खीरा (Cucumber) तो आपने बहुत खाया होगा, लेकिन Sea Cucumbers यानी समुद्री खीरे के बारे में शायद ही सुना होगा. जिस समुद्री खीरे की बात हम कर रहे हैं वो कोई फल- सब्ज़ी नहीं है, बल्कि एक समुद्री जानवर है.
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इसका नाम समुद्री खीरा इसलिए पड़ा क्योंकि ये कोमल चमड़ी वाला और ट्यूब जैसे शरीर वाला जानवर होता है काफ़ी हद तक खीरे जैसा दिखता है. ये समुद्र की अम्लीयता (Acidity) को घटाने में भी बड़े उपयोगी होते हैं और समुद्री इको सिस्टम के लिए बेहद ज़रूरी माने जाते हैं.
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चीन में लोग इसे बड़े शौक़ से खाते हैं. वो इसे सुखा कर खाते हैं, जिसे बेशे-डे-मेर (Beche-De-Mer) या त्रेपांग (Trepang) कहते हैं. इनका उपयोग पारंपरिक दवा बनाने के लिए भी होता है. वहां के अमीर इसे सदियों से खाते आ रहे हैं. समुद्री खीरे की एक जापानी प्रजाति सबसे महंगी बिकती है. इसका दाम 2.5 लाख रुपय प्रति किलो तक चला जाता है. चीन में ये माना जाता है कि समुद्री खीरे औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.
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दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में सदियों से इनका प्रयोग जोड़ों की समस्याओं जैसे आर्थराइटिस के इलाज में होता आ रहा है. हाल ही में यूरोप में भी लोगों ने इसका प्रयोग दवा के रूप में करना शुरू कर दिया है. अब फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियां भी समुद्री खीरे से दवाई बनाने पर काम कर रही है.
1980 के दशक में चीन में इसकी मांग में बहुत बढ़ोतरी हुई थी. जहां पहले सिर्फ़ अमीर चीनी ही इसे खा पाते थे, वहीं अब उभरता माध्यम वर्ग इसका बड़ा उपभोक्ता बन गया है. दक्षिण एशिया के कुछ देशों सहित चीन में इसकी मांग बेतहाशा बढ़ी और साथ ही बढ़ा इस जानवर का दोहन.
बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए कई देशों में इस जीव का बेतहाशा दोहन करना शुरू कर दिया था. वर्ष 1996 से 2011 के बीच समुद्री खीरों के निर्यात करने वाले देशों की संख्या 35 से 83 हो गई थी. बढ़ते दोहन के चलते ये जीव अब लुप्तप्राय जीवों में गिने जाने लगे हैं.
कई देशों ने इनको पकड़ने और बेचने पर पाबंदी लगा दी है. Wildlife Protection Act, 1972 के तहत भारत समुद्री खीरे को लुप्तप्राय प्रजाति मानता है और इसके दोहन या बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाता है. पाबंदी के चलते इसकी स्मगलिंग ख़ूब फल-फूल रही है, खासकर भारत और श्रीलंका के तटीय इलाकों में.
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फरवरी 2020 में लक्षद्वीप में समुद्री खीरों के लिए दुनिया का पहला संरक्षण क्षेत्र बनाया गया था. इस समस्या से निपटने के लिए लक्षद्वीप में Anti-Poaching Camps भी बनाए गए हैं. कल ही भारतीय कोस्ट गार्ड ने समुद्री खीरों की एक खेप पकड़ी है जिसकी अनुमानित क़ीमत 8 करोड़ रुपये है.
क्या आपको भी लगता है कि इंसानों को अब ऐसे जीवों को खाने से बचना चाहिए? अपनी राय कमेंट सेक्शन में बताये.