इंसानों और प्रकृति के बीच सीधा संबंध है. दुर्भाग्य से हम इंसानों के चलते अब तक इस संबंध का असर नकारात्मक दिखा है. मसलन, इंसान की तरक़्क़ी का नतीजा प्रकृति की तबाही होती है. हमारा विकास दूसरे जीवों का विनाश बन जाता है. फिर भी हम बदलते नहीं, लेकिन मौसमों ने बदलना शुरू कर दिया है.
ग्लोबल वॉर्मिंग आज की सच्चाई है. धीरे-धीरे ये धरती जल रही है. इसकी तपिश आज हम इंसान महसूस भी कर सकते हैं. पहाड़ों की बर्फ़ पानी बन रही है. जो कभी मैदानी भागों में बाढ़ लाती है, तो कभी समुद्र का जलस्तर बढ़ाकर द्वीपों को डुबा रही है. वहीं, पठारी इलाकों में तेज़ी से पानी भाप बनकर हवा हो रहा है. एक ही इलाका कभी बाढ़ तो कभी सूखे की मार झेलता है. वैज्ञानिकों की मानें तो ये सब पिछले 10 साल के मुकाबले आज दोगुना तेज़ी से हो रहा है.
आज जो तस्वीरें आप देखेंगे, उससे बखूबी अंदाज़ा हो जाएगा कि किस तरह हम इंसान प्रकृति को तबाह करने पर आमादा हैं.
1. खाने की तलाश में जंगल से बाहर निकला एक साइबेरियन बाघ.

पूरी दुनिया में अवैध शिकार जारी है. ऐसे में इन जानवरों के लिए भी जंगल में खाने की कमी हो गई है. मजबूरन इन्हें अब जंगल से बाहर आकर खाने की तलाश करनी पड़ रही है. ऐसा बाघ समेत बहुत से जानवरों के साथ है. इसका नतीजा ये है कि कई बार ये जानवर आसान शिकार की तलाश में इंसानों या फिर उनके पालतू जानवरों पर हमला कर देते हैं. मानव-पशु संघर्ष अब दुनियाभर में एक बड़ी समस्या बन गया है. ऊपर से तेज़ी से ख़त्म होते जंगल आग में घी का काम कर रहे हैं.
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2. ब्राजील में तेज़ी से ख़त्म हो रहे उष्णकटिबंधीय जंगल.

खेतिहर भूमि और जंगल की लकड़ी की चाहत में तेज़ी से जंगलों की कटाई हो रही है. एक अनुमान के मुताबिक, अगर यही हाल रहा तो 2040 तक जंगल पूरी तरह नष्ट हो चुके होंगे.
3. चीन में स्मॉग खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है.

चीन की राजधानी बीजिंग में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. तीव्र औद्योगिक विकास के कारण धरती पर 85% लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.
4. रूस के एक शहर में जलाशय गुलाबी रंग में तब्दील.

5. रियो डी जनेरियो में समुद्र तट पर उमड़ी भीड़.

वैज्ञानिकों के अनुसार, 2030 तक पृथ्वी की जनसंख्या 9 अरब लोगों तक पहुंच जाएगी. जबकि क़रीब 100 साल पहले 1927 में ये जनसंख्या महज़ 2 अरब थी. नतीजा, सड़क से लेकर समुद्र तक हमें आने वाले दिनों में इससे भी भयावह हालात देखने को मिलेंगे.
6. आर्कटिक महासागर के तट पर भूख से मरते ध्रुवीय भालू.

7. समुद्रों में तेल का रिसाव

हर साल, दुनिया के महासागरों में 12 मिलियन टन से अधिक तेल का रिसाव होता है. इसके पीछे वजह क्षतिग्रस्त कुएं और टैंकर हैं. लगभग 25% समुद्री जल तेल की एक परत से ढका है. 2010 में, डीपवाटर होराइजन ऑयल प्लेटफॉर्म के एक विस्फोट के परिणामस्वरूप समुद्र में 1000 टन तेल का रिसाव हुआ था. ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी ने पदार्थ को खत्म करने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद, वे केवल 75% ज्वलनशील पदार्थ को ही हटा सके.
8. Q-टिप पकड़े हुए एक समुद्री घोड़े की ये वायरल तस्वीर महासागरों की दुखद कहानी बयां करती है.

हर साल 260 मिलियन टन प्लास्टिक का मलबा समुद्र में मिल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक विशाल प्लास्टिक क्षेत्र का निर्माण होता है. सबसे बड़ा प्लास्टिक से पटा एरिया प्रशांत महासागर में है, जो इसकी सतह का क़रीब 10 फ़ीसदी है.
9. समुद्रों में प्लास्टिक का शिकार बनतीं व्हेल.

समुद्रों और महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या हर साल गंभीर होती जा रही है. ये कचरा व्हेल के पेट में चला जाता है, जिसके चलते कई व्हेल की दम घुटने से मौत हो चुकी है. इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, ग्रीनपीस फिलीपींस के लोगों ने दक्षिण मनीला के समुद्र तटों में से एक पर एक मृत व्हेल की प्रतिकृति स्थापित की थी.
10. जर्मनी में सूखते जंगल

ये तस्वीर 2020 में ड्रोन से ली गई थी. यहां कम वर्षा के चलते तेज़ी से जंगल सूख रहे हैं. जर्मनी में ऐसा नज़ारे आम होते जा रहे हैं. वैज्ञानिक इसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग को ज़िम्मेदार ठहराते हैंं.
11. कभी बाढ़ तो कभी सूखे की मार झेलते लोग.

बारिश के पैटर्न में बदलाव के दुनिया के कई देश एकसाथ बाढ़ और सूखे की मार झेल रहे हैं. एक ही एरिया कभी भयंकर बाढ़ झेलता है, तो कभी सूखे की मार करहाता है. ये तस्वीर केन्या की है, जहां मई 2020 में आई बाढ़ के बाद लोग अपने घरों का सामान इकट्ठा कर सुरक्षित स्थान को जा रहे हैं.
12. बड़ी संख्या में जान गंवाती मछलियां.

1 जुलाई, 2019 की ये तस्वीर दक्षिणपूर्वी फ्रांस में एक लैगून के पास मरी हुई मछलियों की है. यहां गर्म जलधारा ने पानी में ऑक्सीज़न की मात्रा को कम कर दिया, जिसके चलते बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई.
ये तस्वीरें बताती हैं कि इंसान ख़ुद तो अपनी ग़लतियों की सज़ा भुगत ही रहे हैं, साथ ही दूसरे जीवों को भी इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. अगर वक्त रहते हम नहीं चेते तो आने वाला समय और भी भयानक मंज़र लेकर आएगा.