पार्क एवेन्यू’ जैसी फ़िल्में भी आ चुकी हैं.

इस बीमारी से जो भी शख़्स गुज़रता है,वो अपने ही विचारों में खोया रहता है. उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता है और न ही उसे लोगों से मिलना-जुलना अच्छा लगता है. हर व्यक्ति को वो शक की निगाह से देखता है. जैसे उसके आस-पास के लोग उसके खिलाफ़ षडय़ंत्र रच रहे हों. उस अजीबो-गरीब डरावनी आवाज़ें सुनाई देती हैं, डरावनी परछाइयां दिखाई पड़ती हैं. इन सबसे घबरा कर वो हिंसा और आत्महत्या जैसे कदम तक उठाने की कोशिश कर सकता है.

18 साल की केट भी इस बीमारी से ग्रस्त हैं. पेटिंग का शौक रखने वाली केट ने अपनी कला के माध्यम से अपने मानसिक हालातों को कागज़ पर उकेरने की कोशिश की है. उनकी ये पेंटिंग साबित करती है कि Schizophrenia से पीड़ित व्यक्ति के मानसिक हालात कितने भयावह हो सकते हैं. केट ने हर पेंटिंग के साथ अपने अनुभव को शेयर किया है.

मैं हमेशा से ही आर्टिस्ट थी. ये बेहद अजीब है कि मुझे इस बारे में तभी एहसास हुआ जब मैं मानसिक बीमारी से गुज़र रही थी.

दुर्भाग्य से, मैं जब भी लोगों को अपने संघर्ष के बारे में बताती थी, तो वे मुझे स्टीरियोटाइप करने लग जाते थे. जैसा कि फ़िल्मों मे दिखाया जाता है.

17 साल की उम्र में मुझे Schizophrenia से ग्रस्त होने के बारे में पता चला. जब मेरे मां-बाप को लगा कि मेरी मानसिक हालत बेहद खराब हो चुकी है, तब उन्होंने मेरा इलाज कराना शुरू किया था.

मैं अपने कई सारे भ्रम और Hallucinations को पेंटिंग की शक्ल देने की कोशिश करती थी. इससे मुझे डिप्रेशन से निपटने में मदद मिलती थी. इन मतिभ्रम या Hallucinations में मुझे आवाज़ें सुनाई देती थी, अचानक अजीब सा शोर मेरे चारों तरफ़ होने लगता था. मुझे कई बार कीड़े, चेहरे और शरीर से उखड़ चुकी आंखें दिखाई देती थी.

कई बार मुझे कीड़े दिखने का भ्रम होता था. डिप्रेशन की वजह से मुझे लगता था कि मेरी जिंदगी उतनी ही महत्वहीन है, जितनी एक उड़ने वाले कीड़े की. मैं अक्सर ऐसे हालातों में जोरी नाम के आर्टिस्ट के Quotes पढ़ती थी. उनका ये Quote मेरे दिल के बेहद करीब है.

यहां मैं अपनी तस्वीर बनाना चाहती थी. मैंने शीशे में अपने आपको देखा और मेरी आंखें कुछ इस तरह से छितरा गई. उस समय मेरी जो मानसिक अवस्था थी उस हिसाब से मैंने ये पेंट कर दिया.

मेरी भावनाएं बेहद तीव्र थीं. मुझे ऐसी कई आवाज़ें आती थी, जो मुझसे कहती थी कि मुझे आस पास की चीज़ों में आग लगा देनी चाहिए. 

ये तस्वीर उस बात का उदाहरण है जब मुझे ये रहस्यमयी आंखे बार-बार दिखाई देती हैं. मुझे ऐसा लगता था कि ये निगाहें हर जगह मौजूद हैं. घर के फ़्लोर से लेकर दीवारों पर. ये निगाहें यहां-वहां भटकती रहती थी.

ये बर्डी है. बर्डी, मेरे लिए गाना भी गाती है.

मेरा आत्मसम्मान एकदम खत्म होने के कगार पर था. मुझे अपनी जिंदगी महत्वहीन और निरर्थक लगने लगी थी. मुझे लगता था कि मैं एक बेहतर इंसान बन सकती हूं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पा रहा था. मेरे विचारों के द्वंद मुझे जकड़े हुए थे.

डिप्रेशन, बैचेनी, लोगों के साथ बातचीत न कर पाना और अपने इमोशंस को कंट्रोल में न रख पाना, मेरे लिए सबसे बड़ा संघर्ष बन चुका था. 

केट ने कहा कि इस बीमारी के साथ जीना आसान नहीं है. मैं कई बार बेहद कमज़ोर महसूस करती हूं. लेकिन मैं कम से कम उस स्तर तक नहीं पहुंची हूं, जब मुझे ऐसा महसूस होने लगे कि एलियंस ने मेरा अपहरण कर लिया हो. हो सकता है कि कुछ लोग सचमुच इन्हीं गंभीर हालातों से गुज़र रहे हों. लेकिन मैं केवल इस दौरान केवल अपने घर में पड़ी रहती थी. ऐसी बीमारियों में हर इंसान अलग अलग तरीके से रिएक्ट करता है. उम्मीद है आने वाले समय में मैं बेहतर महसूस करूंगी.